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Women’s Day 2025: क्षेत्रीय असंतुलन के बीच निवेश में महिलाएं आगे

खास यह कि पूर्वोत्तर के मिजोरम, असम और सिक्किम जैसे राज्यों में महिला निवेशकों का आकड़ा 29 प्रतिशत से ऊपर है।

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सचिन मामपट्टा   
Last Updated- March 07, 2025 | 10:35 PM IST

उत्तर भारत में पंजीकृत महिला निवेशकों की हिस्सेदारी 20.5 प्रतिशत, जबकि दक्षिण में यह आंकड़ा 25.9 और पूर्वी भारत में 26.1 प्रतिशत वित्तीय क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। वे म्युचुअल फंड में निवेश कर रही हैं और बैंकों से ऋण ले रही हैं। लेकिन आने वाले समय में उनकी तरक्की का यह सफर क्षेत्रीय असंतुलन के कारण प्रभावित हो सकता है। शनिवार 8 मार्च को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले आई दो रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया गया है।

एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) की क्रिसिल इंटेलिजेंस के साथ मिलकर तैयार की गई ‘द सही जर्नी एम्फी-क्रिसिल फैक्टबुक 2025’ रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच वर्षों के दौरान महिला निवेशकों द्वारा औसत निवेश का आकार 23 प्रतिशत बढ़ा है जबकि इसी अवधि में पुरुषों का निवेश 5 प्रतिशत ही बढ़ा है। 

ट्रांसयूनियन सिबिल और माइक्रोसेव कंसल्टिंग के सहयोग से आई नीति आयोग की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वर्ष 2019 से 2024 के बीच पूंजी उधार लेने के लिए बैंकों एवं एजेंसियों से संपर्क करने वाली महिलाओं की संख्या में तीन गुना इजाफा हुआ है। लेकिन एम्फी के आंकड़े यह भी कहते हैं कि म्युचुअल फंड परिसंपत्ति में व्यक्तिगत निवेशक के मामले में महिलाओं की हिस्सेदारी 2019 से 33 फीसदी पर ही अटकी है। 

‘उधारकर्ता से निर्माता तक: भारत की वित्तीय विकास यात्रा में महिलाओं की भूमिका’ शीर्षक से नीति आयोग की रिपोर्ट के आंकड़े इस बात पर भी प्रकाश डालते हैं कि महिलाओं के निवेश के मामले में कुछ क्षेत्र तो बहुत अच्छी प्रगति कर रहे हैं, लेकिन कुछ की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़े भी इसी रुझान को दर्शाते हैं।

बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के जनवरी तक के आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 में पंजीकृत महिला निवेशकों की संख्या 24.2 प्रतिशत बढ़ी है लेकिन कुछ क्षेत्र इस मामले में पिछड़ गए हैं। उत्तर भारत में पंजीकृत महिला निवेशकों की हिस्सेदारी 20.5 प्रतिशत है जबकि दक्षिण में यह आंकड़ा 25.9 प्रतिशत और पूर्वी भारत में 26.1 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश (18.5 प्रतिशत)और बिहार (15.7 प्रतिशत)के साथ उत्तर भारत के राज्य पीछे हैं। हालांकि,दक्षिण में कर्नाटक और केरल की महिलाओं की भागीदारी 27 प्रतिशत से अधिक है।

खास यह कि पूर्वोत्तर के मिजोरम, असम और सिक्किम जैसे राज्यों में महिला निवेशकों का आकड़ा 29 प्रतिशत से ऊपर है। यह अंतर बैंकिंग स्तर पर भी साफ दिखता है। उदाहरण के लिए तमिलनाडु में ऋण लेने वालों में महिलाओं की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत जबकि उत्तर प्रदेश में यह 23 प्रतिशत ही है। जनसंख्या वृद्धि की सापेक्ष दर के हिसाब से देखें तो वित्तीय रूप से पिछड़े इलाकों में रहने वाली महिलाओं की हिस्सेादारी अगले दशक या उसके बाद ही बढ़ेगी। देश के किसी अन्य हिस्से के मुकाबले उत्तर में महिलाओं की संख्या 2036 में दोगुनी होगी। न केवल निवेश की गई बल्कि कमाई गई रकम भी वित्तीय सशक्तीकरण की राह तैयार करेगी।

नियमित आय या वेतन वाली नौकरी करने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी वर्ष 2023-24 में 15.9 प्रतिशत के साथ सात साल में सबसे निचले स्तर पर दर्ज की गई थी। इस मामले में बिहार और उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन तो 7 प्रतिशत के साथ और भी कमजोर रहा।

First Published : March 7, 2025 | 10:24 PM IST