प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pixabay
नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने एक मामले में फैसला सुनाया है कि अगर दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, तो बीमा कंपनी कानूनी रूप से क्लेम देने से मना कर सकती है। इस मामले में, शिकायतकर्ता का वाहन पॉलिसी टाइम के दौरान एक दुर्घटना में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और उसे नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से बीमा प्राप्त था। इस हादसे में ड्राइवर की मृत्यु हो गई। इसके बाद बीमा कंपनी ने क्लेम यह कहकर खारिज कर दिया कि ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस खत्म हो चुका था।
मध्य प्रदेश के गुना जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को क्लेम की 75 प्रतिशत राशि देने का आदेश दिया था। लेकिन, राज्य आयोग ने इस फैसले को पलट दिया। NCDRC ने भी राज्य आयोग के फैसले को सही ठहराया और कहा कि वैध ड्राइविंग लाइसेंस न होना बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है।
लाइसेंस की टाइम खत्म: मोटर वाहन अधिनियम, 2019 के तहत लाइसेंस रिन्यू करने के लिए 30 दिन की छूट अवधि दी जाती है, लेकिन इस दौरान भी बिना रिन्यू किए गाड़ी चलाना गैरकानूनी है। डिजिट इंश्योरेंस के मोटर क्लेम प्रमुख नारायण राव कहते हैं, “लाइसेंस खत्म होने के बाद तुरंत रिन्यू करना चाहिए और तब तक गाड़ी नहीं चलानी चाहिए। अगर लाइसेंस समाप्त होने पर दुर्घटना होती है, तो बीमा कंपनी कवरेज देने से मना कर सकती है।”
गलत लाइसेंस: ड्राइविंग लाइसेंस उस वाहन की श्रेणी से मेल खाना चाहिए। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के मोटर डिस्ट्रीब्यूशन प्रमुख सुभाषीष मजूमदार कहते हैं, “हल्के मोटर वाहन का लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति ट्रक या बस नहीं चला सकता। गलत लाइसेंस के साथ गाड़ी चलाने पर क्लेम अमान्य हो सकता है।”
पॉलिसी और RC में अंतर: बीमा पॉलिसी और वाहन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) में नाम एक ही होना चाहिए। मजूमदार कहते हैं, “अगर RC और पॉलिसी में नाम अलग हैं, जैसे कि वाहन बिक्री के बाद, तो बीमा कंपनी क्लेम खारिज कर सकती है क्योंकि बीमित व्यक्ति का हित साबित नहीं होता।”
दुर्घटना की देरी से सूचना: दुर्घटना की सूचना देने की कोई निश्चित समय सीमा नहीं है, लेकिन देरी से क्लेम स्वीकृति प्रभावित हो सकती है। नारायण राव कहते हैं, “बीमा कंपनी देरी का कारण पूछ सकती है। इसलिए जल्द से जल्द सूचना देना बेहतर है।”
पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के कार रिन्यूअल, कस्टमर एक्सपीरियंस और क्लेम के डिप्टी डायरेक्टर संदीप सराफ कहते हैं कि 24 से 48 घंटे के भीतर सूचना देना आदर्श है। वह कहते हैं, “कुछ बीमा कंपनियां सात दिन तक का समय दे सकती हैं, लेकिन जितनी जल्दी सूचना दी जाए, उतना अच्छा है।”
नशे में गाड़ी चलाना: अगर ड्राइवर दुर्घटना के समय शराब या नशीले पदार्थों के प्रभाव में था, तो क्लेम खारिज हो सकता है। मजूमदार कहते हैं, “अगर नशा साबित हो जाता है, तो बीमा कंपनी क्लेम देने से मना कर सकती है।”
वाहन में अनधिकृत बदलाव: वाहन के प्रदर्शन, सुरक्षा या मूल्य को प्रभावित करने वाले बदलावों की जानकारी बीमा कंपनी को देनी जरूरी है। संदीप सराफ कहते हैं, “बिना बताए किए गए बदलावों के कारण क्लेम खारिज हो सकता है या कवरेज सीमित हो सकती है। अगर बदलाव की जानकारी नहीं दी गई, तो बदले गए हिस्सों को कवर नहीं किया जाएगा।”
नारायण राव कहते हैं कि अगर नुकसान अनधिकृत बदलावों से जुड़ा है, तो क्लेम खारिज हो सकता है।
अनधिकृत उपयोग: निजी वाहन को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करना पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है। राव कहते हैं, “यह ‘उपयोग की सीमाओं’ का उल्लंघन है और क्लेम खारिज हो सकता है।”
संदीप सराफ कहते हैं कि पहले से मौजूद नुकसान के लिए क्लेम करने की कोशिश भी खारिज हो सकती है।
क्लेम खारिज होने का जोखिम कम करने के लिए पॉलिसीधारकों को खरीद के समय सभी जरूरी दस्तावेज सही तरीके से जमा करने चाहिए। संदीप सराफ कहते हैं, “सभी जरूरी जानकारी ईमानदारी से दें, पॉलिसी की शर्तों को समझें, और सही नो-क्लेम बोनस और बीमित घोषित मूल्य (आईडीवी) की घोषणा करें।”
-बीमा कंपनी को तुरंत सूचित करें ताकि क्लेम प्रक्रिया शुरू हो सके।
-नुकसान और दुर्घटना स्थल की तस्वीरें लें, जो क्लेम के लिए सबूत होंगी।
-अगर चोट या मृत्यु हुई है, तो तुरंत प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करें।
-मौके पर कोई मौखिक समझौता या ऐसी बातें न करें, जिससे गलती स्वीकार हो।
-पुलिस रिपोर्ट, मेडिकल रिकॉर्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी बुक और बीमा पॉलिसी जैसे सभी जरूरी दस्तावेज जमा करें।
-जमा की गई सभी जानकारी सटीक और एकसमान होनी चाहिए।
-बीमा कंपनी के किसी भी सवाल का तुरंत जवाब दें।