प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels
Unified Pension Scheme: 1 अप्रैल, 2025 से भारत सरकार एक नई पेंशन योजना शुरू करने जा रही है, जिसका नाम है यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)। यह योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए बनाई गई है और इसका मकसद रिटायरमेंट के बाद उन्हें आर्थिक सुरक्षा देना है। इस स्कीम के तहत कुछ खास शर्तों को पूरा करने वाले कर्मचारियों को उनकी औसत बेसिक सैलरी का 50% हिस्सा पेंशन के रूप में मिलेगा। लेकिन सवाल यह है कि यह 50% गारंटीड पेंशन आखिर किस-किस को मिलेगी? आइए, इसकी पूरी कहानी को आसान शब्दों में समझते हैं।
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम क्या है और यह पुरानी योजनाओं से कैसे अलग है। अभी तक ज्यादातर केंद्रीय सरकारी कर्मचारी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत आते हैं। इस सिस्टम में कर्मचारी और सरकार दोनों अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा पेंशन फंड में डालते हैं, और रिटायरमेंट के बाद जो पैसा मिलता है, वह बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। यानी, इसमें कोई गारंटी नहीं थी कि रिटायरमेंट के बाद कितनी पेंशन मिलेगी। कई कर्मचारियों को यह शिकायत थी कि बाजार में उतार-चढ़ाव की वजह से उनकी पेंशन अनिश्चित रहती है। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाने का फैसला किया।
इस नई स्कीम को पिछले साल 24 अगस्त, 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। सरकार का कहना है कि यह योजना करीब 23 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को फायदा पहुंचाएगी। अगर राज्य सरकारें भी इसे अपनाती हैं, तो यह संख्या 90 लाख तक जा सकती है। लेकिन इस स्कीम की सबसे खास बात यह है कि इसमें 50% पेंशन की गारंटी दी जा रही है, बशर्ते कर्मचारी कुछ शर्तों को पूरा करें। अब इन शर्तों को समझना जरूरी है, ताकि यह साफ हो सके कि कौन इस फायदे का हकदार होगा।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत 50% गारंटीड पेंशन लेने के लिए सबसे बड़ी शर्त यह है कि कर्मचारी को कम से कम 25 साल की नौकरी पूरी करनी होगी। इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई कर्मचारी 25 साल तक केंद्रीय सरकार के लिए काम करता है, तो उसे रिटायरमेंट के बाद अपनी औसत बेसिक सैलरी का 50% हिस्सा पेंशन के रूप में मिलेगा। यह औसत सैलरी पिछले 12 महीनों की बेसिक सैलरी को जोड़कर निकाली जाएगी। मसलन, अगर किसी कर्मचारी की रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी 60,000 रुपये महीना है, तो उसे हर महीने 30,000 रुपये पेंशन मिलेगी। यह एक निश्चित राशि होगी, जिसमें बाजार के जोखिम का कोई असर नहीं होगा।
लेकिन अगर किसी कर्मचारी ने 25 साल से कम नौकरी की है, तो क्या होगा? ऐसे में भी पेंशन मिलेगी, लेकिन वह 50% से कम होगी। सरकार ने यह साफ किया है कि 10 साल से 25 साल तक नौकरी करने वालों को उनकी सर्विस के हिसाब से आनुपातिक (proportionate) पेंशन दी जाएगी। उदाहरण के लिए, अगर किसी ने 15 साल काम किया है, तो उसे 25 साल की पूरी पेंशन का 60% हिस्सा मिलेगा। यानी, अगर 25 साल की पेंशन 30,000 रुपये बनती है, तो 15 साल की सर्विस के लिए करीब 18,000 रुपये महीना पेंशन मिल सकती है। साथ ही, कम से कम 10 साल की नौकरी करने वाले हर कर्मचारी को न्यूनतम 10,000 रुपये महीने की पेंशन की गारंटी दी गई है।
अब यह सवाल उठता है कि यह स्कीम किन कर्मचारियों पर लागू होगी। न्यूज वेबसाइट फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिफाइड पेंशन स्कीम उन केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए है, जो अभी नेशनल पेंशन सिस्टम में शामिल हैं और इस नई स्कीम को चुनते हैं। यानी, यह स्कीम ऑप्शनल है। अगर कोई कर्मचारी एनपीएस में ही रहना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है। लेकिन एक बार यूपीएस चुन लिया, तो वापस एनपीएस में नहीं जाया जा सकता। यह नियम नए कर्मचारियों पर भी लागू होगा, जो 1 अप्रैल, 2025 के बाद नौकरी शुरू करेंगे। उन्हें भी यह चुनने का मौका मिलेगा कि वे एनपीएस चाहते हैं या यूपीएस।
