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सावधान! चेक बाउंस होने पर जाना पड़ सकता है जेल

खाते में पर्याप्त धनराशि रखें, चेक विवरण सही और स्पष्ट रूप से भरें और सुनिश्चित करें कि आपका हस्ताक्षर बेमेल न हो।

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बिंदिशा सारंग   
Last Updated- May 30, 2023 | 12:44 PM IST

Cheque Bounce से जुड़ी खबरें फिर सुर्खियों में है। इसकी वजह इससे संबंधित तीन मामलों में अदालत के निर्णयों का एक-एक कर आना है। महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने एक व्यवसायी को तीन महीने के सश्रम कारावास की सजा सुनाई और चेक पर अंकित राशि का दोगुना भुगतान करने का निर्देश दिया। गुजरात की एक महानगरीय अदालत ने एक व्यक्ति को एक साल की जेल की सजा सुनाई है। सिक्किम उच्च न्यायालय ने हाल ही में फैसला सुनाया कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत अपराधों को किसी भी स्तर पर सुलझाया जा सकता है।

चेक बाउंस क्या होता है?

Cheque Bounce या ‘चेक का अनादरण’ तब होता है जब एक अदाकर्ता (जिसके नाम पर चेक काटा गया है) कुछ वजहों से चेक का उपयोग करके पैसे निकालने में असमर्थ होता है। यह निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (एनआई एक्ट), 1881 द्वारा कवर किया गया है, जिसका उद्देश्य बैंक खाते में पर्याप्त धनराशि के बिना चेक जारी करने से रोकना है, और पीड़ित पक्ष को कानूनी उपाय प्रदान करता है।

अपर्याप्त राशि

एनआई एक्ट की धारा 138 में Cheque Bounce होने की दो वजह बतायी गई हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वकील तुषार अग्रवाल कहते हैं, ‘पहला, खाते में अपर्याप्त धनराशि। दूसरा, अगर चेक की राशि खाताधारक द्वारा बैंक के साथ की गई व्यवस्था से अधिक है। दूसरी वजह का तात्पर्य यहां चेक की राशि का खाते की निकासी सीमा से अधिक होने को लेकर है।

समय के साथ कई अन्य वजह सामने आए हैं

बेमेल हस्ताक्षर या नंबर: चेक पर भुगतानकर्ता के हस्ताक्षर और बैंक के पास उपलब्ध नमूना हस्ताक्षर के बीच विसंगति होने पर चेक को अस्वीकार किया जा सकता है। एमवीएसी एडवोकेट्स एंड कंसल्टेंट्स के मैनेजिंग पार्टनर प्रत्यूष मिगलानी कहते हैं, ‘जालसाजी जैसी धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए ऐसा किया जाता है।’

यदि MICR (मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकॉग्निशन) कोड लाइन में दर्ज किया गया चेक नंबर पूर्व-मुद्रित चेक नंबर के अनुरूप नहीं है, तो नंबर बेमेल हो सकता है।

समाप्त या क्षतिग्रस्त चेक: एक चेक आमतौर पर जारी होने की तारीख से तीन महीने के लिए वैध होता है। यदि इस अवधि के बाद प्रस्तुत किया जाता है, तो इसे स्वीकार नहीं किया जाता है।

बैंक क्षतिग्रस्त या कटे-फटे चेक को भी अमान्य घोषित कर सकता है। मिगलानी कहते हैं, ‘चेक से सफलतापूर्वक भुगतान के लिए कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना में रखना चाहिए। मसलन चेक पर दिनांक, भुगतानकर्ता का नाम, राशि और हस्ताक्षर इस तरह से लिखें कि उसे आसानी से पढा जा सके।’

भुगतान रोकने के निर्देश: अगर जारीकर्ता ने चेक जारी करने के बाद बैंक को विवाद, धोखाधड़ी के संदेह, चेक के खो जाने या परिस्थितियों में बदलाव को लेकर भुगतान रोकने का निर्देश दिया है।

कानूनी अंजाम

चेक बाउंस एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत एक दंडनीय अपराध है। एसकेवी लॉ ऑफिस के वकील सुहैल बट्टन कहते हैं, ‘दो साल तक की सजा हो सकती है या अस्वीकृत चेक पर अंकित राशि से दोगुनी राशि तक का जुर्माना लगाया सकता है अथवा दोनों।’

एबीए लॉ ऑफिस की प्रिंसिपल और फाउंडर अनुष्का अरोड़ा कहती हैं, ‘जब मामला निचली अदालत में लंबित हो तो जमानत मिल सकती है। सजा के बाद जमानत की संभावना क्षीण हो जाती है।

कानूनी नोटिस के बारे में, एएसएल पार्टनर्स के प्रबंध भागीदार अभिनय शर्मा बताते हैं, ‘पेई (जिसके नाम पर चेक काटा गया है) बैंक से बाउंस मेमो प्राप्त करने के 30 दिनों के भीतर चेक जारीकर्ता को कानूनी नोटिस भेज सकता है।’

धारा 143ए और 148 को हाल के संशोधनों के माध्यम से जोड़ा गया है। बट्टन कहते हैं, ‘ये ट्रायल या अपीलीय अदालत को मुकदमे के दौरान अंतरिम मुआवजे के भुगतान का निर्देश देने का अधिकार देते हैं। साथ ही चेक जारी करने वाले को दोषसिद्धि को लेकर एक निश्चित न्यूनतम राशि जमा करने के लिए जरूरी निर्देश देने का अधिकार देते हैं।’

सिक्किम हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि एनआई अधिनियम की धारा 138 के तहत अपराधों को किसी भी स्तर पर सुलझाया जा सकता है। इसका मतलब है कि पार्टियां समझौता कर सकती हैं और मामले को अदालत से बाहर सुलझा सकती हैं।

सावधानी के साथ बढ़ें आगे

चेक क्लियर होने तक अपने बैंक खाते में पर्याप्त धनराशि रखें। सभी विवरण सही-सही भरें। यदि कोई संदेह है, तो बैंक से सत्यापित करें कि आपका हस्ताक्षर नहीं बदला है। ओवरराइटिंग से भी बचें। यदि धन की उपलब्धता कोई समस्या है, तो चेक जारी करने के बजाय पेई से संपर्क करें और मामले को हल करें। अदालत के बाहर समझौता करने के लिए सिक्किम उच्च न्यायालय के हाल के फैसले का उपयोग करें।

First Published : May 30, 2023 | 12:44 PM IST