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सोहम मुखर्जी अपने पिता के चेतक स्कूटर की सवारी का लुत्फ लेते बड़े हुए। सोहम अब 29 साल के हो गए हैं, लेकिन बचपन की सबसे खूबसूरत याद पूछें तो आज भी इंडिया गेट से गुजरते स्कूटर पर आगे खड़े होकर आइसक्रीम खाना उनके जेहन में उभरता है। उनके पापा स्कूटर चलाते थे और मां पीछे बैठी होती थीं। उन्हें याद है कि स्कूटर में पेट्रोल कम होने पर कैसे उनके पापा उसे एक तरफ झुकाते थे और मशक्कत के साथ दोबारा स्टार्ट करते थे। बार-बार किक मारने पर ही चेतक चालू होता था।
बजाज ने 2020 में जब इलेक्ट्रिक चेतक पेश किया तो सोहम जैसे लाखों लोगों की यादें ताजा हो गईं। पिछले हफ्ते रिलायंस ने केल्विनेटर का अधिग्रहण किया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर पुरानी यादों की लड़ी फिर शुरू हो गईं। ब्रांड के सुनहरे दिनों के पुराने विज्ञापन एक बार फिर दिखने लगे। सबसे दिलचस्प विज्ञापन वह है जिसमें एक बुजुर्ग के नकली दांत केल्विनेटर फ्रिज खोलने पर ठंड से किटकिटाने लगते थे। एक दौर था जब भारतीय घरों में फ्रिज का मतलब केल्विनेटर ही माना जाता था और उनकी टैगलाइन ‘द कूलेस्ट वन’ काफी लोकप्रिय थी। 1970 और 80 के दशक में ज्यादातर घरों में केल्विनेटर का ही फ्रिज दिखता था।
यह पहला मौका नहीं है जब रिलायंस ने किसी पुराने ब्रांड का अधिग्रहण किया है। कंपनी ने अगस्त 2022 में करीब 22 करोड़ रुपये में कैंपा कोला भी खरीद लिया था। कैंपा किसी जमाने में घर-घर में दिखता था मगर रिलायंस के सौदे से पहले उसका वजूद लगभग खत्म हो चुका था। रिलायंस ने इसे खरीद कर चुनिंदा दुकानों और छोटे-मझोले शहरों में पेश किया। कंपनी ने सोस्यो में भी 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी, जो गुजरात की कार्बोनेटेड पेय कंपनी है। इसकी बुनियाद 1923 में रखी गई थी।
रीडिफ्यूजन के चेयरमैन संदीप गोयल बताते हैं, ‘रिलायंस ने कैंपा के साथ कमाल कर दिया है। इस ब्रांड का वजूद खत्म होने जा रहा था। कंपनी के पास बीपीएल पहले से था और अब केल्विनेटर भी आ गया है। सीधा फॉर्मूला है कि नया ब्रांड स्थापित करने से बेहतर है पुराने ब्रांड में दोबारा जान फूंकना।’ साथ में अहम होती है कीमत, खुदरा बाजार में लाना और प्रचार। गोयल का कहना है, ‘मुझे लगता है कि वह केल्विनेटर के साथ भी ऐसा ही करेगी। बचे ग्राहकों के पास जाकर इसे रफ्तार देगी।’
पुराने लोकप्रिय ब्रांडों में सिर्फ रिलायंस ही जान नहीं फूंक रही है। 2019 में पारले ने भी 1990 के दशक की लोकप्रिय रोल-ए-कोला कैंडी बाजार में फिर पेश की थी। उसी साल बजाज ने भी चेतक का इलेक्ट्रिक मॉडल लाने की योजना बताई थी। स्कूटर की डिलिवरी 2020 में शुरू हुई और 2021 में इसका एक नया मॉडल भी बाजार में उतारा गया।
2022 में खबर आई कि हिंदुस्तान मोटर्स की सदाबहार एंबेसडर एक बार फिर दस्तक देने को तैयार है। जावा की येज़्दी मोटरसाइकल को भी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने अपनी क्लासिक लीजेंड्स के जरिये एक बार फिर बाजार में उतारा। अपने स्कूटर के लिए मशहूर लैंब्रेटा ब्रांड ने 2023 में वापसी की और एक साल बाद 2024 में इलेक्ट्रिक मॉडल पेश किया।
