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Old vs New Tax Regime: भारत में इनकम टैक्स भरने के लिए दो विकल्प (रेजीम) दिए जाते हैं। ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) आपको कई तरह की छूट और कटौतियों का फायदा उठाने की सुविधा देता है। जैसे—बीमा प्रीमियम, होम लोन का ब्याज, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) या ट्रैवल अलाउंस जैसी चीज़ों पर आप टैक्स से छूट ले सकते हैं। इससे आपकी टैक्स देने योग्य इनकम कम हो जाती है।
न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime), जो सेक्शन 115BAC के तहत शुरू किया गया है, इसमें टैक्स की दरें तो कम हैं, लेकिन इसमें ज्यादातर छूट और कटौतियां नहीं मिलतीं। केवल कुछ ही कटौतियों की अनुमति दी जाती है।
हम यहां इन दोनों टैक्स सिस्टम के बीच का अंतर और मिलने वाली छूटों को आसान भाषा में समझा रहे हैं।
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पुरानी टैक्स व्यवस्था में मिलते हैं ये खास टैक्स छूट, जानिए पूरी लिस्ट
अगर आप पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनते हैं, तो आपके पास कई ऐसे टैक्स डिडक्शन और छूट विकल्प होते हैं जो नई व्यवस्था में नहीं मिलते। यहां हम आपको बता रहे हैं उन प्रमुख टैक्स छूटों के बारे में जो पुरानी टैक्स प्रणाली में मिलती हैं:
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नया टैक्स सिस्टम: सिर्फ इन कटौतियों का मिलेगा फायदा, जानिए पूरी लिस्ट
वित्त वर्ष 2024-25 से नए टैक्स सिस्टम में सीमित छूट और कटौतियों की ही अनुमति है। अगर आप नया टैक्स सिस्टम चुनते हैं, तो नीचे दी गई कटौतियां ही लागू होंगी:
जानिए कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है
अगर आप टैक्स सेविंग निवेश करते हैं, हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम भरते हैं, एजुकेशन लोन या होम लोन पर ब्याज चुकाते हैं या HRA/LTA क्लेम करते हैं, तो Old Tax Regime आपके लिए ज़्यादा फायदेमंद हो सकती है। इसमें कई तरह की छूट और कटौतियों का लाभ मिलता है।
वहीं, अगर आप ज़्यादा सरल टैक्स कैलकुलेशन चाहते हैं और ज़्यादातर छूटों को छोड़ सकते हैं, तो New Tax Regime आपके लिए सही विकल्प हो सकती है। इसमें कम स्लैब रेट्स हैं लेकिन ज़्यादातर डिडक्शन नहीं मिलते।
सुझाव: टैक्स सेविंग को लेकर सही फैसला लेने के लिए किसी विशेषज्ञ टैक्स सलाहकार से ज़रूर सलाह लें।