देश के ढलाई कारोबार पर भी अब आर्थिक मंदी की चपेट में आ गया है। मंदी के कारण लगभग 150 इकाइयां बंद हो चुकी हैं और इनमें काम करने वाले करीब 1.5 लाख लोग बेरोजगार हो चुके हैं।
भारतीय ढलाई कारोबार संस्थान के अध्यक्ष आर पी सहगल ने बताया कि बाकी राज्यों के मुकाबले पश्चिम बंगाल के हालात काफी खराब हैं, क्योंकि ज्यादातर कंपनियां इसमें से छोटे एवं लघु उद्योग श्रेणी में थे।
राज्य में लगभग 60 इकाइयां बंद हो चुकी हैं और 40,000-50,000 लोग अपनी नौकरी से हाथ धो चुके हैं।
देश भर में इस उद्योग की 3,000 इकाइयों में से लगभग 150 इकाइयां बंद हो चुकी हैं। सहगल ने बताया कि जो इकाइयां चल रही हैं उनमें भी उत्पादन लगभग 40 फीसदी तक घटा दिया गया है।
आने वाले महीनों में हालात बेहतर होने की उम्मीद है। कुल इकाइयों में से करीब 50 फीसदी इकाइयां ऑटो उद्योग पर ही निर्भर हैं। ब्याज दर कम होने के कारण ऑटो उद्योग की बिक्री बढ़ने पर उद्योग की उम्मीदें टिकी हैं।
साल 2008 की शुरुआत से लेकर अभी तक कच्चे माल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई और जब तैयार माल इकट्ठा हो गया तो उत्पादों के दाम भी घट गए। इस कारण उद्योग को काफी नुकसान हुआ।
सहगल ने बताया, ‘कास्टिंग्स में भारत की निर्यात के जरिए लगभग 1.01 फीसदी हिस्सेदारी है। इसमें भारतीय ढलाई कारोबार के लिए काफी संभावनाएं मौजूद हैं। यहां तक की इस मंदी के दौर में भी भारत इस बाजार में अच्छी खासी हिस्सेदारी बढ़ाकर दोगुनी कर सकता है।’