गुजरात में बनेंगे पोत कारखानों के क्लस्टर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 10:40 AM IST

इंजीनियरिंग, फार्मा और रत्न-आभूषण क्षेत्रों में क्लस्टर विकास के मॉडल को प्रोत्साहित करने के बाद अब गुजरात सरकार पोत निर्माण के क्षेत्र में भी इसे आजमाने की कोशिश कर रही है।


राज्य सरकार ने शिपयार्ड यानी जहाज बनाने के कारखानों के क्लस्टर यानी समूह तैयार करने का प्रस्ताव किया है। इनमें आधारभूत ढांचा और अन्य सुविधाओं का साझा किया जाएगा। सरकार अलग से शिपयार्ड परियोजना को प्रोत्साहित करने के बजाय  शिपयार्ड के समूह बनाना चाहती है। इसे मैरीन शिपबिल्डिंग पार्क प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाएगा। इस काम के लिए सात कंपनियों को चुना गया है।

इन कंपनियों को सरकार ने निर्देश दिए हैं कि वे गुजरात के तटीय क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पर धीरे धीरे काम करना शुरू कर दे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार चाहती है कि कंपनियों को कई जगह देने के बजाय किसी एक जगह पर क्लस्टर परियोजना के लिए जगह दी जाए। उन्होंने कहा कि दाहेज और कच्छ की खाड़ी में भी एक मेगा मैरीन शिपयार्ड प्रस्तावित करने की योजना पर विचार चल रहा है।

गुजरात सामुद्रिक बोर्ड (जीएमबी) ने कंपनियों से कहा है कि जिन्हें अभिरुचि पत्र प्राप्त हो गया है, वे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को धीरे-धीरे शुरू कर दे। कुछ समय पहले जीएमबी ने इस काम के लिए दस कंपनियों के नाम प्रस्तावित किए थे। उनमें से जिन सात कंपनियों को चुना गया वे हैं, मर्केटॉर मेक मैरीन, डॉल्फिन ऑफशोर इंटरप्राइजेज (इंडिया), जिंदल वाटरवेज, लाखाजीराज डेवलपर्स, गुजरात शिपबिल्डिंग, मॉडेस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और लीडर शिपयार्ड। कुछ महीने पहले राज्य सरकार ने बिल्लीमोरा की वाडिया बोट बिल्डर्स, गांधीधाम की गुडअर्थ मैरीटाइम और मुंबई की मीनू मैरीन को अभिरुचि पत्र सौंप दिया था।

First Published : July 10, 2008 | 9:43 PM IST