केरल के वायनाड में प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के लोक सभा उपचुनाव में उम्मीदवार के तौर पर उतरने के साथ ही राजनीतिक विरासत और पारिवारिक संबंधों की गूंज सुनाई देने लगी है। चुनावी राजनीति से उनका साबका पहली बार 1999 में उस समय पड़ा था जब उन्होंने अमेठी में अपनी मां सोनिया गांधी और रायबरेली में परिवार के वफादार सतीश शर्मा के लिए प्रचार किया था।
उस समय उन्होंने रायबरेली के मतदाताओं से अपने चाचा अरुण नेहरू को हराने की अपील की थी, जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। परिवार के साथ धोखा करने की बात कहते हुए उन्होंने चुनौती देने वाले अंदाज में उन्हें ललकारा था, ‘यहां आने की उनकी हिम्मत कैसे हुई?’
हाल में संपन्न हुए लोक सभा चुनाव में 52 वर्षीय प्रियंका का अमेठी और रायबरेली के मतदाताओं के साथ जुड़ाव स्पष्ट रूप से देखने को मिला, जब उन्होंने भाई राहुल गांधी और केएल शर्मा के लिए अनथक चुनाव प्रचार किया।
अब राहुल गांधी द्वारा छोड़ी गई सीट वायनाड से प्रियंका गांधी का दक्षिण की राजनीति में प्रवेश हो रहा है। इससे केरल में कांग्रेस के पुन: उभार की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। केरल में वर्ष 2026 में प्रस्तावित विधान सभा चुनाव को देखते हुए प्रियंका को दक्षिण ले जाना कांग्रेस का बहुत ही सोचा-समझा कदम है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) ने 2019 के लोक सभा चुनाव में 19 बाँर 2014 के लोक सभा चुनाव में 18 सीटें जीत कर राज्य में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी, लेकिन पार्टी को लगातार 2016 और 2021 के विधान सभा चुनाव में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के हाथों हार का सामना पड़ा था। इन चुनावों में पार्टी को क्रमश: 99 और 140 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 2024 का लोक सभा चुनाव रायबरेली और वायनाड से लड़े थे। उन्होंने रायबरेली को अपने पास रखा जबकि वायनाड सीट छोड़ दी। वायनाड सीट शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ रही है। प्रियंका को यहां से चुनावी मैदान में उताना सुरक्षित और प्रतीकात्मक कदम है।
राहुल को यहां वर्ष 2019 में 64.94 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि इस चुनाव में मतदाताओं का समर्थन गिरकर 59.69 प्रतिशत पर आ गया। इस बार उनका मुकाबला दो कड़े प्रतिद्वंद्वियों कम्युनिस्ट पार्टी के एनी राजा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन से हुआ।
इस निर्वाचन क्षेत्र में माकपा का वोट शेयर 80 आधार अंक और भाजपा का 575 आधार अंक बढ़ गया। पिछले चुनाव में राहुल के खिलाफ भाजपा के सहयोगी भरत धर्म जनसेना के अध्यक्ष तुषार वेल्लापल्ली ने चुनाव लड़ा था।
वाम मोर्चा राहुल गांधी द्वारा इस सीट को छोड़ने को मुद्दा बनाकर इसे मतदाताओं के साथ धोखा बताते हुए भुनाने की कोशिश करेगा, जबकि भाजपा के सुरेंद्रन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने वायनाड के मतदाताओं को यह नहीं बताकर उनके साथ धोखा किया है कि वह रायबरेली से भी चुनाव लड़ेंगे।
सुरेंद्रन ने कहा, ‘जब राहुल गांधी ने कहा कि वायनाड के लोग उनके परिवार की तरह हैं, तो उन्हें लगा कि गांधी अपने लोक सभा क्षेत्र से प्रेम करते हैं। अब यह साबित हो गया है कि वह यहां से अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लड़ाना चाहते थे।’
सुरेंद्रन की टिप्पणी वायनाड के मतदाताओं में नाराजगी के उद्देश्य से बड़ी चतुराई से की गई है। वायनाड में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई सभी बड़े प्रेम से रहते आए हैं और यह सीट अपने जनसांख्यिकीय संतुलन के गर्व करती है। उन्होंने कहा, ‘यहां राहुल गांधी के खिलाफ बहुत अधिक नाराजगी है।’
इस मामले में वाम नेता राजा की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। एलडीएफ इस समय प्रियंका गांधी को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में जुटा है। पार्टी के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने स्पष्ट रूप से कहा कि पार्टी निश्चित रूप से प्रियंका के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करेगी।
माकपा और एलडीएफ कोई ऐसा कदम नहीं उठाएंगे, जिससे भाजपा को फायदा हो, इसलिए हम अपना प्रत्याशी उतारेंगे। इन सब को देखते हुए केरल की राजनीति में यह महत्त्वपूर्ण कदम होगा, जहां अपना गढ़ होने के बावजूद कांग्रेस को तगड़ी चुनौती मिल रही है।
राजनीतिक विश्लेषणक सन्नीकुट्टी अब्राहम कहते हैं कि प्रियंका गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने को बहुत महत्त्वपूर्ण मानते हें। उनका कहना है कि इससे राज्य में स्थानीय और विधान सभा चुनाव में फायदा होगा।