राजनीति

आम आदमी से 32 गुना अधिक एमएलए का वेतन!

झारखंड के विधायकों को सबसे अधिक 2.88 लाख रुपये प्रति माह मिलते हैं, जबकि झारखंड की प्रति व्यक्ति आय लगभग 9,000 रुपये प्रति माह है।

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यश कुमार सिंघल   
Last Updated- April 04, 2025 | 12:03 AM IST

केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद सदस्यों (सांसदों) के वेतन में 24 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है। यह व्यवस्था 1 अप्रैल, 2023 से लागू मानी जाएगी। इसी के साथ सांसदों को 1 लाख रुपये के मुकाबले 1.24 लाख रुपये प्रति माह वेतन मिलेगा। सांसदों के वेतन को हर 5 साल में लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर समायोजित करने का निर्णय पहली बार 2018 में लिया गया था। उस समय उनका वेतन 50,000 रुपये से दोगुना बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया गया था।

राज्य सरकारें भी अपने यहां जनप्रतिनिधियों का वेतन बढ़ाने की इस दौड़ में शामिल हो गई हैं। हाल ही में कर्नाटक सरकार ने अपने विधायकों के वेतन को दोगुना करने के लिए दो विधेयक पारित किए हैं। गुजरात सरकार भी विधान सभा सदस्यों (विधायकों) की तनख्वाह बढ़ाने के लिए सहमत हो गई है। इसके अलावा, दिल्ली विधान सभा ने अपने विधायकों की तनख्वाह और भत्तों की समीक्षा के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया।

राज्यवार विश्लेषण से विधायकों के वेतन और आम आदमी की आय में असमानता का पता चलता है। झारखंड के विधायकों को सबसे अधिक 2.88 लाख रुपये प्रति माह मिलते हैं, जबकि झारखंड की प्रति व्यक्ति आय लगभग 9,000 रुपये प्रति माह है। इसका मतलब है कि झारखंड के विधायकों को राज्य की प्रति व्यक्ति आय से लगभग 32 गुना अधिक वेतन मिलता है।

इसी प्रकार तेलंगाना के विधायकों का वेतन 2.5 लाख रुपये प्रति माह है। इसमें 20,000 रुपये का मूल वेतन और 2.3 लाख रुपये का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता शामिल होता है। वहीं, उत्तर प्रदेश के विधायकों को राज्य की प्रति व्यक्ति आय 7,785 रुपये प्रति माह (2023-24 में) के मुकाबले 95,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं। यानी यहां प्रत्येक विधायक राज्य के लोगों से 12 गुना अधिक कमाई करता है।

केरल विधायकों को सबसे कम वेतन देने वाले राज्यों में से एक है। यहां विधायकों की तनख्वाह 70,000 रुपये प्रति माह होती है। यह राज्य की प्रति व्यक्ति आय का तीन गुना बैठता है, लेकिन अध्ययन किए गए 12 राज्यों में प्रति व्यक्ति आय के अनुपात में सबसे कम वेतन दिल्ली के विधायक पाते हैं।

हालांकि, सांसदों का संशोधित वेतन भी देश के अफसरशाहों से काफी कम है। कैबिनेट सचिव 2.5 लाख रुपये प्रति माह का मूल वेतन पाते हैं, जबकि विदेश सचिव और पुलिस महानिदेशक का मूल वेतन 2.25 लाख रुपये होता है। चुनाव आयुक्त और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को 2.5 लाख रुपये प्रति माह मिलते हैं, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन के बराबर ही है। इस बीच, भारत की प्रति व्यक्ति आय 2024-25 में 17,132 रुपये प्रति माह पर बनी हुई है, जो सांसदों को मिलने वाले वेतन से बहुत कम बैठती है। रोचक बात यह है कि झारखंड में एक विधायक को राज्य के निवासियों की औसत आय से 32 गुना अधिक सैलरी मिलती है।

First Published : April 3, 2025 | 11:56 PM IST