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Old vs New Tax Regime: टैक्स सेविंग की उलझन? ये गाइड बताएगी कौन-सा टैक्स सिस्टम आपके लिए बेस्ट

Old vs New Tax Regime: पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में मिलने वाली छूट, कटौतियां और बचत को समझना आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए फायदेमंद हो सकता है।

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अमित कुमार   
Last Updated- May 03, 2025 | 9:57 AM IST

Old vs New Tax Regime: भारत में इनकम टैक्स भरने के लिए दो विकल्प (रेजीम) दिए जाते हैं। ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) आपको कई तरह की छूट और कटौतियों का फायदा उठाने की सुविधा देता है। जैसे—बीमा प्रीमियम, होम लोन का ब्याज, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) या ट्रैवल अलाउंस जैसी चीज़ों पर आप टैक्स से छूट ले सकते हैं। इससे आपकी टैक्स देने योग्य इनकम कम हो जाती है।

न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime), जो सेक्शन 115BAC के तहत शुरू किया गया है, इसमें टैक्स की दरें तो कम हैं, लेकिन इसमें ज्यादातर छूट और कटौतियां नहीं मिलतीं। केवल कुछ ही कटौतियों की अनुमति दी जाती है।

हम यहां इन दोनों टैक्स सिस्टम के बीच का अंतर और मिलने वाली छूटों को आसान भाषा में समझा रहे हैं।

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पुरानी टैक्स व्यवस्था में मिलते हैं ये खास टैक्स छूट, जानिए पूरी लिस्ट

अगर आप पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनते हैं, तो आपके पास कई ऐसे टैक्स डिडक्शन और छूट विकल्प होते हैं जो नई व्यवस्था में नहीं मिलते। यहां हम आपको बता रहे हैं उन प्रमुख टैक्स छूटों के बारे में जो पुरानी टैक्स प्रणाली में मिलती हैं:

  • धारा 80C: पीपीएफ, ईपीएफ, ईएलएसएस, जीवन बीमा प्रीमियम जैसी निवेश योजनाओं पर सालाना ₹1.5 लाख तक की छूट मिलती है।
  • धारा 80D: हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर ₹25,000 तक की छूट मिलती है। अगर माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं, तो यह सीमा ₹50,000 हो जाती है।
  • धारा 80E: शिक्षा ऋण पर चुकाए गए ब्याज की पूरी राशि पर टैक्स छूट मिलती है। यह छूट अधिकतम 8 वर्षों तक मिलती है, और इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं होती।
  • धारा 80DDB: कुछ विशेष बीमारियों के इलाज में हुए खर्चों पर तय सीमा तक टैक्स छूट मिलती है।
  • धारा 80GG: अगर आपको एचआरए नहीं मिल रहा है, तो किराए पर भी टैक्स छूट मिलती है। यह कुल आय के 10% से अधिक और ₹5,000 प्रति माह या कुल आय के 25% में से जो भी कम हो, उतनी छूट होती है।
  • धारा 80TTA और 80TTB: बचत खाते में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज पर ₹10,000 तक की छूट मिलती है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह छूट ₹50,000 तक है।
  • धारा 80U:दिव्यांग व्यक्तियों के लिए ₹75,000 तक और गंभीर दिव्यांगता की स्थिति में ₹1.25 लाख तक की छूट मिलती है।
  • HRA (धारा 10(13A)): अगर आप किराए के मकान में रहते हैं और सैलरी स्ट्रक्चर में HRA शामिल है, तो इसके तहत भी टैक्स छूट मिलती है।
  • एलटीए (Leave Travel Allowance): भारत के भीतर खुद और परिवार के यात्रा खर्च पर टैक्स छूट मिलती है, जो 4 साल के ब्लॉक में 2 बार ली जा सकती है।

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नया टैक्स सिस्टम: सिर्फ इन कटौतियों का मिलेगा फायदा, जानिए पूरी लिस्ट

वित्त वर्ष 2024-25 से नए टैक्स सिस्टम में सीमित छूट और कटौतियों की ही अनुमति है। अगर आप नया टैक्स सिस्टम चुनते हैं, तो नीचे दी गई कटौतियां ही लागू होंगी:

  • स्टैंडर्ड डिडक्शन (धारा 16(ia)): ₹75,000 की छूट सभी वेतनभोगियों को मिलेगी।
  • एनपीएस में नियोक्ता का योगदान (धारा 80CCD(2)): वेतन का अधिकतम 14% तक योगदान कर मुक्त होगा।
  • नई नौकरियों पर डिडक्शन (धारा 80JJAA): नई भर्ती पर 3 असेसमेंट वर्षों तक अतिरिक्त छूट मिलेगी।
  • अग्निवीर कॉर्पस फंड (धारा 80CCH): इस फंड में जमा राशि पर पूरी छूट उपलब्ध है।
  • स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, ग्रेच्युटी और लीव इनकैशमेंट (धारा 10(10C), 10(10), 10(10AA)): ये छूट तय सीमा तक मिलेंगी।
  • विकलांगों के लिए परिवहन भत्ता, डेली अलाउंस व ऑफिस से जुड़े भत्ते (धारा 10(14)): सिर्फ ड्यूटी के लिए खर्च किए गए वास्तविक खर्चों पर ही छूट मिलेगी।
  • ₹50,000 तक के गिफ्ट पर छूट (धारा 56(2)(x)): अगर पूरे साल में ₹50,000 तक के गिफ्ट मिले हैं, तो उन पर टैक्स नहीं लगेगा।
  • रेंटल इनकम पर ब्याज की छूट (धारा 24(b)): किराए से प्राप्त संपत्ति पर दिए गए लोन के ब्याज पर छूट जारी रहेगी।

जानिए कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है

अगर आप टैक्स सेविंग निवेश करते हैं, हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम भरते हैं, एजुकेशन लोन या होम लोन पर ब्याज चुकाते हैं या HRA/LTA क्लेम करते हैं, तो Old Tax Regime आपके लिए ज़्यादा फायदेमंद हो सकती है। इसमें कई तरह की छूट और कटौतियों का लाभ मिलता है।

वहीं, अगर आप ज़्यादा सरल टैक्स कैलकुलेशन चाहते हैं और ज़्यादातर छूटों को छोड़ सकते हैं, तो New Tax Regime आपके लिए सही विकल्प हो सकती है। इसमें कम स्लैब रेट्स हैं लेकिन ज़्यादातर डिडक्शन नहीं मिलते।

सुझाव: टैक्स सेविंग को लेकर सही फैसला लेने के लिए किसी विशेषज्ञ टैक्स सलाहकार से ज़रूर सलाह लें।

 

First Published : May 3, 2025 | 9:57 AM IST