केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने हाल में एक अधिसूचना जारी कर आयकर कानून के नियम 3 में संशोधन किया है। यह नियम कंपनी मालिक द्वारा अपने कर्मचारियों को किराया लिए बगैर मकान मुहैया कराने से जुड़ा हुआ है। यह परिवर्तन वित्त अधिनियम 2023 में किए गए संशोधन के अनुरूप रियायती आवास से संबंधित अनुलाभों की गणना के लिए किया गया है। भत्ता वह लाभ होता है जो किसी दफ्तर या पद से जुड़ा होता है और वेतन या पारिश्रमिक के अलावा दिया जाता है। नए नियम 1 सितंबर से लागू हो गए हैं।
जिन कर्मचारियों को किराया मुक्त रिहाइश से फायदा होता है उन्हें इन नए नियमों की तरफ ध्यान देना चाहिए। यदि वे ऊंचे आयकर की श्रेणी में हैं तब तो जरूर देना चाहिए। टैक्समैन के उप महा प्रबंधक दीपेन मित्तल कहते हैं कि किराया मुक्त रिहाइश से होने वाले फायदे की गणना में बदलाव आज की स्थिति के हिसाब से ही है।
यह किसी कर्मचारी को शून्य या न्यूनतम किराये पर आवंटित आवासीय व्यवस्था होती है। सीएनके आरके में प्रबंधक अभिनव जैन कहते हैं, ‘किराया मुक्त रिहाइश में फ्लैट, गेस्ट हाउस, होटल, सर्विस अपार्टमेंट, कैरावैन ( वाहन जिसमें रहने का इंतजाम हो), मोबाइल होम या अन्य भी शामिल हो सकते हैं।’ आयकर कानून के नियम 3 के अनुसार वेतन की गणना के लिए इसे अनुलाभ के रूप में माना जाता है। एमवी किणी में पार्टनर प्रतीक गोयल कहते हैं, ‘हालांकि इसमें किसी तरह का किराया नहीं लिया जाता मगर इस लाभ को कर्मचारी की आय में जोड़ा जाता है और कर लगाया जाता है।’
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किराया मुक्त रिहाइश के कर योग्य मूल्य पर कई बातों का असर हो सकता है जैसे जैसे कर्मचारी का वेतन क्या है, संपत्ति कहां पर है, वह फर्निश्ड है या नहीं और उसकी मालिक खुद कंपनी है या किराये पर है। बड़े शहरों के निवासियों के लिए अनुलाभ मूल्य वेतन का 10 प्रतिशत है जो पहले 15 प्रतिशत था। मझोले आकार के शहरों के लिए यह 7.50 प्रतिशत है। पहले यह 10 प्रतिशत था। छोटे शहरों के लिए इसे 7.5 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है।
शहरों के वर्गीकरण में भी तब्दीली हुई है। 40 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को अब बड़ा शहर माना जाएगा। पहले यह सीमा 25 लाख थी। 15 लाख तक की आबादी वाले शहर अब छोटे शहर की श्रेणी में रहेंगे। जिन शहरों की आबादी 15 लाख से अधिक लेकिन 40 लाख से कम है, उन्हें मझोली श्रेणी का शहर माना गया है।
शहरों के वर्गीकरण के लिए जनसंख्या के आंकड़ों का इस्तेमाल अब 2001 की जनगणना के बजाय 2011 की जनगणना के हिसाब से किया गया है। मुद्रास्फीति से जुड़ी सीमा भी शुरू की गई है। यह सीमा उन मामलों में लागू होगी जिनमें कर्मचारी को 1 साल से अधिक के लिए वही रिहाइश उपलब्ध कराई गई है।
जो कर्मचारी किराया-मुक्त आवास में रहते हैं तो उनके कर योग्य अनुलाभ मूल्य में कमी आ सकती है। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, ‘संशोधित नियमों से करदाताओं को लाभ होगा। प्रतिशत में कमी से अनुलाभ का मूल्य भी घटेगा और इस तरह कर्मचारी की कर योग्य आय भी घट जाएगी।
इसके अलावा लागत मुद्रास्फीति सूचकांक से यह सुनिश्चित होगा कि करदाताओं को उनके वेतन में बड़ा इजाफा होने पर अतिरिक्त कर न देना पड़े। मित्तल कहते हैं, ‘कर निर्धारण वर्ष 2025-26 के बाद से अनुलाभ मूल्य लागत मुद्रास्फीति सूचकांक द्वारा समायोजित पिछले साल के मूल्य से अधिक नहीं हो सकता।’ संक्षेप में कहें तो इससे कर्मचारी के हाथ में थोड़ा ज्यादा पैसा आएगा।
जैन कहते हैं कि नए नियमों का असर बड़ी आबादी वाले शहरों में रह रहे कर्मचारियों पर होगा। यह असर सीमा के पुनर्वर्गीकरण और अनुलाभ के मूल्य के प्रतिशत में बदलाव से दोनों तरह से होगा।
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पहले से मिले हुए आवास के अनुलाभ का मूल्यांकन 31 अगस्त 2023 तक पुरानी दरों के आधार पर किया गया था। नई दरें 1 सितंबर 2023 से लागू हो गई हैं। मित्तल के अनुसार आकलन वर्ष 2024-25 के लिए अनुलाभ मूल्य की गणना करते समय कर्मचारी और मालिक दोनों इन बदलावों को ध्यान रखें। जिन लोगों को मकान किराया भत्ता या एचआरए मिलता है, उन्हें दोनों फायदे एक साथ नहीं मिलेंगे। क्लियर के सीईओ अर्चित गुप्ता कहते हैं कि किसी कर्मचारी को एचआरए मिलता है तो वह किराया मुक्त आवास के लिए पात्र नहीं होगा।