रीडिजाइन कर बढ़ाएगी कारोबार

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 11:32 PM IST

मंदी की मार से जूझ रही इंजीनियरिंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) ने अपना कारोबारी लक्ष्य पूरा करने के लिए नई नीति बनाई है। इसके लिए कंपनी ने अपनी भोपाल इकाई का फिर से रीडिजाइन किया है।
कंपनी की भोपाल इकाई में अधिक क्षमता वाले ट्रांसफॉर्मर और जेनरेटरों का निर्माण किया जाता है। इस इकाई में ऐसा पहली बार हुआ है कि वित्त वर्ष 2008-09 की समाप्ति से 11 घंटे पहले भी कंपनी को ग्राहकों से मिलने वाले भुगतान का इंतजार कर रही थी।
हालांकि कई ग्राहक कंपनियों की ओर से भुगतान आया ही नहीं। भुगतान नहीं करने वाली कंपनियों में से अधिकतर सीमेंट और इस्पात क्षेत्र की कंपनियां हैं। बीएचईएल के एक सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘बीएचईएल ने सभी ऑर्डर समय पर पूरे किए थे।
लेकिन मंदी के कारण कई कंपनियों ने अपनी पनबिजली परियोजनाओं में इस्तेमाल होने वाले उपकरण बीएचईएल के परिसर से नहीं उठाए थे।’ कंपनी के एक और सूत्र ने बताया, ‘कंपनी को लगभग 396 करोड़ रुपये कीमत की पनबिजली टरबाइनों के ऑर्डर मिले थे। लेकिन मंगलवार की शाम तक पनबिजली कंपनियों की ओर से भुगतान कर दिया गया था।’
हालांकि बीएचईएल को इस वित्त वर्ष में लगभग 515 करोड़ रुपये का कर पूर्व लाभ होने वाला है। केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय उत्पाद शुल्क को 16 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी करने के बाद भोपाल इकाई को अपनी शॉप-फ्लोर नीति को फिर से रीडिजाइन करना पड़ेगा।
उत्पाद शुल्क घटाने की सरकार की घोषणा से भोपाल इकाई के लिए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा। सूत्र ने बताया, ‘उत्पाद शुल्क में हुई 8 फीसदी की कमी के कारण हमें अपनी नीतियों और योजनाओं में फेरबदल करना पड़ेगा।’
भोपाल इकाई के ग्राहकों पर मंदी का असर कुछ ज्यादा ही पड़ा है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए आपूर्ति करने के  लिए कंपनी अपने विस्तार की योजना बना रही है, लेकिन ग्राहक कंपनियों की ओर से भुगतान मिलने में देरी हो रही है। उन्होंने बताया, ‘इस साल कंपनी के मोटर कारोबार पर भी असर पड़ा है।
कंपनी को अब उन उपकरणों का निर्माण शुरू करना पड़ेगा जिनमें समय पर भुगतान मिलता हो। हालांकि इस बार भी नुकसान नहीं होगा लेकिन आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए नीतियों में बदलाव करना बेहद जरूरी है।’
फिलहाल बीएचईएल के पास मध्य प्रदेश में लगने वाली 400 मेगावाट क्षमता वाली विवादास्पद श्री महेश्वर पनबिजली परियोजना और 1200 मेगावाट की सिंगाजी बिजली संयंत्र के लिए उपकरणों की आपूर्ति करने का ठेका है।
बीएचईएल की भोपाल इकाई पर राज्य सरकार ने भी 500 मेगावाट क्षमता वाली बीरसिंहपुर और 210 मेगावाट क्षमता वाली छछाई बिजली परियोजनाओं को लटकाने का आरोप लगाया है। राज्य सरकार ने कहा कि कंपनी इन संयंत्रों के लिए उपकरणों की आपूर्ति में देरी कर रही है।

First Published : April 7, 2009 | 9:00 PM IST