देश के ग्रामीण क्षेत्रों ने नवंबर में काफी अच्छा प्रदर्शन किया। इन क्षेत्रों में श्रम भागीदारी दर बढ़ी और बेरोजगारी दर में गिरावट आई। इसी कारण रोजगार दर अक्टूबर के 37 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर 2022 में 37.5 प्रतिशत हो गई। रोजगार दर, श्रम बाजार का सबसे महत्त्वपूर्ण संकेतक है और इसमें वृद्धि इस बात की ओर इशारा करती है कि कामकाजी उम्र की आबादी के एक बड़े हिस्से को काम मिल चुका है। रोजगार दर में छोटी वृद्धि भी लाखों नौकरियों में तब्दील हो जाती है। उदाहरण के तौर पर नवंबर में 0.5 प्रतिशत अंक की वृद्धि से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 43 लाख नौकरियां बढ़ गईं।
भारत के शहरी इलाकों का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा क्योंकि जब श्रम भागीदारी दर में वृद्धि हुई तब बेरोजगारी दर भी बढ़ रही थी। नतीजतन रोजगार दर नवंबर 2022 के 34.2 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़कर 34.4 प्रतिशत हो गई। उपभोक्ता धारणा सूचकांक (आईसीएस) नवंबर में ग्रामीण और शहरी भारत के प्रदर्शन के बीच एक समान अंतर को दर्शाता है। हालांकि उपभोक्ता की धारणा के लिहाज से दोनों ही क्षेत्रों में काफी अंतर दिखता है।
भारत के शहरी इलाके के उपभोक्ता धारणा सूचकांक में 1.5 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि देश के ग्रामीण इलाके में इसमें 0.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उपभोक्ता धारणा सूचकांक में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। नवंबर 2022 में आईसीएस में गिरावट दो महीने की तेज वृद्धि के बाद हुई है। आईसीएस पिछले दो महीनों में करीब 11.4 प्रतिशत तक बढ़ा था जब भारत में प्रमुख त्योहारों का दौर था। त्योहारी सीजन के बाद इसमें गिरावट की बात समझ में आती है।
हालांकि दिलचस्प बात यह है कि वृद्धि (11.4 प्रतिशत) की तुलना में गिरावट काफी कम (0.2 प्रतिशत) है। यह अच्छा है कि भारत में उपभोक्ता धारणाओं ने 2022 के त्योहारी महीनों के दौरान मिले सभी लाभ में मजबूती दिखाई। नवंबर में उपभोक्ता धारणा में मजबूती इस उम्मीद पर निर्भर करती है कि अर्थव्यवस्था मध्यम अवधि में भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करेगी। यह विशेष रूप से ग्रामीण भारत के बारे में सही है। दिलचस्प बात यह है कि यह ऐसे आर्थिक माहौल में सुधार पर कम निर्भर होता है जिससे लोगों के निजी जीवन में कुछ अच्छा हो।
परिवारों ने भविष्य में अपनी आमदनी में वृद्धि की उम्मीदें कम कर दी हैं। हालांकि उन्होंने अपनी मौजूदा आर्थिक स्थितियों में सुधार की भी सूचना दी है। मौजूदा आर्थिक स्थिति सूचकांक (आईसीसी) में नवंबर में 1.6 प्रतिशत की गिरावट आई। शहरी भारत में यह गिरावट तेज रही और वर्तमान आर्थिक स्थिति में 3.1 प्रतिशत की गिरावट आई। ग्रामीण क्षेत्रों की मौजूदा आर्थिक स्थिति में भी कमी आई लेकिन इसमें बेहद मामूली कमी दिखी।
उपभोक्ता धारणा सूचकांक के सबसे उपयोगी घटकों में से एक, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की खरीद को लेकर बनने वाली परिवारों की धारणा है। त्योहारी सीजन बीत जाने के बाद भी इस संकेतक में मजबूती बनी हुई है। नवंबर 2022 में उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं को खरीदने के लिए सबसे बेहतर समय बताने वाले परिवारों का अनुपात 18.6 प्रतिशत था। यह अक्टूबर 2022 के 18.4 प्रतिशत के अनुपात से थोड़ा बेहतर है। यह अनुपात सितंबर में 16.2 प्रतिशत था और उससे पहले बहुत कम था।
