अमेरिका की ऑनलाइन मीडिया कंपनी और ब्लॉग नेटवर्क, गॉकर मीडिया वर्ष 2016 में अमेरिका के एक सेवानिवृत्त पेशेवर पहलवान टेरी जीन बोलिया के खिलाफ एक मुकदमा हारने के बाद दिवालियेपन के कगार पर पहुंच गई। टेरी जीन बोलिया को इस अखबार के पाठक शायद ही पहचानेंगे क्योंकि वह अपने रिंग नाम हल्क होगन के नाम से ही जाने जाते हैं।
बाद में पता चला कि बोलिया के मुकदमे की फंडिंग पीटर थिएल ने की थी। बोलिया ने गॉकर पर एक सेक्स टेप प्रकाशित करने के लिए मुकदमा दायर किया था। थिएल, अमेरिका की सिलिकन वैली के एक सम्मानित उद्यमी और निवेशक थे और उनकी गॉकर से इस बात को लेकर नाराजगी थी कि इस मीडिया कंपनी ने नौ साल पहले उनके समलैंगिक होने के बारे में लिखा था।
कई लोग मानते हैं कि गॉकर पहली ऐसी मीडिया कंपनी थी जिसने पत्रकारों को इंटरनेट तकनीक उपकरण का इस्तेमाल करना बताया था। हालांकि, कुछ लोग गॉकर के लिए लिखने वालों को ‘पत्रकार’ कहकर संबोधित करने पर एतराज जता सकते हैं। उन्होंने लेखन और प्रकाशन के चक्र को तोड़ कर नियम बदल दिए जो काफी हद तक प्रिंट पत्रकारिता के ढर्रे पर चल रही थी।
गॉकर के लिए लिखने वाले लोग तो कभी-कभी एक दिन में कई लेख लिख दिया करते थे। उनके कवरेज में उन पपराजी जैसा उत्साह दिखता था जो मशहूर हस्तियों की तस्वीरें लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे। वे लोगों के निजी जीवन में झांकने के लिए ज्यादा उत्सुक थे और उनका जोर उन सवालों को पूछने पर नहीं था जो समाज के लिए महत्त्वपूर्ण और जनहित में हों।
इस मीडिया कंपनी की पूरी कोशिश इस तरह का सनसनीखेज ‘खुलासा’ करने को लेकर थी कि किसी एक मशहूर कंपनी के संस्थापक अपने किसी पूर्व सहयोगी के साथ डेट पर गए या फिर किसी कंपनी के सम्मानित सीईओ, प्लेबॉय हैं या फिर किसी का अपनी शादी से इतर कुछ रोमांस चल रहा था।
गॉकर के मुकदमा हारने के बाद थिएल ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया, ‘मैंने देखा कि गॉकर ने लोगों को धमकाकर ध्यान आकर्षित करने का एक अविश्वसनीय तरीका अपनाया जो गलत था, खासतौर पर तब जब उसका जनहित से कोई संबंध न हो।’
गॉकर अब बंद हो चुका है। इसे दिवालिया होने के बाद बस्टल डिजिटल ग्रुप ने नीलामी में खरीदा था और ग्रुप ने पिछले साल फरवरी में कहा था कि इसे बंद कर दिया जाएगा। हालांकि गॉकर ने जिस तर्ज पर काम करना शुरू किया वह खत्म नहीं हो सकता है।
‘समाचार’ से जुड़ी कई संस्थाएं पनप रही हैं और गॉकर ने जो चीजें कीं या जो करने का इसका इरादा था, उससे ही प्रेरणा लेकर ये संगठन कमाई करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर कुछ भी कारगर नहीं होता तो वे कीवर्ड, खबर की सुर्खियों, क्लिक की तिकड़म जैसी चीजों के सहारे बढ़ने की कोशिश करते हैं। अगर मौका मिले तो इस तरह की खबरिया संस्थाएं कई ऐसे लोगों के बारे में लिखना चाहेंगी जो अपनी बातों को गुप्त रखना पसंद करते हैं।
इस तरह की मीडिया कंपनी इस बात की परवाह नहीं करती है कि इस कहानी का कोई दूसरा पहलू हो सकता है। वे खुद से यह सवाल भी नहीं करते हैं कि कोई कहानी बताए जाने के लायक है या नहीं। वे केवल इस बात की परवाह करते हैं कि उनके पास मौजूद जानकारी का इस्तेमाल किस तरह किया जा सकता है।
हालांकि अच्छी खबर यह है कि कोई समलैंगिक है या नही, अब इस तरह की कहानियां बताने लायक नहीं रह गई हैं। इसकी वजह यह है कि कारोबार और राजनीति से जुड़े दिग्गज लोग अब इसे छिपाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। वे अपने यौनिक रुझान के बारे में खुद ही बता देना चाहते हैं।
