लेख

Editorial: आत्मनिर्भरता की उड़ान

रक्षा मंत्रालय 56 एचएस-748 एवरो विमानों का बेड़ा पुराना पड़ने के कारण उन्हें बदल रहा है और सी-295 की खरीद इसी सिलसिले में की जा रही है।

Published by
बीएस संपादकीय   
Last Updated- September 18, 2023 | 9:26 PM IST

गत सप्ताह एयरबस डिफेंस ऐंड स्पेस ने भारतीय वायु सेना को 56 सी-295 मझोले परिवहन विमानों में से पहला विमान सौंप दिया। यह विमान उड़ान भरने के लिए तैयार है। रक्षा मंत्रालय 56 एचएस-748 एवरो विमानों का बेड़ा पुराना पड़ने के कारण उन्हें बदल रहा है और सी-295 की खरीद इसी सिलसिले में की जा रही है।

इनमें से पहले 16 विमान स्पेन के सेविले में असेंबल किए जाएंगे और अगस्त 2025 तक भारत को सौंप दिए जाएंगे। शेष 40 सी-295 विमान अगस्त 2031 तक वडोदरा में बनाए और असेंबल किए जाएंगे। यह काम टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के साथ साझेदारी में किया जाएगा। यह पहला मौका है जब रक्षा मंत्रालय किसी निजी कंपनी यानी टीएएसएल की मदद से सेना के विमान को अंतिम तौर पर असेंबल कराएगा।

इसके लिए टीएएसएल को पूरी ऐरोस्पेस औद्योगिक व्यवस्था तैयार करनी होगी। इसमें विनिर्माण, असेंबली, परीक्षण और योग्यता से लेकर आपूर्ति और रखरखाव तक सब शामिल है। रक्षा मंत्रालय ने पहले कहा था कि एयरबस के स्पेन के कारखाने में एक विमान बनाने पर लोग कुल जितने घंटे काम करते हैं, उसका 96 फीसदी काम भारत में टाटा करेगी।

Also read: बुनियादी ढांचा: गैलाथिया खाड़ी में पड़ाव का राष्ट्रीय महत्त्व

इसमें 13,400 बड़े कलपुर्जे, 4,600 सब-असेंबली और सभी सात प्रमुख कलपुर्जों की असेंबली का काम भारत में किया जाएगा। इसके अलावा उपकरण, सांचे और परीक्षण आदि भी इसी में शामिल हैं। एयरबस और भारत सरकार के अधिकारी मानते हैं कि इससे भारतीय वैमानिकी क्षेत्र को प्रेरित करने में मदद मिलेगी और आने वाले दशक में सीधे 15,000 कुशल रोजगार तथा 10,000 परोक्ष रोजगार तैयार होंगे।

प्रदर्शन के मामले में एयरबस सी-295 भारतीय वायु सेना के अन्य दो मझोले लिफ्ट विमानों से काफी बेहतर है। ये विमान हैं ब्रिटिश एचएस-748 एवरो और यूक्रेन-रूस का अंतोनोव-32 यानी एएन-32। सी-295 के दो प्रैट ऐंड व्हिटनी (पीडब्ल्यू-127) टर्बोप्रोप इंजन 71 ट्रृपर्स या वजन सहित 50 ट्रूपर्स को ले जा सकते हैं। इनका इस्तेमाल बुनियादी सुविधाओं के साथ या जीवन रक्षक उपकरणों से युक्त सचल गहन चिकित्सा इकाइयों के जरिये चिकित्सा बचाव कार्य में भी किया जा सकता है।

यह विमान विशेष मिशन पर जा सकता है, आपदा की स्थिति में इस्तेमाल हो सकता है और समुद्री गश्त के काम भी आ सकता है। यह उन जगहों पर सामान पहुंचाने का काम कर सकता है, जहां वायु सेना के भारी मालवाहक विमान नहीं जा सकते। कुल मिलाकर सी-295 जैसे विमान खरीदने के कई फायदे हैं क्योंकि यह कई भूमिकाएं निभा सकता है। यह आपदा राहत जैसे असैन्य कामों में भी इस्तेमाल हो सकता है।

भारत में विमान बनाने वाली कंपनियां नए विमानों के ऑर्डर तो पा ही रही हैं, इंजन के नए ऑर्डर भी हासिल कर रही हैं। ये अनुबंध काफी आकर्षक हैं क्योंकि विमान की कीमत में एक तिहाई कीमत तो इंजन की ही होती है। 12 सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों का ऑर्डर गत सप्ताह हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को दिया गया। इसकी इंजन शाखा को भी 24 इंजन बनाने का ऑर्डर दिया गया।

Also read: राष्ट्र की बात: विपक्षी गठबंधन ‘I.N.D.I.A’ की नाराजगी

एचएएल के पास 220 से अधिक तेजस मार्क 1 और 1ए लड़ाकू विमानों का भी ऑर्डर है। जनरल इलेक्ट्रिक के इतने ही एफ-404 इंजन का ऑर्डर भी उसके पास है। तेजस मार्क 2 के 273 लड़ाकू विमानों से बनी 13 टुकड़ियों का निर्माण भी इन विमानों के लिए जनरल इलेक्ट्रिक के कम से कम 546 एफ-414 इंजनों के साथ ही होगी। 70 एचटीटी-40 प्रशिक्षण विमानों तथा उनके हनीवेल इंजन का ऑर्डर भी है।

हेलीकॉप्टरों की बात करें तो एचएएल दो इंजन वाले ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर्स और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर और एक इंजन वाले हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर तथा उनके लिए इंजन बना रही है।

यही तर्क कलपुर्जों और उड़ान प्रशिक्षण सिम्युलेटर पर भी लागू होता है, जिन्हें एचएएल तैयार कर रही है। इन बातों का अर्थ है विमानन क्षेत्र में हम आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में बढ़ रहे हैं और भारत इस क्षेत्र में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो जाएगा।

First Published : September 18, 2023 | 9:26 PM IST