ग्रामीण क्षेत्रों ने शहरी क्षेत्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। देश के ग्रामीण क्षेत्रों ने सकारात्मकता बढ़ाने की रफ्तार को बनाए रखा है। जिन परिवारों ने कहा कि यह उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं को खरीदने का बेहतर समय है, उनका अनुपात अक्टूबर-2022 के 16.5 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर 2022 में 18.2 प्रतिशत हो गया। हालांकि टिकाऊ उपभोक्ता सामान खरीदने का उत्साह शहरी क्षेत्रों की तुलना में शहरी भारत में अधिक है और 19.5 प्रतिशत शहरी घरों का मानना है कि नवंबर 2021 की तुलना में नवंबर 2022 उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं को खरीदने के लिए बेहतर समय था। यह ग्रामीण भारत के 18.2 प्रतिशत से अधिक है।
लेकिन उपभोक्ताओं का एक दूसरा वर्ग भी था जिनका कहना था कि नवंबर 2021 की तुलना में इस साल का नवंबर महीना, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं को खरीदने के लिए खराब समय था। ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़ी है। ऐसे में यह बात पूरे आत्मविश्वास के साथ नहीं कही जा सकती है कि सभी वर्गों में टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु खरीदने की धारणा में सुधार हुआ है। एक वर्ग ऐसा भी है जिनका मानना है कि उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं को खरीदने के लिए यह न तो बेहतर और न खराब समय है, हालांकि इस तरह के मध्यम वर्ग की तादाद कम हुई है। एक साल पहले की तुलना में टिकाऊ उपभोक्ता सामान खरीदने के लिए इस समय को सबसे खराब समय मानने वाले परिवारों का अनुपात अगस्त और सितंबर 2022 में 33 प्रतिशत से ज्यादा घटकर अक्टूबर में 29 प्रतिशत हो गया था।
नवंबर में यह तादाद फिर से बढ़कर 31 प्रतिशत हो गई। यह एक महत्त्वपूर्ण तेजी है लेकिन यह अब भी अगस्त और सितंबर के स्तर से स्पष्ट रूप से कम है। यह संभव है कि इन घरों में उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं को खरीदने का उत्साह त्योहार के सीजन से मजबूती से जुड़ा हुआ है जो सीजन खत्म होने के बाद कम हो गया है। एक साल पहले की तुलना में आमदनी से जुड़ी धारणाएं अक्टूबर की तुलना में नवंबर 2022 में थोड़ी ठीक हुई हैं। इसी तरह, भविष्य में एक साल में घरेलू आमदनी में सुधार से जुड़ी धारणाओं में भी सुधार आया है। हालांकि, जैसा कि ऊपर कहा गया है, इसके असर से उन लोगों की वृद्धि प्रभावित नहीं हुई जिनका मानना था कि यह उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं को खरीदने का बेहतर समय था। ऐसा लगता है कि उपभोक्ता धारणा सूचकांक ने त्योहारों के महीनों के बाद भी अपने उच्च स्तर को बनाए रखा है क्योंकि शादी के मौसम की शुरुआत हो चुकी है। इसके कुछ महीनों तक चलने की उम्मीद है और इसकी वजह से उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की मांग में तेजी आ सकती है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों से भी उम्मीद दिख रही है क्योंकि रबी फसल की बोआई में अच्छी प्रगति दिख रही है। अधिक उत्पादन और अधिकांश कृषि उपज के लिए ऊंची कीमतें ग्रामीण इलाकों के लिए अच्छी हैं। नवंबर 2022 में उपभोक्ता अपेक्षाओं के ग्रामीण सूचकांक में 1.9 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई थी। इसने नवंबर में उपभोक्ता धारणा सूचकांक में सबसे ज्यादा योगदान दिया।
(लेखक सीएमआईई के एमडी और सीईओ हैं)