बिटकॉइन के लिए हर चार साल पर होने वाला ‘हाल्विंग इवेंट’ यानी आधा कर देने का कार्यक्रम इसी 19 अप्रैल को हुआ और इसका माइनिंग रिवॉर्ड 50 फीसदी कम हो गया। इस घटना के बाद बिटकॉइन ब्लॉकचेन पर एक नए ब्लॉक का माइनिंग रिवॉर्ड भी 6.25 से कम होकर 3.125 बिटकॉइन हो गया। एक साल पहले करीब 27,500 डॉलर से बिटकॉइन अब करीब 63,500 डॉलर पर कारोबार कर रहा है।
बीते कुछ वर्षों के दौरान बिटकॉइन की कीमतों में करीब 131 फीसदी उछाल के दो कारण थे। पहला हाल्विंग की घटना है। बिटकॉइन अब तक ऐसे चार हाल्विंग की घटना से गुजरा है जिनमें प्रत्येक के बाद इसकी कीमतें बढ़ी हैं। इसकी उम्मीद में निवेशकों ने उसमें पहले ही निवेश किया जिससे कीमतों में तेजी आई।
मुद्रेक्स के मुख्य कार्य अधिकारी और सह-संस्थापक एडुल पटेल ने कहा, ‘बिटकॉइन की कीमतों में ऐसे संयोगों का प्रभाव पहले से ही शामिल है।’ साल 2024 में अमेरिका में स्पॉट एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की शुरुआत इसकी कीमतों में उछाल का दूसरा बड़ा कारण है। इस कारण से संस्थागत भागीदारी को भी बढ़ावा मिला है।
कॉइन स्विच वेंचर्स के इन्वेस्टमेंट लीड पार्थ चतुर्वेदी ने कहा, ‘सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) से स्पॉट बिटकॉइन को मंजूरी मिलने के बाद संस्थानों से बड़े पैमाने पर मांग आई।’
बिटकॉइन के पक्ष में काम करने का एक बड़ा कारण इस पर नकदी का कोई असर न होना है। समय-समय पर हाल्विंग की घटना से आपूर्ति कम हो जाती है। चतुर्वेदी ने कहा, ‘मौजूदा हाल्विंग की घटना के बाद हर ब्लॉक से 3.125 बिटकॉइन जारी किए जाएंगे। ऐसे समय में जहां केंद्रीय बैंकों द्वारा रुपये की अधिक छपाई से मुद्राओं का अवमूल्यन हो रहा है बिटकॉइन की निश्चित और घटती आपूर्ति इसे निवेशकों के लिए मूल्य का एक आदर्श भंडार बनाती हैं।’
उनके अनुसार, हाल में बिटकॉइन के लिए स्पॉट ईटीएफ के जरिये अमेरिका में संस्थागत पूंजी प्रवाह और अगले सप्ताह हॉन्गकॉन्ग में स्पॉट ईटीएफ पेश होने सकारात्मक पक्ष होगा।
कई निवेशक भारी मूल्य वृद्धि का लाभ लेने के लिए मुनाफावसूली कर सकते हैं। पटेल ने कहा, ‘दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा मुनाफावसूली से बिटकॉइन की कीमतों में गिरावट आ सकती है।’ बिटकॉइन की कीमतें भू-राजनीतिक तनाव, ब्याज दरों में बदलाव और अमेरिका में चुनाव से भी प्रभावित हो सकती है। बिटकॉइन नेटवर्क के क्रैश होने से एक और संभावित जोखिम खड़ी हो सकती है।
चतुर्वेदी ने कहा, ‘अपने पूरे इतिहास में बिटकॉइन का नेटवर्क सिर्फ एक बार गिरा है वह भी शुरुआती दिनों में। उस तरह की घटना कीमतों को प्रभावित कर सकती है।’
क्रिप्टोकरेंसी अस्थिरता का पर्याय है। बाजार में उतार-चढ़ाव से नुकसान की आशंका भी बढ़ जाती है। निवेशकों को भी हैकिंग का शिकार होने का खतरा रहता है। इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी नियामकीय ग्रे क्षेत्र में रहता है।
बियॉन्ड लर्निंग फाइनैंस के संस्थापक और सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर जिनल मेहता ने कहा, ‘भारत में भले ही कोई निवेशक अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदंड को पूरा किए बिना क्रिप्टोकरेंसी में निवेश नहीं कर सकता है मगर इस परिसंपत्ति वर्ग को किसी भी नियामक से मान्यता नहीं मिली है। उनमें निवेश कर के निवेशक एक बड़ा जोखिम उठाता है। अगर कुछ गलत होता है तो उन्हें नियामक से कोई मदद नहीं मिलेगी।’
कुछ निवेशकों का मानना है कि बिटकॉइन में तेजी अभी शुरू हुई है। वजीर एक्स के उपाध्यक्ष राजगोपाल मेनन ने कहा, ‘तेजी शुरू होते ही क्यों बेचना? लंबी अवधि के बारे में सोचें और निवेशित रहें।’ चतुर्वेदी लंबी अवधि के साथ निवेशित रहने का सुझाव देते हैं।
उन्होंने कहा, ‘बिटकॉइन ने हमेशा उन निवेशकों को भारी रिटर्न दिया है जिन्होंने इसमें कम से कम चार वर्षों तक निवेश किया है।’ बाजार का अंदाजा लगाने की कोशिश करने के बजाय शुरुआती निवेशकों को डॉलर-लागत अनुशासित रणनीति (हर माह समान राशि की खरीदारी) अपनानी चाहिए। मेनन ने कहा, ‘छोटी रकम से शुरुआत करें। अगले दशक तक हर हफ्ते 2 हजार रुपये के साथ। हर गिरावट के साथ आपको अधिक बिटकॉइन खरीदने का मौका मिलेगा।’
वित्तीय विशेषज्ञ क्रिप्टोकरेंसी में अधिकतम 10 फीसदी निवेश की सलाह देते हैं। मौजूदा निवेशकों को अपने आवंटन की जांच करनी चाहिए। अगर उन्होंने बिटकॉइन में ज्यादा निवेश कर दिया है उन्हें थोड़ी मुनाफावसूली कर उसे पुनर्संतुलन करना चाहिए। किसी लक्ष्य के करीब पहुंचने वाले निवेशकों को भी ऐसा ही करना चाहिए।
मेनन ने कहा, ‘अगर आपको कोई खास जरूरत है, जैसे घर के लिए डाउन पेमेंट करना है अथवा आपको अधिक मुनाफा दिख रहा है तो आप थोड़ा पैसा निकाल सकते हैं।’