चीन के ओलंपिक समाप्त होने के बाद भी यहां के केमिकल्स कारोबारियों का भय बरकरार है। रुपये की तुलना में डॉलर के मजबूत होने और तैयार माल की मांग न होने के कारण दिल्ली और उत्तर प्रदेश के केमिकल्स कारोबारियों के होश उड़ गए हैं।
दिल्ली की केमिकल मर्चेन्टाइल एसोसिएशन के अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि रुपये के कमजोर होने से हमें आयात में ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर मांग में कमी आने से हमारे कारोबार पर दोतरफा मार पड़ रही है। पेइचिंग ओलंपिक के समय चीन ने पर्यावरण प्रदूषण के डर से केमिक ल्स के निर्यात पर रोक लगा रखी थी।
ऐसे में हमें यूरोपीय देशों से डेढ़ गुना मंहगी कीमत पर केमिकल का आयात करना पड़ रहा था। इससे केमिकल के कच्चे माल की कीमतों में 30 से 35 फीसदी की बढ़ोत्तरी होने के कारण हमारी मांग में उसी अनुपात में कमी आ गई थी। अब जबकि ओलंपिक की समाप्ति के बाद चीन द्वारा निर्यात शुरु किया जा चुका है।
मांग न होने से हमें तैयार माल की कीमतों में कमी करनी पड़ रही है। बची हुई कसर रुपये के कमजोर होने से पूरी हो गई है। हालात ये हैं कि तैयार माल को बेचने के लिए हमें अपने मार्जिन में 60 फीसदी तक की कमी करनी पड़ी है।
दिल्ली में केमिकल्स का कारोबार क रने वाले मुन्ना भाई बताते है कि दिल्ली के आस-पास के औद्योगिक इलाकों में भी केमिकल्स की आपूर्ति रुकी हुई है। ऐसे में विदेशों से मंहगा आयात कर लेने के बाद हमारे माल को खरीदने के लिए उपभोक्ता नहीं मिल रहे हैं। पिछले एक साल में हमारा कारोबार लगभग 50 फीसदी तक घट गया है।
नोएडा स्थित न्यू दिल्ली केमिकल्स कॉर्पोरेशन के अजय ने बताया कि मंदी से सभी उद्योग प्रभावित हैं। ऐसे में पेंट और ऑटोमोबाइल जैसे उद्योग भी केमिकल्स की मांग नहीं कर रहे है।