पश्चिम बंगाल में मौजूदा सरकार के खिलाफ सबसे आम शिकायतों में से एक यह है कि उसने केंद्र सरकार की दो प्रमुख योजनाओं को बाहर का रास्ता दिखाया है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस सरकार ने पीएम-किसान और आयुष्मान भारत योजना में राज्य को शामिल नहीं किया है। इससे करीब 80 लाख किसान और बड़ी संख्या में गरीब अतिरिक्त लाभों से वंचित रह गए हैं, भले ही उन्हें राज्य सरकार की योजनाओं से लाभ मिल रहा हो।
अगर हम पूरी तरह से केंद्र द्वारा वित्त पोषित योजनाओं और केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं (जिनमें केंद्र और राज्य पूर्व-निर्धारित अनुपात में व्यय करते हैं) में पश्चिम बंगाल के प्रदर्शन पर नजर डालें तो, हमें पता चलता है कि राज्य का प्रदर्शन मिला-जुला है- कुछ मोर्चों पर अच्छा, तो कुछ अन्य मोर्चों पर औसत।
उदाहरण के लिए जब मनरेगा जैसी केंद्रीय योजनाओं की बात आती है, तो पश्चिम बंगाल वित्त वर्ष-21 में (ऐसे समय में जब कोविड-19 ने लाखों लोगों को बेरोजगार कर दिया था) शीर्ष प्रदर्शनकर्ता राज्य रहा है।
वित्त वर्ष 21 में इस राज्य ने 1.18 करोड़ लोगों को काम उपलब्ध कराया था, जो देश में सर्वाधिक है और वर्ष 2020-21 में यह इस योजना के तहत पैसा खर्च करने वाले शीर्ष राज्यों में शामिल था। लेकिन लॉकडाउन के दौरान गरीबों को मुफ्त अनाज वितरण करने में इसका प्रदर्शन खराब रहा था और अप्रैल से 30 जून के बीच अतिरिक्त आवंटित अनाज का केवल 59 प्रतिशत हिस्सा ही वितरित किया गया था।
इसी प्रकार आंकड़े यह भी बताते हैं कि जब जलाने वाली लकड़ी का इस्तेमाल करने वाले परिवारों को रसोई गैस का कनेक्शन उपलब्ध करने वाली प्रमुख योजना की बात आती है, तो पश्चिम बंगाल ने राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के अंतर्गत वर्ष 2016 से 2020 तक चार वर्षों के दौरान पश्चिम बंगाल को 88 लाख एलपीजी कनेक्शन मिले थे।
दरअसल, इस योजना की शुरुआत होने के बाद से इसके तहत केवल उत्तर प्रदेश ने ही पश्चिम बंगाल के मुकाबले ज्यादा कनेक्शन (करीब 1.5 करोड़) हासिल किए हैं, जिससे पश्चिम बंगाल पीएमयूवाई के तहत दूसरा सबसे बड़ा लाभार्थी बन गया है। पीएमयूवाई के कार्यान्वयन के पहले दो साल में पश्चिम बंगाल का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा था। पीएमयूवाई कार्यान्वयन के पहले दो वर्षों में डब्ल्यूबी का प्रदर्शन सबसे अच्छा था।
देश में अब 96 प्रतिशत से अधिक परिवारों के पास एलपीजी कनेक्शन है, हालांकि इनमें से कई ने तेल की बढ़ती कीमतों के कारण एलपीजी सिलिंडर के बढ़ते दामों की वजह से रिफिलिंग कराने से किनारा कर लिया है।
केंद्र्र सरकार की ग्रामीण आवास योजना – प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय स्तर पर निर्मित आवासों के करीब 15 प्रतिशत स्तर पर पहुंच चुका है। देश की आबादी में राज्य की जो हिस्सेदारी है, वह सात प्रतिशत से अधिक है। लेकिन हाल ही में इसकी निष्पादन दर घट गई है। ऐसा केवल पश्चिम बंगाल में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ही ऐसा हुआ है।
वित्त वर्ष 20 ऐसा रहा कि जब सरकारी राजस्व को प्रभावित करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था लंबी मंदी में चली गई थी और इस तरह राज्य सरकारों की व्यय क्षमता भी प्रभावित हुई थी। वित्त वर्ष 20 में इस योजना की धीमी रफ्तार का एक कारण यह भी हो सकता है।
लाभार्थियों को दी जाने वाली राशि सरकार द्वारा चार किस्तों में हस्तांतरित की जाती है। पश्चिम बंगाल में पहली किस्त के उपरांत बाद वाली किस्तों के हस्तांतरण की रफ्तार राष्ट्रीय औसत से कुछ धीमी है।
सड़कों से बिना जुड़े गावों को जोडऩे वाली सड़कों की रफ्तार भी वित्त वर्ष 20 में खराब रही है। वित्त वर्ष 19 के दौरान पश्चिम बंगाल में केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना के तहत 5,000 किलोमीटर से ज्यादा ग्रामीण सड़कें निर्मित की गई थीं। वित्त वर्ष 20 में यह सड़क निर्माण घटकर 2,000 किलोमीटर रह गया।
देशव्यापी स्तर पर भी वित्त वर्ष 20 में यह उपलब्धि घटकर 24,000 किलोमीटर रह गई, जबकि वित्त वर्ष 19 में यह करीब 50,000 किलोमीटर थी।
प. बंगाल चुनाव में कोई बदलाव नहीं
निर्वाचन आयोग ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस से कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाकी चरणों को एक साथ मिलाने का उसका सुझाव लागू करने योग्य नहीं है। तृणमूल कांग्रेस को लिखे एक पत्र में आयोग ने निर्वाचन कानून और कोरोनावायरस महामारी की वजह से मतदाताओं की सुरक्षा के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र किया और राज्य में चुनाव के कार्यक्रम में बदलाव से इनकार किया। पश्चिम बंगाल में छठे चरण का चुनाव जहां 22 अप्रैल को होना है वहीं सातवें चरण और आठवें चरण का चुनाव क्रमश: 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को होना है। छठे चरण में 43 क्षेत्रों में होगा मतदान, 306 उम्मीदवार मैदान में कोलकाता, पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए छठे चरण के चुनाव में गुरुवार को 43 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा और एक करोड़ से अधिक मतदाता 306 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे।