महाराष्ट्र, उप्र और दिल्ली को मिली कम खुराक

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:05 AM IST

देश में कोविड की दूसरी लहर का गंभीर प्रभाव पड़ रहा है और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की आर्थिक शाखा की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजधानी दिल्ली जैसे प्रमुख राज्यों को उनकी आवश्यकता से कम टीके की खुराक मिल रही है। इस रिपोर्ट के लेखक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ सौम्य कांति घोष हैं। ऐसा मान लिया गया है कि टीकाकरण ही अब इस बीमारी को रोकने का एकमात्र कारक हो सकता है ऐसे में एसबीआई की आर्थिक शाखा ने 18 साल से अधिक उम्र वाली आबादी सहित वितरण मापदंडों के आधार पर कुल टीकों में, हर राज्य के हिस्से का अनुमान लगाने के लिए अलग विश्लेषण किया जिसमें कुल मौतें, राज्यों में कोविड मामले और मौतें और इसके मुकाबले टीका वितरण भी शामिल था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र में कुल टीका आवंटन की हिस्सेदारी 17.8 फीसदी तक होनी चाहिए। हालांकि मौजूदा आंकड़ों के अनुसार इसकी हिस्सेदारी केवल 10.1 फीसदी है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भले ही हम पाइपलाइन वाले टीके की खुराक को शामिल करें लेकिन शेयर मामूली रूप से बढ़कर 10.2 फीसदी हो जाएगा जो अभी भी जरूरी खुराक से नीचे होगा।’ दूसरी ओर रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान, केरल, पश्चिम बंगाल और गुजरात को अपनी आबादी, कोविड मामलों और इसकी वजह से होने वाली मौतों की हिस्सेदारी को देखते हुए टीके की ज्यादा खुराक मिली है। रिपोर्ट में भी कहा गया है कि तमिलनाडु, हरियाणा, पंजाब, बिहार और पूर्वोत्तर राज्य ऐसे राज्य हैं जहां टीकाकरण की बरबादी ‘काफी अधिक’ है। घोष ने कहा, ‘इस प्रकार कम हिस्सेदारी वाले ऐसे राज्यों को इस अंतर को भरने के लिए निर्माताओं से भविष्य में बड़ी तादाद में टीकों की खरीदारी करनी होगी। हालांकि हमें यह भी समझने की जरूरत है कि कोविड के प्रसार को देखते हुए प्रत्याशित स्तर और टीके के वितरण के बाद भी हमेशा अंतर रहेगा क्योंकि कोविड की भविष्यवाणी करना लगभग मुश्किल है।’
एसबीआई का अनुमान है कि भारत ने टीके की 16.05 करोड़ खुराक दी है जिसमें से 13.1 करोड़ लोगों ने पहली खुराक ली है जबकि 3.15 करोड़ लोगों ने दोनों ही खुराक ले ली है। घोष के अनुसार कुल टीकाकरण खुराक में दोहरी खुराक लेने वाले लोगों का प्रतिशत अब लगभग 19.5 फीसदी हो गया है। हालांकि, टीके की खुराक अब रोजाना औसतन 17 लाख की दर से दी जाती है जबकि अप्रैल में यह प्रतिदिन औसतन 28 लाख तक थी। घोष ने कहा, ‘इस रुझान को देखते हुए हमारा मानना है कि भारत अक्टूबर 2021 तक करीब 15 प्रतिशत आबादी को टीका लगाने में सक्षम हो सकता है (जो अन्य देशों के रुझान को देखते हुए सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता के लिए आवश्यक है) लेकिन ऐसा तभी होगा जब हम सितंबर और अक्टूबर में रोजाना लगभग 55 लाख टीका लगा सकें।’
इस बीच, नीति निर्माताओं की ओर से भी विनिर्माताओं की मदद की जा रही है ताकि महामारी से लडऩे के लिए जरूरी विनिर्माण क्षमता बढ़ाने की कोशिश की जाए।भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में एक घोषणा में टीका, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर आदि देने वाली कंपनियों के लिए विशेष रूप से 50,000 करोड़ रुपये की किफायती ऋ ण देने की घोषणा की। बैंक ऑफ  बड़ौदा (बीओबी) ने कोविशील्ड टीके तैयार करने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ  इंडिया को 500 करोड़ रुपये दिए जिसका नेतृत्व अदार पूनावाला करते हैं।
ग्रामीण इलाकों में कोविड
घोष के अनुसार एक और चिंताजनक रुझान देश के ग्रामीण इलाकों में कोविड संक्रमण के मामलों में आई तेजी है। नए मामलों में ग्रामीण जिलों की हिस्सेदारी अप्रैल में बढ़कर 45.5 फीसदी और मई में 48.5 फीसदी हो गई जबकि मार्च में यह 36.8 फीसदी थी। घोष ने लिखा, ‘हमने जिलेवार तरीके से जायजा लिया और अंदाजा मिला कि मार्च में महाराष्ट्र के जिले (महाराष्ट्र के संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित 15 में से 11 ग्रामीण जिले) संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं और अब प्रसार आंध्र प्रदेश (शीर्ष 15 सबसे ज्यादा प्रभावित ग्रामीण जिलों में 5 इसी राज्य के) से बढ़कर केरल (2 जिले), कर्नाटक (1), राजस्थान (1) और महाराष्ट्र में हो रहा है।’
छत्तीसगढ़ ने सुधार दिखाया है जिसके तीन ग्रामीण जिले मार्च में संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित शीर्ष 15 जिले में शामिल थे लेकिन अब एक भी जिला इस सूची में शामिल नहीं है।

First Published : May 7, 2021 | 10:22 PM IST