प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Freepik
अभी देश में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का दौर चल रहा है। अगर आप नौकरीपेशा हैं, पेंशनर हैं या फिर कोई छोटा-मोटा बिजनेस करते हैं, तो आपके लिए टैक्स फाइल करना जरूरी है। लेकिन इस बार यानी फाइनेंशियल ईयर 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कुछ नए बदलाव किए हैं। ये बदलाव खासकर ITR फॉर्म्स, टैक्स स्लैब, डिडक्शन और कुछ दूसरी चीजों में हुए हैं। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि इस साल टैक्स फाइलिंग में क्या-क्या नया है और इसे कैसे भरना करना है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस साल सारे सात ITR फॉर्म्स (ITR-1 से ITR-7) को अपडेट किया है। ये फॉर्म्स फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए हैं, जिसका मतलब है कि 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक की आपकी कमाई को इनके जरिए रिपोर्ट करना होगा। खास तौर पर ITR-1 (सहज) और ITR-2 में कुछ बड़े बदलाव हुए हैं, जो आम लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं।
ITR-1, जिसे सहज फॉर्म भी कहते हैं, उन लोगों के लिए है जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये तक है और जो सैलरी, एक घर की किराए की आय या बैंक डिपॉजिट से ब्याज जैसी कमाई करते हैं। इस बार की खास बात ये है कि अगर आपकी लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) 1.25 लाख रुपये तक है, जैसे कि शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड्स से, तो आप ITR-1 फॉर्म यूज कर सकते हैं। पहले इसके लिए ITR-2 फाइल करना पड़ता था, जो ज्यादा जटिल है। ये बदलाव छोटे निवेशकों के लिए राहत की बात है, क्योंकि अब उन्हें कम जटिल फॉर्म भरना होगा।
ITR-2 में भी बदलाव हुआ है। ये फॉर्म उन लोगों के लिए है जिनकी आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है या जिनकी कमाई कैपिटल गेन्स, किराए की आय या दूसरी चीजों से आती है। इस बार ITR-2 में एक नया फीचर जोड़ा गया है, जिसके तहत आप रिवाइज्ड रिटर्न सेक्शन 139(8A) के तहत फाइल कर सकते हैं। यानी, अगर आपने गलती से रिटर्न में कुछ छोड़ दिया या गलत भर दिया, तो उसे 31 दिसंबर 2025 तक ठीक कर सकते हैं। इसके अलावा, ITR-2 में अब कैपिटल गेन्स को दो हिस्सों में बांटकर दिखाना होगा – 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद की कमाई। ऐसा इसलिए क्योंकि बजट 2024 में कैपिटल गेन्स टैक्स के नियम बदले गए हैं।
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बजट 2024 ने कैपिटल गेन्स टैक्स में कुछ बड़े बदलाव किए, जो इस साल के ITR फाइलिंग को प्रभावित करेंगे। अगर आपने शेयर, म्यूचुअल फंड्स या प्रॉपर्टी बेची है, तो ये जानकारी आपके लिए जरूरी है। अब लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) की टैक्स-फ्री लिमिट को 1 लाख से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है। यानी, अगर आपकी LTCG 1.25 लाख तक है, तो उस पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन अगर इससे ज्यादा है, तो अतिरिक्त राशि पर 12.5% टैक्स देना होगा।
इसके अलावा, अगर आपने 1 अक्टूबर 2024 के बाद शेयर बायबैक से पैसा कमाया है, तो वो अब डिविडेंड की तरह टैक्स होगा, न कि कैपिटल गेन्स की तरह। इसका मतलब है कि ये पैसा ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ के तहत आएगा। साथ ही, अगर बायबैक में आपको कोई कैपिटल लॉस हुआ है, तो उसे कैपिटल गेन्स के तहत दिखाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आपको डिविडेंड को टैक्सेबल इनकम में शामिल करना होगा। ITR-2 और ITR-4 में इसके लिए अलग-अलग कॉलम जोड़े गए हैं, ताकि आप इसे सही से रिपोर्ट कर सकें।
रियल एस्टेट में भी बदलाव हुआ है। अगर आपने 23 जुलाई 2024 के बाद कोई प्रॉपर्टी बेची है, तो उस पर LTCG टैक्स 20% (इंडेक्सेशन के साथ) की बजाय 12.5% (बिना इंडेक्सेशन) होगा। इसका असर ये होगा कि आपको अपनी प्रॉपर्टी की बिक्री को ITR में अलग-अलग दिखाना होगा – 23 जुलाई से पहले और बाद की।