हालांकि यह आसान नहीं हो सकता है लेकिन उन्हें इस वैध सवाल से जूझना होगा कि कोई यह सब आखिर क्यों जानना चाहेगा? लेकिन वे इस तरह की खबरें दे ही रहे हैं शायद इसलिए कि आपके बारे में किसी सनसनीखेज रहस्यों पर से पर्दा उठाने का एक बेहतर तरीका यह है कि आप खुद ही बता दें।
34 वर्षीय गेब्रियल एट्टल, फ्रांस के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने लेकिन वह सरकार में पहले गे नेता के रूप में भी जाने गए। हालांकि यूरोपीय संघ में वह पहले ऐसे व्यक्ति नहीं थे। इसमें एक नाम एडगर रिंकेविक्स का भी है जिन्हें लातविया की संसद ने पिछले मई में राष्ट्रपति चुना और वह यूरोपीय संघ के पहले गे राष्ट्राध्यक्ष बने। दिलचस्प बात यह है कि रिंकेविक्स के ज्यादातर सोशल मीडिया प्रोफाइल में उनके समलैंगिक होने की घोषणा से अधिक उनको यूक्रेन समर्थक बताया गया। वर्ष 2014 में उन्होंने गे होने की घोषणा की थी।
जिस समय एट्टल चुने गए, उसी समय ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने अपने लंबे समय के प्रेमी ओलिवर मुल्हेरिन से शादी कर ली। हालांकि अटकलें यह लगाई जा रही थीं कि शादी की तस्वीरें आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के माध्यम से तैयार की गईं हैं।
लेकिन ऑल्टमैन ने खुद एनबीसी न्यूज को भेजे एक संदेश में अपनी शादी की पुष्टि की। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि ऑल्टमैन इस साल 39 साल के हो चुके हैं और उन्होंने 17 साल की उम्र में ही अपने रुझान के बारे में बता दिया था।
तकनीकी क्षेत्र के दिग्गज लोगों में इस तरह का खुलापन केवल ऑल्टमैन तक ही सीमित नहीं है। ऐपल इंक के सीईओ टिम कुक ने 2014 में ब्लूमबर्ग बिजनेसवीक में लिखा था, ‘मुझे समलैंगिक होने पर गर्व है।’
मार्टिन लूथर किंग का हवाला देते हुए, कुक ने समलैंगिक लोगों और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति में सुधार के लिए अपनी भूमिका के बारे में बात करते हुए कहा, ‘मुझे एहसास हुआ है कि व्यक्तिगत गोपनीयता की मेरी इच्छा ने मुझे कुछ और बेहतर करने से रोका है। इसीलिए मैं आज यह सब कह रहा हूं।’
फेसबुक के संस्थापकों में से एक, क्रिस ह्यूज ने 2012 में अपने बॉयफ्रेंड सीन एल्ड्रिज से शादी की। कुछ और भी ऐसे उदाहरण हैं, लेकिन अभी उनकी संख्या बहुत अधिक नहीं है। कुक ने खुलकर अपने समलैंगिक होने की घोषणा की, इसके बावजूद इस तरह की खबरों की कोई बाढ़ नहीं आई।
पिछले जून में प्रकाशित फॉर्च्यून पत्रिका के एक लेख में कहा गया है कि कुक के व्यक्तिगत लेख के बाद से, तीन अन्य एलजीबीटीक्यू रुझान वाले कार्याधिकारी फॉर्च्यून 500 कंपनियों के प्रमुख पदों पर आसीन हुए हैं, इनमें डॉव केमिकल्स के जिम फिटरलिंग, मैसीज के जेफरी जेनेट और लैंड ओ’ लेक्स के बेथ फॉर्ड का नाम शामिल है। यह सब इस बढ़ती हुई समझ के बावजूद है कि कार्यस्थल में विविधता कारोबार के लिए अच्छी होती है।
जो लोग अभी भी उद्योग और तकनीक जगत के दिग्गज गे प्रमुखों की बढ़ती स्वीकृति के बारे में संदेह रखते हैं, उनके लिए द गार्डियन में 9 जनवरी को प्रकाशित फ्रांस के नए प्रधानमंत्री के प्रोफाइल को पढ़ना चाहिए।
इसका शीर्षक है, ‘फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल एट्टल कौन हैं जो रिकॉर्ड समय में शीर्ष पर पहुंचे?’ इसके उप शीर्षक में कहा गया है, ‘फ्रांस के सबसे युवा प्रधानमंत्री का ताल्लुक एक खास परिवार से है जो अपनी अनूठी सोच के लिए जाने जाते हैं।’ गॉकर ऐसे वाकये के लिए लिखता, ‘गेब्रियल तो पूरी तरह से गे हैं।’ हालांकि अब यह कोई मनोरंजन वाला किस्सा नहीं रह गया है।