एक और खास बात यह है कि जो कर्मचारी 31 मार्च, 2025 से पहले रिटायर हो चुके होंगे, वे भी इस स्कीम का फायदा ले सकते हैं। सरकार ने कहा है कि ऐसे कर्मचारियों को बकाया राशि दी जाएगी, जिसमें पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) की ब्याज दर के हिसाब से इंटरेस्ट भी जोड़ा जाएगा। इससे उन रिटायर्ड कर्मचारियों को भी राहत मिलेगी, जो एनपीएस के तहत कम पेंशन की चिंता कर रहे थे।
अब बात करते हैं कि इस स्कीम में पैसा कहां से आएगा। यूनिफाइड पेंशन स्कीम में कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 10% हिस्सा देना होगा। दूसरी तरफ, सरकार का योगदान पहले के 14% से बढ़ाकर 18.5% कर दिया गया है। यानी, सरकार हर कर्मचारी की सैलरी का 18.5% हिस्सा पेंशन फंड में डालेगी। इससे फंड मजबूत होगा और पेंशन की गारंटी दी जा सकेगी। इसके अलावा, एक अलग पूल्ड फंड भी बनाया जाएगा, जिसमें सरकार अतिरिक्त 8.5% योगदान देगी। यह पैसा लंबे समय तक स्कीम को चलाने में मदद करेगा।
इस स्कीम का एक और फायदा यह है कि यह महंगाई से जुड़ी हुई है। यानी, जैसे-जैसे महंगाई बढ़ेगी, पेंशन में भी बढ़ोतरी होगी। यह बढ़ोतरी ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स (AICPI-IW) के आधार पर होगी, जो मौजूदा कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते को तय करने में इस्तेमाल होता है। इससे रिटायर्ड कर्मचारियों की खरीदने की ताकत (purchasing power) बनी रहेगी।
परिवार को भी इस स्कीम से फायदा होगा। अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को उसकी पेंशन का 60% हिस्सा मिलेगा। मिसाल के तौर पर, अगर किसी की पेंशन 30,000 रुपये महीना थी, तो उसके परिवार को 18,000 रुपये महीना मिलेगा। यह परिवार पेंशन भी महंगाई के हिसाब से बढ़ती रहेगी।
हालांकि, यह स्कीम सिर्फ केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए है। निजी क्षेत्र के कर्मचारी या बैंक कर्मचारी इसके दायरे में नहीं आएंगे। साथ ही, सशस्त्र बलों के कर्मचारी भी इससे बाहर रहेंगे, क्योंकि उनके लिए अलग पेंशन नियम हैं। राज्य सरकारें चाहें तो इस स्कीम को अपने कर्मचारियों के लिए लागू कर सकती हैं, लेकिन यह उनकी मर्जी पर निर्भर करेगा।
कुछ लोग यह भी जानना चाहते हैं कि क्या यूनिफाइड पेंशन स्कीम पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) से बेहतर है। ओपीएस में कर्मचारियों को अपनी आखिरी सैलरी का 50% हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता था, और इसमें कोई योगदान देने की जरूरत नहीं थी। लेकिन सरकार का मानना था कि यह सिस्टम लंबे समय तक चलने लायक नहीं है, क्योंकि सारा खर्च सरकार को उठाना पड़ता था। यूपीएस में कर्मचारी और सरकार दोनों योगदान देते हैं, जिससे यह ज्यादा टिकाऊ है।
कुल मिलाकर, यूनिफाइड पेंशन स्कीम उन कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है, जो रिटायरमेंट के बाद निश्चित आय चाहते हैं। 25 साल की नौकरी करने वाले केंद्रीय सरकारी कर्मचारी, जो एनपीएस में हैं और इस स्कीम को चुनते हैं, वे 50% गारंटीड पेंशन के हकदार होंगे। इसके अलावा, 10 साल से ज्यादा सर्विस वाले कर्मचारियों को भी न्यूनतम पेंशन का भरोसा दिया गया है। यह स्कीम न सिर्फ कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा देगी, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी एक मजबूत सहारा बनेगी। 1 अप्रैल से शुरू होने वाली यह योजना सरकारी कर्मचारियों के भविष्य को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।