हरियाणा परंपरागत साधनों का प्रयोग करके 2012 के अंत तक अपने बिजली उत्पादन को 4600 मेगावाट से बढ़ाकर 5000 मेगावाट करने की योजना बना रहा है।
इसके अतिरिक्त बिजली को पैदा करने के लिए 25,000 हजार करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत पड़ेगी। राज्य के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने बताया कि राज्य अक्षय ऊर्जा के अनुपात को बढ़ाकर 10 फीसदी करने की योजना भी बना रहा है। इसके लिए सरकार ने 714.8 मेगावाट वाली विभिन्न अक्षय ऊर्जा योजनाओं के लिए छह सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं।
इन योजनाओं को पूरा करने के लिए दिसंबर 2009 के पहले लगभग 240 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत पड़ेगी।चेन्नई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा काग्रेंस 2008 में उपस्थित हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास संस्था की निदेशक सुमिता मिश्रा ने बताया कि राज्य के अधिकतम खपत वाले समय में बिजली की कमी 15 से 17 फीसदी के आस पास रहती है।
राज्य ने प्रति मेगावाट बिजली को पैदा करने के लिए पांच करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई है। इस तरह से कुल 400 मेगावाट बिजली को पैदा करने के लिए लगभग 25,000 हजार करोड़ रुपये खर्च होगा। अक्षय ऊर्जा को 10 फीसदी तक बढ़ाने के लिए राज्य ने 6 कंपनियों के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
इनमें नई दिल्ली स्थित आर एस इंडिया विंड एनर्जी (3 मेगावाट वाले पीवी योजना को स्थापित करने के लिए) कोलकाता स्थित एस्टोनफील्ड रिन्यूएबल रिसोर्सेज (3 मेगावाट ), नई दिल्ली स्थित एप्रन रिन्यूएबल एनर्जी (2 मेगावाट), एज्यूर पावर इंडिया (2 मेगावाट), ओमेक्स ऑटो एेंंड सेलेक्टो सिस्टम्स (प्रत्येक 1 मेगावाट के लिए)शामिल है।