महंगे कर्ज के कारण वाहनों की खरीद में कमी आने से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री मंदी के साये में आ गई लेकिन इसके बावजूद दिल्ली और हरियाणा में वाहनों के पुर्जे बनाने वाली असंगठित इकाइयां मुनाफा कमाने में पीछे नहीं है।
कर्ज मंहगा होने से पुरानी गाड़ियों की सर्विसिंग और खराब पुर्जों के स्थान पर नए पुर्जों की मांग बढ़ने से असंगठित क्षेत्र में इनके निर्माण में पिछले साल की तुलना में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
दिल्ली और हरियाणा के ऑटोमोटिव पाट्र्स मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस साल वाहनों की खरीद में भारी कमी की वजह से सर्विसिंग के लिए नए वाहन पुर्जों की मांग बढ़ गई है।
दिल्ली स्थित राजकंवर ऑटो पाट्र्स के राजेन्द्र सिंह बताते हैं कि लोहे, स्टील और अन्य कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी होने से हमारे तैयार माल की कीमतों में 15 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी जरूर हुई है। लेकिन इसका प्रभाव सीधे तौर पर मांग पर नहीं पड़ा है, क्योकि तेज परिवहन के लिए गाड़ी की सर्विसिंग लोगों के लिए जरूरी हो गई है।
गुडगांव की जेडस्पीड कंपनी के मालिक वीएस त्यागी बताते हैं कि इस साल अगर मारुति और होंडा जैसी कंपनियों की बिक्री में कमी नहीं भी आती तो भी वाहन पुर्जों के निर्माण में बढ़ोतरी तय थी। नई गाड़ियों के बाजार में आने के बाद सर्विसिंग के लिए वाहनों के पुर्जों की मांग में बढ़ोतरी हो जाती है।
भारतीय निर्यात प्रोत्साहन परिषद के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के ऑटो कंपोनेंट बाजार में भारत का हिस्सा अभी भी आधा फीसदी से भी कम है। इसके बावजूद भारत में संगठित और वाहन पुर्जों का असंगठित बाजार लगभग 500 अरब रुपये का है जो प्रतिवर्ष 40 फीसदी की दर से बढ़ोतरी कर रहा है।