उत्तराखंड सरकार भागीरथी नदी पर बनने वाली दो प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं का काम फिर से शुरू करने में कोई जल्दबाजी दिखाने के पक्ष में नहीं है।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि पाला मनेरी और भैरोंघाटी जलविद्युत परियोजनाएं दोनों ही काफी संवेदनशील हैं और इस वजह से सरकार लोकसभा चुनावों के पहले इस पर कोई निर्णय लेने का जोखिम नहीं उठाना चाहती।
हालांकि इन दोनों परियोजनाओं का भागीरथी की पारिस्थितिकी पर क्या असर पड़ेगा, इसका पता लगाने के लिए जो उच्च स्तरीय समिति गठित की गई थी, वह अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है।
समिति ने इस रिपोर्ट में अपने सुझाव केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के सुपुर्द कर दिए हैं और इस मामले में अब मंत्रालय को निर्णय लेना है। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार भी इस मसले पर जल्दबाजी में कोई फैसला लेने को तैयार नहीं है। राज्य के एक अधिकारी ने बताया, ‘कोई भी फैसला लेने से पहले रिपोर्ट का विस्तार से अध्ययन किया जाएगा।’
उत्तराखंड जलविद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) इन दोनों जलविद्युत परियोजनाओं का विकास कर रहा था। निगम के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ने भरोसा जताया कि सरकार जल्द ही इस मसले पर कोई फैसला लेगी।
जी डी अग्रवाल जैसे कुछ पर्यावरणविद इस परियोजना को लेकर विरोध जताते रहे हैं। उनका कहना है कि इस परियोजना के विकास से पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा और इसलिए वे इसके खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। इस विरोध के कारण ही राज्य सरकार ने इसके काम पर रोक लगाई थी।