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PF vs Personal Loan: अचानक पैसों की जरूरत पड़ने पर सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि क्या भविष्य निधि (PF) से रकम निकाली जाए या बैंक से पर्सनल लोन लिया जाए? दोनों ही विकल्प तुरंत नकदी उपलब्ध कराते हैं, लेकिन इनके असर और मकसद अलग-अलग हैं।
फिनैक बाय AKSSAI ProjExel के डायरेक्टर अनिल के. शर्मा के मुताबिक, पीएफ से पैसा निकालना सस्ता पड़ता है क्योंकि इसमें ब्याज नहीं देना होता। हालांकि, इसका सीधा असर आपकी रिटायरमेंट सेविंग्स पर पड़ता है और कंपाउंडिंग का लाभ कम हो जाता है। यानी लंबे समय में यह आपकी वित्तीय सुरक्षा को कमजोर कर सकता है।
Scripbox के मैनेजिंग पार्टनर सचिन जैन बताते हैं कि पीएफ असल में आपकी रिटायरमेंट बचत है, जिसमें हर महीने कर्मचारी और नियोक्ता का योगदान शामिल होता है। इस पर 8.25% तक ब्याज मिलता है, जो सरकारी गारंटी के साथ आता है और पूरी तरह टैक्स-फ्री है। हालांकि, इसकी निकासी पूरी तरह लचीली नहीं होती और इसे सिर्फ कुछ स्थितियों में ही निकाला जा सकता है—जैसे मेडिकल इमरजेंसी, बच्चों की पढ़ाई या शादी।
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पर्सनल लोन लेने पर ब्याज दरें काफी ऊंची होती हैं—आमतौर पर 14% से 24% तक। यह बिना किसी गारंटी (Unsecured Loan) का होता है और किसी भी जरूरत के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, इसकी ऊंची EMI मासिक बजट और कैश फ्लो पर भारी पड़ सकती है।
अनिल के. शर्मा का कहना है कि अगर आपकी ईएमआई चुकाने की क्षमता मजबूत है, तो पर्सनल लोन लेना बेहतर है क्योंकि इससे आपका पीएफ फंड सुरक्षित रहता है और भविष्य के लिए लगातार बढ़ता रहता है। लेकिन अगर जरूरत तात्कालिक है और रकम कम है, तो पीएफ से निकासी एक आसान विकल्प बन सकता है।
सचिन जैन का मानना है कि लागत की तुलना में पीएफ से निकासी पर्सनल लोन की तुलना में सस्ती है, लेकिन इसकी शर्तें और सीमाएं इसे रोजमर्रा के खर्चों के लिए अनुपयुक्त बनाती हैं। वहीं, पर्सनल लोन लचीलापन देता है लेकिन महंगा साबित हो सकता है।
निष्कर्ष- विशेषज्ञों का कहना है कि फैसला आपकी स्थिति, ज़रूरत की तात्कालिकता, ईएमआई चुकाने की क्षमता और लंबे समय के वित्तीय लक्ष्य पर निर्भर होना चाहिए। पीएफ को हमेशा आखिरी विकल्प के तौर पर ही देखा जाना चाहिए, जबकि पर्सनल लोन तभी लें जब आय स्थिर हो और ईएमआई चुकाना बोझ न बने।