एक हालिया सर्वे से पता चला है कि पिछले 3 वर्षों में ठगों (scammers) ने भारत की लगभग आधी आबादी (47%) को अपना शिकार बनाया हैं। लोकलसर्किल्स (LocalCircles) द्वारा किए गए इस सर्वे में 302 जिलों के 23,000 लोगों की प्रतिक्रियाएं शामिल थीं। सर्वे में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी (credit card fraud) वित्तीय धोखाधड़ी (financial fraud) के सबसे आम रूप हैं।
आधे से अधिक उत्तरदाताओं ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों द्वारा उनके क्रेडिट कार्ड पर अनधिकृत शुल्क लगाए जाने की सूचना दी। विशेष रूप से, सर्वे में शामिल लोगों में से 43 प्रतिशत ने क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी का अनुभव किया, जबकि 36 प्रतिशत ने धोखाधड़ी वाले यूपीआई लेनदेन का सामना किया।
लोकलसर्किल्स के सर्वे में 302 जिलों के 23,000 उत्तरदाताओं ने चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखे:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, FY24 में धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में 166 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 36,000 से अधिक घटनाओं तक पहुंच गई। हालांकि, इन मामलों में धोखाधड़ी की कुल राशि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में लगभग आधी रही, जो कुल मिलाकर 13,930 करोड़ रुपये थी।
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लोकलसर्किल्स का अनुमान है कि 10 में से 6 भारतीय वित्तीय धोखाधड़ी की रिपोर्ट अधिकारियों या कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नहीं करते हैं। शहरी उत्तरदाताओं में, 43 प्रतिशत ने क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी का अनुभव किया, जबकि 30 प्रतिशत ने यूपीआई धोखाधड़ी का सामना किया।
सर्वे में यह भी बताया गया कि भारतीय उपभोक्ताओं के व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा आसानी से बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, जिससे वे धोखाधड़ी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। कई अंतरराष्ट्रीय वेबसाइटों और ऐप्स को ओटीपी प्रमाणीकरण (OTP authentication) की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे अनधिकृत लेनदेन का खतरा बढ़ जाता है।