देश की दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा परिषद से खरीदी गई जमीन की किस्तें बढ़ाने की मांग की है।
यूनिटेक ने 2006 में परिषद से 100 एकड़ का एक प्लाट लगभग 400 करोड़ रुपये में खरीदा था। यूनिटेक ने पूरी कीमत का लगभग 60 फीसदी(250 करोड़) का भुगतान कर दिया था और बकाया रकम को छह महीनों की किस्तों के जरिये छह महीनें में भुगतान करने की बात कही थी।
गौरतलब है कि कंपनी इस साइट पर एक रिहायशी परियोजना का निर्माण कर रही है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक परिषद के ललीत श्रीवास्तव ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी ने निर्धारित तिथि से तीन दिनों पहले परिषद से संपर्क किया था। हमने किस्तों का फिर से निर्धारण कर दिया है।
इसके लिए अकेले वित्तीय मंदी को जिम्मेदार ठहराया नहीं जा सकता है। इससे पहले 2006 और 2007 में भी कई कंपनियों ने किस्तों को कम करने के लिए परिषद से संपर्क किया था। परिषद ने भी उनकी मांगों को मंजूरी प्रदान कर दी थी।
बाजार में इस समय लिक्विडिटी के कम होने से रियल एस्टेट कंपनियां अपनी क्रियान्वित परियोजनाओं के लिए ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज ले रही है।इस बाबत यूनिटेक ने कहा है कि कंपनी और परिषद में प्लॉट के कब्जे को लेकर एक राय नहीं थी।
क्योकि वहां गांव वालों ने साइट पर चल रहें निर्माण कार्य को रोक दिया था। इस कारण कंपनी ने निर्धारित तीथि से पहले किस्त का भुगतान नहीं किया है। कंपनी का कहना है कि प्लाट के 25 फीसदी का कब्जा हमें अभी भी नहीं मिला है।
कंपनी के सूत्रों ने बताया कि जमीन में कब्जे और निर्माण कार्य को लेकर दिक्कतें आ रही थी। इसलिए हमनें किस्तों के भुगतान की समय-सीमा बढ़ाने की बात की है। हमें उम्मीद है कि परिषद द्वारा हमारी मांग को मंजूरी मिल जाएगी और प्लॉट का निर्माण कार्य में किसी तरह की बाधा नही आएगी।