उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना को 1 अप्रैल से पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने का फैसला किया है। अभी यह योजना प्रदेश के 70 जिलों में से केवल 39 जिलों में ही लागू है।
इस संदर्र्भ में प्रदेश के ग्राम विकास मंत्री दद्दू प्रसाद ने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि 1 अप्रैल से पूरे प्रदेश में लागू हो रही राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना को पूरे राज्य में प्रभावी रुप से लागू करें, ताकि समाज की अंतिम सीढ़ी के व्यक्ति को भी रोजगार के अवसर मिल सकें। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में अभी तक जाब कार्ड बन नही पाए हैं, वहां तत्काल इन्हें बनाने का काम शुरू करना चाहिए।
उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि योजना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र के हर परिवार को कम से कम 100 दिन का रोजगार अवश्य मिले तथा उनकी मजदूरी का भुगतान भी समय से कराया जाए। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत अब एकाउन्ट पेई चेक से भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
दद्दू प्रसाद ने योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए गठित उत्तर प्रदेश राज्य रोजगार गारण्टी परिषद की कल पहली बैठक बुलाई और परिषद के नामित 15 गैर सरकारी सदस्यों से भी आग्रह किया कि वह भी अपने क्षेत्रों में इस योजना के क्रियान्वयन पर कडी रखें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस योजना के क्रियावन्यन में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं करेगी तथा शिकायत मिलने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।
प्रसाद ने कहा कि यह योजना पूरी तरह मांग आधारित है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए रोजगार के व्यापक अवसर निहित हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना को अधिकाधिक व्यवहारिक और पारदर्शी बनाने के लिए सभी लोगों को एकजुट होकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भी प्रदेश में रोजगारपरक कार्यक्रमों को उच्च प्राथमिकता दी है।
सरकार का प्रयास है कि गा्रमीण क्षेत्र में ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर सुलभ हो और वे आर्थिक रुप से समृध्द हो सकें। इसके साथ ही गांव का भी विकास हो। उन्होंने हर ग्राम सभा में कुछ काम अवश्य संचालित करने के निर्देश दिए और योजनान्तर्गत जल संचयन पर विशेष बल देते हुए कहा कि जल संरक्षण आज की महती आवश्यकता हो गई है।
तालाबों के निर्माण एवं कुओं की खुदाई, नहरों की गहराई जैसे कार्यो को विशेष प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने पर्सपैक्टिव प्लान तैयार कराने पर बल देते हुए कहा कि इस कार्य के लिए प्रत्येक जिले में 10 लाख रुपए की व्यवस्था की गई है।