इस साल न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट बनाया गया है, यानी अगर आप कुछ नहीं चुनते, तो आपका टैक्स न्यू रिजीम के तहत कैलकुलेट होगा। लेकिन अगर आप पुराने टैक्स रिजीम को चुनना चाहते हैं, तो आपको फॉर्म 10-IEA भरना होगा। न्यू रिजीम में टैक्स स्लैब को थोड़ा और आसान किया गया है। अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा, क्योंकि सेक्शन 87A के तहत रिबेट को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया गया है।
सैलरीड लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है। अगर आप पेंशनर हैं, तो फैमिली पेंशन पर डिडक्शन लिमिट को 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रुपये किया गया है। इसके अलावा, सेक्शन 80C और 10(13A) जैसे डिडक्शन्स के लिए अब ज्यादा डिटेल्स देनी होंगी, ताकि टैक्स डिपार्टमेंट को सारी जानकारी साफ-साफ मिले।
टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) को लेकर भी कुछ बदलाव हुए हैं। अब ITR-2 और बाकी फॉर्म्स में आपको TDS सेक्शन कोड्स डालने होंगे, जैसे कि सेक्शन 194I या 194J। पहले ये जरूरी नहीं था, जिसके कारण कई बार टैक्स डिपार्टमेंट को TDS की जानकारी क्रॉस-चेक करने में दिक्कत होती थी। अब ये कॉलम अनिवार्य है, ताकि आपकी TDS डिटेल्स सही से मैच हो सकें।
फॉर्म 26AS, जिसमें आपकी TDS और टैक्स पेमेंट की जानकारी होती है, अब पूरी तरह से एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में शामिल हो गया है। इसमें आपकी सारी टैक्स-संबंधी जानकारी, जैसे एडवांस टैक्स, TDS, और रिफंड की डिटेल्स, एक जगह मिलेंगी। इसलिए, ITR फाइल करने से पहले AIS चेक करना जरूरी है, ताकि कोई गलती न हो।
अगर आपने ITR फाइल नहीं किया या गलत डिटेल्स भरी हैं, तो आपके पास अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) फाइल करने का मौका है। इस बार बजट 2025 में ITR-U की समय सीमा को 2 साल से बढ़ाकर 4 साल कर दिया गया है। यानी, फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए आप 31 मार्च 2029 तक ITR-U फाइल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे, ITR-U सिर्फ अतिरिक्त आय दिखाने या टैक्स लायबिलिटी बढ़ाने के लिए है, न कि डिडक्शन्स क्लेम करने या टैक्स कम करने के लिए।
ITR-U फाइल करने की पेनल्टी भी समय के हिसाब से बढ़ती है। अगर आप 12 महीने के अंदर फाइल करते हैं, तो 25% अतिरिक्त टैक्स और ब्याज देना होगा। 24 महीने में 50%, 36 महीने में 60%, और 48 महीने में 70%। इसलिए, जितनी जल्दी हो, उतनी जल्दी ITR-U फाइल कर लें।
ITR फाइल करने की आखिरी तारीख ज्यादातर लोगों के लिए 31 जुलाई 2025 है। अगर आपकी कंपनी का ऑडिट होना है, तो इसके लिए तारीख है 31 अक्टूबर 2025 है और जबकि अगर ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्ट चाहिए तो इसके लिए तारीख है 30 नवंबर 2025। अगर आप 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल नहीं करते, तो आप बिलेटेड रिटर्न 31 दिसंबर 2025 तक फाइल कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए 5,000 रुपये की पेनल्टी देनी होगी। अगर आपकी आय 5 लाख से कम है, तो पेनल्टी 1,000 रुपये होगी।
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ITR फाइल करने के लिए आपको PAN, आधार, फॉर्म 16, सैलरी स्लिप्स, बैंक से ब्याज सर्टिफिकेट, और कैपिटल गेन्स की डिटेल्स तैयार रखनी होंगी। अगर आप न्यू टैक्स रिजीम चुन रहे हैं, तो ध्यान रखें कि पुराने रिजीम की तुलना में कम डिडक्शन्स मिलेंगे, लेकिन टैक्स स्लैब आसान हैं। फाइलिंग से पहले AIS और फॉर्म 26AS चेक करें, ताकि आपकी सारी टैक्स डिटेल्स सही हों।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस बार फाइलिंग को आसान करने के लिए नया एक्सेल-बेस्ड यूटिलिटी लॉन्च किया है, खासकर ITR-2 के लिए। ये 25 मार्च 2025 को रिलीज हुआ था। इसके जरिए सैलरीड लोग, पेंशनर्स, और नॉन-बिजनेस टैक्सपेयर्स आसानी से रिटर्न फाइल कर सकते हैं। साथ ही, ऑनलाइन पोर्टल पर e-फाइलिंग की सुविधा भी है, जिससे आप घर बैठे रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
बस इतना ध्यान रखें कि सही फॉर्म चुनें, सारी डिटेल्स सही भरें, और समय पर फाइल करें। टैक्स फाइलिंग अब पहले से ज्यादा आसान हो गई है, लेकिन थोड़ी सी सावधानी आपको पेनल्टी और परेशानी से बचा सकती है।