नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System) यानी एनपीएस (NPS) एक ऐसी पेंशन और लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट स्कीम है, जहां आपके द्वारा जमा धनराशि का एक्सपोजर इक्विटी और डेट दोनों में है। इस स्कीम के तहत अकाउंट होल्डर को रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त (लंप सम) राशि तो मिलती ही है, साथ ही नियमित पेंशन भी मिलती है।
इस स्कीम पर ट्रिपल टैक्स बेनिफिट (EEE) यानी इन्वेस्टमेंट, रिटर्न और मैच्योरिटी तीनों पर टैक्स में छूट है। ज्यादातर लोग अब भी यही समझते हैं कि इस स्कीम में रिटायरमेंट से पहले किसी तरह की निकासी (withdrawal) का प्रावधान नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं है। आप कुछ खास परिस्थितियों या कुछ खास जरूरतों की पूर्ति के लिए इस स्कीम से कुछ शर्तों के साथ आंशिक निकासी (partial withdrawal) कर सकते हैं।
पेंशन फंड रेगुलेटरी और डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने नेशनल पेंशन सिस्टम से आंशिक निकासी को लेकर इस साल कुछ नए नियम भी जारी किए हैं। इसमें से एक वैसे एनपीएस अकाउंट होल्डर्स के लिए है जो केंद्र, राज्य और केंद्रीय स्वायत्त निकाय (Central Autonomous Bodies) के कर्मचारी हैं।
इन एनपीएस अकाउंट होल्डर्स को एक जनवरी 2023 से आंशिक निकासी को लेकर आवेदन संबंधित नोडल कार्यालयों (nodal offices) में जमा कराना होगा। इससे पहले पेंशन रेगुलेटर PFRDA ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर 14 जनवरी 2021 को इन एनपीएस ग्राहकों को सेल्फ डिक्लेरेशन (self-declaration) के जरिए आंशिक निकासी के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने की अनुमति दी थी।
जबकि, प्राइवेट सेक्टर के एनपीएस सब्सक्राइबर्स को सेल्फ डिक्लेरेशन के जरिए आंशिक निकासी की ऑनलाइन सुविधा मिलती रहेगी।
7 सितंबर 2023 को PFRDA की तरफ से जारी एक अन्य सर्कुलर के मुताबिक एनपीएस से आंशिक निकासी की समय सीमा को टी+4 से घटाकर टी+2 कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि आंशिक निकासी की प्रक्रिया (रिक्वेस्ट के दिन से लेकर लेनदेन के निपटान तक) को पूरी होने में पहले जहां चार दिन लगते थे वहां अब दो दिन ही लगेंगे। इससे एनपीएस अकाउंट होल्डर्स का समय बचेगा।
अब एनपीएस से आंशिक निकासी के नियमों को एक-एक कर समझते हैं:
आंशिक निकासी कब?
– बच्चों (कानूनी रूप से गोद लिए या अपने बच्चे) की उच्च शिक्षा के लिए।
– बच्चों की शादी के लिए।
– आवासीय मकान/फ्लैट की खरीदी या निर्माण के लिए। लेकिन अगर आपके पास पैतृक घर के अलावा कोई और घर या फ्लैट है तो आपको आंशिक निकासी की सुविधा नहीं मिलेगी।
– अपना, अपने जीवन साथी, बच्चों व माता-पिता (अगर आप पर आश्रित हैं) की कुछ खास गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, किडनी फेल्योर, ऑर्गन ट्रांसप्लांट, बाईपास सर्जरी, स्ट्रोक, कोमा, अंधापन, लकवा आदि के इलाज के लिए।
– सेल्फ डेवलपमेंट एक्टिविटी / खुद के स्किल डेवलपमेंट / रीस्किलिंग या अपना वेंचर या स्टार्टअप शुरू करने के लिए।
– अपंगता / अक्षमता की स्थिति में इलाज के लिए।
आंशिक निकासी की लिमिट कितनी?
आंशिक निकासी आप तभी कर सकते हैं जब आपको इस स्कीम को ज्वॉइन किए हुए कम से कम तीन वर्ष हो गए हों। 10 अगस्त 2017 से पहले यह समय सीमा 10 वर्ष की थी।
दूसरी बात यह कि आंशिक निकासी के लिए आवेदन करने की तिथि तक आपका जो कुल योगदान (contribution) होगा, उसकी अधिकतम 25 फीसदी राशि ही निकाल सकते हैं। ध्यान रहे कि 25 फीसदी आंशिक निकासी की राशि की गणना में नियोक्ता (employer) द्वारा किए गए योगदान को शामिल नहीं किया जाता है। एनपीएस में सब्सक्राइबर बेसिक सैलरी प्लस डीए का अधिकतम 10 फीसदी ही योगदान कर सकते हैं। आंशिक निकासी की राशि पूरी तरह टैक्स-फ्री है।
आंशिक निकासी की सुविधा कितनी बार?
सब्सक्रिप्शन पीरियड के दौरान आप एनपीएस से ज्यादा से ज्यादा तीन बार आंशिक निकासी कर सकते हैं। लेकिन हर बार निकासी आपके द्वारा किए गए कुल योगदान राशि की 25 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा। दो निकासी के बीच न्यूनतम अंतराल (minimum time gap) जैसा कोई प्रावधान नहीं है। 10 अगस्त 2017 से पहले एक निकासी के 5 वर्ष बाद ही दूसरी निकासी का प्रावधान था। पर अब ऐसी कोई बाध्यता नहीं है।
टियर-2 अकाउंट से निकासी
टियर-2 अकाउंट से कभी भी और कितनी भी निकासी की जा सकती है। 1 अप्रैल 2020 से लागू प्रावधान के मुताबिक, केंद्रीय सरकारी कर्मचारी (central government employees) अगर टियर-2 अकाउंट पर 80C का फायदा लेना चाहते हैं तो उन्हें कम से कम तीन वर्ष के बाद ही आंशिक निकासी की इजाजत होगी।
गौरतलब है कि बजट 2019-20 में सरकार ने सेक्शन 80C के सब-सेक्शन (2) में क्लॉज (xxv) जोड़ा था, जिसके मुताबिक 1 अप्रैल 2020 से 80CCD के तहत टियर-2 एनपीएस अकाउंट में किए गए योगदान पर आप 80C के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक की निवेश की राशि (डिडक्शन के अन्य विकल्पों सहित) पर टैक्स में छूट प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि निवेश का लॉक-इन पीरियड कम से कम तीन साल हो। इस प्रावधान का फायदा फिलहाल सिर्फ केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को है।
वैसे टियर-2 अकाउंट कोई भी टियर-1 अकाउंट खुलवाने वाला शुरू कर सकता है। कहने का मतलब यह है कि टियर-2 अकाउंट जरूरी नहीं है, यानी स्वैच्छिक (voluntary) है। टियर-2 अकाउंट में निवेशक अपनी मर्जी से जितना चाहे उतना निवेश कर सकता है या फंड निकाल भी सकता है।