वैश्वीकरण के इस दौर में इंटरनेट और टेलीकम्युनिकेशंस जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का महत्त्व दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।
इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर की साक्षरता काफी तेजी से बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश बोर्ड यहां के छात्रों के लिए ‘कंप्यूटर साइंस’ को अनिवार्य विषय करने की योजना बना रहा है। राज्य सरकार बड़े पैमाने पर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) को बढ़ावा देने और सभी को कंप्यूटर साक्षर बनाने की दिशा में काम कर रही है।
आईसीटी पहल के अंतर्गत प्रदेश के 5000 विद्यालयों में कंप्यूटर प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी और अगले पांच साल के भीतर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।माध्यमिक शिक्षा विभाग (उत्तर प्रदेश) के मुख्य सचिव अरुण कुमार मिश्रा ने बताया, ‘हम शिक्षा के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा राज्य भर के विद्यालयों में शिक्षा प्रणाली में सुधार लाएंगे।’
इसके अलावा विभाग इंटरमीडिएट कक्षाओं तक कंप्यूटर की पढ़ाई को एक पाठयक्रम के रूप में पेश करने का भी इच्छुक है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश बोर्ड के हाई स्कूल और इंटरमीडिएट एजुकेशन के अंतर्गत स्कूलों में कंप्यूटर की शिक्षा एक वैकल्पिक विषय के रूप में दी जाती है।
मिश्रा ने बताया, ‘उत्तर प्रदेश बोर्ड जल्द ही (अगले साल से) ‘कंप्यूटर साइंस’ को एक अनिवार्य विषय के रूप में पेश करेगा।’राज्य में कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार अब प्राइवेट सेक्टर के साथ भी काम कर रही है ताकि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से समाज के सभी तबकों को कंप्यूटर की शिक्षा मुहैया कराई जा सके।
सार्वजनिक निजी साझेदारी की पहल से अभी हाल ही में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने प्रौद्योगिकी के जरिए राज्य के विकास के लिए इंटेल टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ हाथ मिलाया है।