दुनिया भर में अस्तित्व खो चुके ब्रांडों में दोबारा जान फूंकी जा रही है। यह काम या तो असली मालिक कर रहे हैं या अधिग्रहण करने वाला इसे अंजाम दे रहा है। अपने चक टेलर स्नीकर्स के लिए प्रसिद्ध कन्वर्स की बिक्री 1980 के दशक में गिरने लगी मगर 2003 में नाइकी द्वारा अधिग्रहण के बाद पुराने चीजों की शौकीन नई पीढ़ी के बीच यह दोबारा लोकप्रिय हो गई। 1930 के दशक में तैयार हुई फोक्सवैगन बीटल 1960 के दशक में काफी लोकप्रिय थी। फिर डूबती उतराती बीटल को 1990 के दशक में दोबारा पेश किया गया। मगर 2019 में कंपनी ने इसका उत्पादन ही बंद कर दिया।
मैकडॉनल्ड्स ने भी पुरानी यादों का सहारा लिया है। पोकेमॉन के 25 साल पूरे होने पर वह ट्रेडिंग कार्ड्स वापस लाई, जो 2000 की शुरुआत में बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय थी।
मगर क्या सिर्फ यादें ही काफी हैं। जानकारों का कहना है कि भावनात्मक जुड़ाव के लिए यादें काफी ताकतवर मानी जाती है, लेकिन कारोबारी बिसात पर उनकी कामयाबी पक्की नहीं है।
अल्केमिस्ट ब्रांड कंसल्टिंग के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर समित सिन्हा कहते हैं, ‘यादें दमदार भूमिका निभा सकती हैं मगर यह सफलता की गारंटी नहीं हैं। दो बातें जरूरी हैं। पहली, ब्रांड जब अपनी लोकप्रियता के शिखर पर था उस वक्त सही मायने में वह लोगों का पसंदीदा रहा हो और दूसरी उन दिनों को याद करने और तवज्जो देने वाले उपभोक्ता आज भी होने चाहिए।’
लोग यह भी कहते हैं कि यादें कुछ ही वक्त तक रहती है। इन ब्रांडों को याद रखने वाले लोग अब बूढ़े हो रहे हैं और उनसे यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह बाहर जाकर वही उत्पाद खरीदेंगे। इसलिए ब्रांड उन लोगों का रुख कर रहे हैं जो अब भी उन्हें याद करते हैं। भले ही लोगों ने उसके बारे में सुना होगा और वह कहीं न कहीं परिचित ब्रांड भी होगा। मगर ब्रांड के जानकारों का कहना है कि कुल मिलाकर कंपनियों को पूरी तरह से एक नया उत्पाद पेश करना ही होगा। नई बीटल एक एकदम अलग उत्पाद थी। मिनी कूपर के साथ भी कुछ ऐसा ही है। एक विश्लेषक ने बताया कि जब बीएमडब्ल्यू इसे वापस लाई तो यह कार पहले जैसी नहीं रह गई थी। उन्होंने कहा कि केल्विनेटर को लोग एक भारी भरकम फ्रिज के तौर पर याद करते हैं, जो आज के छोटे शहरी मकानों के लिहाज से बिल्कुल उपयुक्त नहीं है।
सिन्हा भी इससे सहमत हैं। वह कहते हैं, ‘कैंपा कोला को रिलायंस ने दोबारा पेश किया। वह लोगों को पसंद भी आई मगर सिर्फ यादें ही काफी नहीं है। कीमत और वितरण भी का भी एक जैसा होना जरूरी है।’ उनका मानना है कि इसके लिए रॉयल एन्फील्ड एक दमदार उदाहरण है, जब उसका अस्तित्व खत्म होने के कगार पर था तब आयशर ने इसे सफलतापूर्वक दोबारा पेश किया। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, अच्छी खासी विरासत होने के बावजूद जावा और येज्दी ने उतनी अच्छी तरह नहीं दोहरा सके। सिन्हा कहते हैं, ‘अगर कोई ब्रांड दमदार है और अब भी कहीं न कहीं मौजूद है तो वह लंबे समय तक सफल रह सकता है। बशर्ते यह आज के बाजार के अनुकूल हो, खुद को कारगर रख सके और होड़ कर सके। मगर यह उत्पाद की गुणवत्ता, कीमत और वितरण जैसी बुनियादी बातों पर भी बहुत हद तक निर्भर करता है।’
विश्लेषकों ने कुछ समय तक होने वाली चर्चाओं पर बहुत भरोसा करने से बचने के लिए कहा है। ब्रांडों को आबादी से लेकर लोगों की सोच-समझ तक हर बात का ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए मिनी कूपर दुनिया भर में रोजमर्रा के इस्तेमाल की गाड़ी थी। मगर फोक्सवैगन को 65 साल बाद बीटल बंद करनी पड़ी, क्योंकि वह कोरियाई और जापानी कारों से होड़ नहीं कर पाई।