प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
Year Ender 2025: करीब पांच साल के लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने चार Labour Codes लागू कर दिए हैं। ये लेबर कोड 21 नवंबर 2025 से प्रभावी हो चुके हैं और देश के 29 पुराने लेबर कानूनों को मिलाकर एक नया और आसान ढांचा तैयार किया गया है। लेबर मिनिस्ट्री का कहना है कि 2026 में इन कोड्स से जुड़े नियम जारी होते ही देश के हर मजदूर को न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का फायदा मिलना शुरू हो जाएगा।
श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में कहा कि साल 2025 भारत के लेबर और रोजगार के लिए बदलाव वाला साल रहा है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों के केंद्र में मजदूरों को रखा गया है और चार लेबर कोड लागू होना इस साल की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
मंत्री ने बताया कि 2026 में सरकार इन सुधारों को और आगे ले जाएगी। तकनीक के जरिए सेवाओं को बेहतर बनाया जाएगा और लेबर कोड को जमीन पर सही तरीके से लागू करने पर खास ध्यान दिया जाएगा। खास तौर पर लेबर कोड के नियमों को लागू करना सरकार की प्राथमिकता होगी।
मांडविया के मुताबिक जब ये नियम लागू होंगे तो कानून का असर सीधे काम की जगहों पर दिखेगा। इससे मजदूरों और नियोक्ताओं दोनों के लिए नियम ज्यादा साफ और एक जैसे होंगे। अनिश्चितता कम होगी और कामकाज में स्थिरता आएगी। उनका कहना है कि इससे भारत तेजी से एक आधुनिक, औपचारिक और सभी को साथ लेकर चलने वाले लेबर मार्केट की ओर बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि ये चार लेबर कोड भारत के लेबर सेक्टर में अब तक के सबसे बड़े सुधार हैं। इनका मकसद मजदूरों की भलाई करना, ज्यादा से ज्यादा लोगों को औपचारिक रोजगार से जोड़ना और नौकरियों को बढ़ावा देना है।
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लेबर मिनिस्ट्री 2026 में EPFO 3.0 लाने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड की निकासी और तेज होगी। इसके साथ ही कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत पेंशन तय करने की प्रक्रिया आसान बनेगी और कर्मचारी जमा लिंक्ड बीमा योजना 1976 से जुड़े बीमा क्लेम भी जल्दी निपटाए जा सकेंगे।
मंत्री ने कहा कि EPFO सिस्टम को और आसान बनाया जाएगा ताकि कर्मचारियों को ज्यादा सुविधा मिल सके। प्रोविडेंट फंड निकालने की प्रक्रिया को और सरल करने पर काम किया जाएगा।
इसके साथ ही सरकार प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना पर भी जोर दे रही है। इस योजना पर करीब एक लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और अगले दो साल में करीब 3.5 करोड़ नई नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार का कहना है कि लगातार नीतिगत फोकस की वजह से देश में सामाजिक सुरक्षा का दायरा काफी बढ़ा है। करीब दस साल पहले जहां सिर्फ 19 फीसदी लोग सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आते थे, अब यह आंकड़ा 64 फीसदी से ज्यादा हो गया है। इस उपलब्धि को इंटरनेशनल सोशल सिक्योरिटी एसोसिएशन ने भी मान्यता दी है।
EPFO में प्रोविडेंट फंड निकासी की प्रक्रिया आसान होने से करोड़ों सदस्यों को अपनी बचत तक जल्दी और बिना ज्यादा परेशानी पहुंच मिल रही है। इसके अलावा ई श्रम पोर्टल और नेशनल करियर सर्विस जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म भी अब बड़े स्तर पर काम कर रहे हैं। इनके जरिए मजदूरों तक सामाजिक सुरक्षा और रोजगार से जुड़ी सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं।
मंत्री ने बताया कि इन पहलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है क्योंकि तकनीक के जरिए इतने बड़े पैमाने पर मजदूरों तक पहुंच बनाई जा रही है। सरकार का मानना है कि ये सुधार भविष्य के लिए तैयार वर्कफोर्स और विकसित भारत की नींव रखते हैं।
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जहां सरकार और उद्योग जगत लेबर कोड को सुधार की दिशा में बड़ा कदम बता रहे हैं, वहीं कई केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इनका विरोध किया है। यूनियनों का कहना है कि लेबर कोड मजदूर विरोधी हैं और इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।
22 दिसंबर 2025 को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और अलग अलग सेक्टर की फेडरेशनों की संयुक्त बैठक हुई थी। इसमें 12 फरवरी 2026 को देशभर में आम हड़ताल करने का फैसला लिया गया। यह हड़ताल लेबर कोड और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ होगी, जिनके बारे में यूनियनों का कहना है कि इससे आम लोगों के अधिकारों पर असर पड़ रहा है।
23 दिसंबर 2025 को जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि हड़ताल की तारीख को 9 जनवरी 2026 को दिल्ली में होने वाले नेशनल वर्कर्स कन्वेंशन में औपचारिक मंजूरी दी जाएगी।
यूनियनों का आरोप है कि सरकार लेबर कोड को लागू करने के लिए अपनी पूरी मशीनरी, मीडिया और पब्लिक सेक्टर कंपनियों का इस्तेमाल कर रही है ताकि इनके पक्ष में माहौल बनाया जा सके। उनका कहना है कि मजदूर इन कोड्स को एकतरफा तरीके से थोपे जाने के खिलाफ हैं और इन्हें रद्द कराने के लिए संघर्ष करेंगे।
यूनियन्स ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार लेबर कोड के नियम लागू करने पर आगे बढ़ती है और इन्हें वापस नहीं लेती, तो वे और सख्त कदम उठाने को मजबूर होंगी। इसमें कई दिनों की आम हड़ताल और अलग अलग सेक्टर में विरोध प्रदर्शन भी शामिल हो सकते हैं।
दूसरी ओर उद्योग जगत ने लेबर कोड को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है। CII की नेशनल कमिटी ऑन इंडस्ट्रियल रिलेशंस एंड लेबर के को चेयर और एम्प्लॉयर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (EFI) के प्रेसिडेंट अरविंद गोयल ने PTI से कहा कि साल 2025 भारत के लेबर सुधारों की यात्रा में एक अहम मोड़ साबित हुआ है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने 21 नवंबर 2025 से चार लेबर कोड लागू करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। पुराने 29 कानूनों को मिलाकर बनाए गए ये कोड लेबर नियमों को आधुनिक बनाते हैं, मजदूरों की सुरक्षा मजबूत करते हैं और कारोबार करने में आसानी लाते हैं।
गोयल के मुताबिक लेबर कोड, सामाजिक सुरक्षा का विस्तार और रोजगार से जुड़ी योजनाएं मिलकर भारत को एक ऐसे लेबर सिस्टम की ओर ले जा रही हैं जो भविष्य के लिए तैयार है। अनुपालन का बोझ कम हुआ है, काम करने के नए तरीके सामने आए हैं और सुरक्षा पहले से ज्यादा मजबूत हुई है। उनका कहना है कि इससे मजदूरों की भलाई और कारोबार दोनों को फायदा मिलेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि CII और EFI आगे भी लेबर मिनिस्ट्री के साथ मिलकर इन सुधारों को जमीन पर उतारने में सहयोग करते रहेंगे।