अगर आपने दिल्ली के मेहरौली में मेडिटरेनियन एवं यूरोपियन रेस्तरां ऑलिव कुतुब में टूना खाई है तो इस बात के आसार हैं कि यह मछली जापान से आई होगी। अगर आपने यहां चॉकलेट टॉर्ट खाया है तो इसके साथ आने वाली रसभरी पश्चिम के किसी देश से आने की संभावना है, लेकिन यह महामारी से पहले की बात थी।
जब कोविड-19 ने देशों को अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने को बाध्य कर दिया और रातोरात आयातित सामग्री की आपूर्ति बंद हो गई तो रेस्तरां को अपने व्यंजनों में बदलाव करना पड़ा या स्थानीय व्यंजन परोसना शुरू करना पड़ा।
इसलिए ऑलिव कुतुब अब रसभरी के स्थान पर उत्तराखंड से आने वाले फाल्से का इस्तेमाल करता है। मेहरोली में ऑलिव कुतुब ऐंड सराय के मुख्य खानसामा ध्रुव ओबेरॉय ने कहा, ‘जब फाल्से का सीजन भी नहीं होता है तो हम तत्काल रसभरी का इस्तेमाल शुरू नहीं करते हैं बल्कि भारत में उगाई जाने वाली अच्छी किस्म की बेरी तलाशते हैं।’ अब टूना मछली अंडमान से आ रही है। अब खीरे का अचार तैयार करने के लिए खानसामा आयातित खीरे के बजाय कुंदरू का इस्तेमाल करने लगे हैं।
इस बदलाव से ताजे मौसमी फल एवं सब्जियों की खरीद के लिए किसानों और स्थानीय विक्रेताओं के साथ करार किए जा रहे हैं। ओबेरॉय ने कहा, ‘मैं एक ऐसा व्यंजन बनाता हूं, जो अंतरराष्ट्रीय है और यह बदलाव मेरे लिए ताजा स्थानीय सामग्रियों को इस्तेमाल करने का मौका है।’
ऐसा करने वाले वे अकेले व्यक्ति नहीं हैं। नई दिल्ली में ताज महल होटल में खानसामा राजेश सिंह ने कहा, ‘आयात की जाने वाली बहुत सी मछलियां काफ ी कम आ रही हैं या आ ही नहीं रही हैं। इसलिए ताजे पानी की मछली जैसी स्थानीय मछलियां व्यंजनों में इस्तेमाल की जा रही हैं।’
एक समय मछलियों की आपूर्ति को अत्यधिक स्थिर एवं भरोसेमंद माना जाता था, लेकिन इसमें उतार-चढ़ाव बना रहता है। हाल की कुछ खबरों में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से मैकडॉनल्ड्स में फिलेट-ओ-फिश बर्गर की आपूर्ति प्रभावित हुई है। लेकिन इस फास्ट फूड चेन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि ऐसा कुछ नहीं है। यह बर्गर वास्तव में उपलब्ध है।
ओबेरॉय में कॉरपोरेट खानसामा सतबीर बख्शी ने कहा कि आपूर्ति शृंखला को स्थानीय बनाना नौवहन एवं भंडारण जरूरत, उत्सर्जन और एवं ऊर्जा का उपयोग घटाकर पर्यावरण में मदद देने का भी एक मौका है।
अब ओबेरॉय समूह ताजी मछली एवं सीफूड अंडमान से मंगाता है।
बख्शी ने कहा कि उनका होटल भारत में व्यंजन सूची में बुर्राटा चीज को शामिल करने वाला पहला होटल ब्रांड था, जिसे बेंगलूरु में एक पुजारी ने बनाया था। उन्होंने एक किसान से करार किया है, जो मैंगोस्टीन, रामबुतान, हेयरलूम टमाटर और अवाकाडो जैसे स्थानीय फलों का उत्पादन करता है। बख्शी ने कहा, ‘हम फिर अपना आयात शुरू कर पाए हैं और अब हम स्थानीय और आयातित दोनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।’ अन्य जगहों की तरह नई दिल्ली के क्लैरिजेस के लिए भी महामारी और इस समय चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध से मांस, चीज, सॉस आदि आयात करने में दिक्कतें पैदा हुई हैं। इसके खानसामा विवेक राणा ने कहा, ‘अब हम उत्तराखंड और गुजरात से आने वाले स्थानीय स्तर पर उत्पादित उच्च गुणवत्ता के चीज का इस्तेमाल करने लगे हैं।’
इस बदलाव से व्यंजन सूची में कोई बदलाव नहीं हुआ है। राणा ने कहा, ‘अगर हम स्थानीय सामग्रियों से विशुद्धता बनाए रखने में सफल रहते हैं तो हम उन व्यंजनों को परोसना जारी रखते हैं। अन्यथा हम उन्हें व्यंजन सूची से हटा देते हैं।’ नई दिल्ली में पुलमैन ऐंड नोवोटेल की रसोई के निदेशक खानसामा नीरज त्यागी ने आपूर्ति में दिक्कतों को जहां संभव है, वहां व्यंजन सूची में प्रयोग के मौके के रूप में ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हम अपनी सामग्रियां खरीदने के लिए किसानों के साथ मिलकर काम करते हैं। इससे हम सीजन के हिसाब से अपने व्यंजनों में बदलाव कर पाते हैं। पहले हम ऐसा साल में केवल एक बार करते थे।’ खानसामों के लिए एक अन्य चिंता यह भी है कि मेज पर क्या परोंसे। उदाहरण के लिए आयातित फ्रोजन उपज में कुछ साफ नहीं होता है क्योंकि आपको नहीं पता होता है कि इसे कब फ्रोजन किया गया था। महामारी से लोग लोग अपने खाने की गुणवत्ता को लेकर ज्यादा सजग हो गए हैं। खानसामा ओबेरॉय ने कहा, ‘इस वजह से हमने आंवला सलाद शुरू किया, जिसे ग्राहकों ने बहुत अधिक पसंद किया है।’