केंद्रीय बजट में बीमा क्षेत्र के लिए कई घोषणाओं से इस क्षेत्र के शेयर लुढ़क गए। बजट घोषणाओं में स्पष्टता के बाद इन कंपनियों के शेयरों ने नुकसान की थोड़ी भरपाई की। हालांकि दिन के कारोबार में इनमें गिरावट आई।
जानकारों ने इंट्राडे कारोबार में बड़ी गिरावट का कारण यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) में कराधान में बदलाव के बारे में फैले भ्रम को बताया। इसके अलावा, करदाताओं को अधिक फायदा देने वाली नई कर व्यवस्था के बढ़ते आकर्षण को भी बीमा योजनाओं से निवेशकों को दूर करने वाला कारण बताया गया।
एक वरिष्ठ बीमा अधिकारी ने कहा, ‘बीमा शेयरों में गिरावट का बड़ा कारण यह था कि निवेशकों को भ्रम हो गया कि यूलिप से होने वाला लाभ अब करमुक्त नहीं रहेगा। मगर वास्तव में कराधान में बदलाव केवल 2.5 लाख रुपये से अधिक वाली की पॉलिसी को लेकर है और यह निवेशकों के लिए अच्छी बात है।’ विशेषज्ञों के मुताबिक 2.5 लाख रुपये से अधिक प्रीमियम वाले सभी यूलिप 1 अप्रैल, 2026 से पूंजीगत लाभ कराधान के पात्र होंगे। इस समय कुछ पॉलिसियों से मिलने वाले लाभ पर निवेशकों के स्लैब के आधार पर कर लगाया जाता है।
बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसायटी (बीसीएएस) में सचिव किंजल भूता ने कहा, ‘मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक अगर प्रीमियम राशि 2.5 लाख रुपये से अधिक रहती है तो ऐसे यूलिप को पूंजीगत परिसंपत्ति माना जाता है। मगर यह पूंजीगत बीमित राशि के 10 फीसदी से अधिक के प्रीमियम वाले यूलिप पर लागू नहीं होता है। अब समानता लाने के लिए वे सभी सभी यूलिप जो धारा 10(10डी) की छूट की किसी भी शर्त को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें पूंजीगत संपत्ति माना जाएगा।’
उद्योग के अधिकारियों के मुताबिक यह बदलाव यूलिप निवेशकों के लिए फायदेमंद रहेगा। मगर जानकारों का कहना है कि नई कर व्यवस्था के बढ़ते आकर्षण को देखते हुए कुछ निवेश बीमा जैसे कर बचत विकल्पों के बदले म्युचुअल फंड में जा सकते हैं।