प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में अत्यंत सटीक ढंग से आतंकवाद पर देश के रुख को सामने रखा। 7 मई के बाद पहली बार अपने सार्वजनिक संबोधन में मोदी ने न केवल भारतीय नागरिकों को बल्कि पूरी दुनिया को यह बता दिया कि ऑपरेशन सिंदूर अब आतंकवाद के विरुद्ध भारत की नीति का हिस्सा है। इस ऑपरेशन की शुरुआत 7 मई को तड़के हुई थी और इसके तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में आतंकी अधोसंरचना को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की प्रतिक्रिया को लेकर एक नया मानक सामने रखा और यह तय किया कि आगे चलकर यही सामान्य रवैया होगा। इस नीति के तीन अहम तत्त्व हैं।
पहला, भारतीय धरती पर हुए किसी भी आतंकी हमले का भारत माकूल जवाब देगा। भारत ऐसी सभी जगहों पर कार्रवाई करेगा जहां आतंकवाद की जड़ें होंगी। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद अपनी कार्रवाई में भारतीय सशस्त्र बलों ने यही किया। भारतीय सैन्य बलों ने पाकिस्तान और पीओजेके के दूरवर्ती इलाकों में स्थित आतंकवादी अधोसंरचनाओं को सटीक ढंग से निशाना बनाया और भारी क्षति पहुंचाई। माना जा रहा है कि इस ऑपरेशन में करीब 100 आतंकी मारे गए। दूसरा, भारत परमाणु हमले के ब्लैकमेल से नहीं डरेगा। पाकिस्तान पारंपरिक युद्ध क्षमताओं में भारत से काफी पीछे है और उसने बार-बार यह दोहराया है कि वह भारत के कदमों के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। पाकिस्तान के परमाणु हथियार समूचे विश्व समुदाय के लिए चिंता का विषय रहे हैं। अनिश्चितता और अस्थिर राजनीति के साथ राज्य और आतंकवाद के गठजोड़ को देखते हुए यह जोखिम तो हमेशा है कि ऐसे हथियार गलत हाथों में चले जाएंगे और इसका परिणाम पूरी दुनिया को भुगतना होगा। तीसरा, भारत राज्य प्रायोजित आतंकवाद और आतंकवाद के वास्तविक मास्टरमाइंड के बीच में भेद नहीं करेगा। हालांकि न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को यह पता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देता है और यह उसकी आधिकारिक नीति है। गत सप्ताह इसका खुलकर प्रदर्शन हुआ जिसे सबने देखा। ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकवादियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी वर्दी में शामिल हुए। ऐसे में आतंकवादियों और एक मुल्क के रूप में पाकिस्तान में अंतर करने की कोई वजह नहीं है।
मोदी ने नीति के तीन मुख्य उद्देश्यों का जिक्र करने के अलावा कई अन्य संबद्ध पहलुओं पर भी बात की जिनका यहां जिक्र करना लाजिमी है। उन्होंने इस विषय में भी बात की कि कैसे भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी सेना के उकसावे का प्रभावी जवाब दिया। भारतीय सैन्य बलों ने पाकिस्तानी रक्षा अधोसंरचना को भारी नुकसान पहुंचाया। खासतौर पर भारतीय वायु सेना ने। ऑपरेशन ने यह भी दिखाया कि भारत की हवाई रक्षा क्षमताएं कितनी मजबूत हैं और वह चाहे तो पाकिस्तान में बहुत भीतर तक जाकर वार कर सकता है। इस बात को लेकर भी बहस चल रही है कि क्या भारत ने बहुत जल्दी इस ऑपरेशन को रोकने की बात मान ली। जैसा कि सोमवार को कहा गया पाकिस्तानी सेना ने भारत के सैन्य अभियान महानिदेशक से संपर्क करके यह प्रस्ताव रखा कि वह आगे से आतंकी या सैन्य गतिविधियों शामिल नहीं होगी। चूंकि भारत ने आतंकी कैंपों को नष्ट कर दिया था और आतंकवादियों को भी मार गिराया था इसलिए उसने इस प्रस्ताव पर विचार करना स्वीकार कर लिया। बहरहाल, यह याद रखा जाना चाहिए कि भारत ने केवल ऑपरेशन को निलंबित किया है।
पाकिस्तान के हर कदम पर सावधानी से नजर रखी जाएगी और आकलन किया जाएगा। हालांकि यह कुछ समय से भारत की रणनीति रही है और सोमवार को इसे ही दोहराया गया। ऐसे में भारत और पाकिस्तान के आगे के रिश्ते पाकिस्तान के इरादों और उसके उठाए कदमों पर निर्भर करेंगे। प्रधानमंत्री ने भारत की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं चल सकते…आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते, पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते।’ दोनों देशों के भविष्य को आकार देने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। उसे आतंकवाद पर अपनी नीति बदलनी होगी। बीते दशकों में इससे आम पाकिस्तानियों को कुछ हासिल नहीं हुआ और आगे भी दुख के सिवा उनको कुछ भी हासिल नहीं होगा।