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शेयरों में गिरावट और फेड के इशारे से चमक जाएगा सोना

कच्चे तेल का उबाल परेशान करेगा, हर गिरावट पर निवेश बढ़ाकर कीजिए पोर्टफोलियो का 15 फीसदी

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संजय कुमार सिंह   
Last Updated- October 01, 2023 | 10:46 PM IST

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश काफी बढ़ गया है। पिछले साल सितंबर और दिसंबर में खत्म तिमाहियों में निवेश आने के बजाय इन फंडों से निकासी की गई थी। इस साल जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान भी ऐसा ही हुआ था। मगर जून तिमाही में गोल्ड ईटीएफ में 298 करोड़ रुपये की शुद्ध आवक हुई।

जुलाई में आंकड़ा बढ़कर 456 करोड़ रुपये हुआ और अगस्त में 1,028 करोड़ रुपये निवेश के साथ आंकड़ा पिछले 16 महीने में सबसे अधिक हो गया। इस साल अब तक 6.2 फीसदी का औसत रिटर्न देने वाले 14 गोल्ड ईटीएफ फिलहाल 24,423 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति संभाल रहे हैं।

निवेश सुरक्षित

जब शेयर बाजार रोज नई ऊंचाई पर पहुंच रहा है तब निवेशक शेयर बाजार में मुनाफा कमाकर रकम सोने में लगा रहे हैं। कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, ‘निवेश सलाहकारों का सुझाव है कि अगर निवेशक को शेयर बाजार से अच्छा रिटर्न मिला है तो वह अपनी आय का एक हिस्सा सोने में लगा सकते हैं। जब अनिश्चितता हावी होगी तब यह निवेश को सुरक्षित रखने का काम करेगा।’

अमेरिका में ब्याज दरें अपने चरम पर पहुंचती दिख रही हैं। हालांकि फेडरल रिजर्व ने दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रहने का संकेत दिया है मगर सोने का बाजार कुछ और सोच रहा है। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन कहते हैं, ‘सोने के बाजार में यह चिंता खत्म हो गई है कि लगातार ऊंची महंगाई के कारण ब्याज दरों में तेजी लंबे समय तक बरकरार रह सकती है।’

सोने की कीमतें अपने शीर्ष स्तर से 5-6 फीसदी नीचे जा चुकी हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रमुख (अनुसंधान, कमोडिटी एवं मुद्रा) नवनीत दमानी कहते हैं कि गिरावट के कारण सोने के भाव नीचे आ गए हैं, जिससे इसमें लंबे समय के लिए निवेश के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ा है।’

विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक अब सोने धातु के रूप में यानी गहनों और ईंट आदि के रूप में खरीदने के बजाय ईटीएफ, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड आदि में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। दमानी का कहना है, ‘ईटीएफ जैसी योजनाओं में निवेश करना और निवेश समेटना दोनों आसान हैं। इसमें शुद्धता एवं रखरखाव की चिंता भी नहीं होती है और धातु रूप में सोना खरीदने पर लगने वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से भी बच जाता है।’

इन बातों पर रखें नजर

सोने में निवेश करने वालों को फेडरल रिजर्व की बैठक का इंतजार था। सितंबर की बैठक में दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया मगर आगे बढ़ोतरी होने के संकेत दिए गए। त्यागराजन कहते हैं, ‘आगे दरों में 25 आधार अंकों की वृद्धि होने की उम्मीद है, लेकिन सोने की कीमत इस बात से प्रभावित होगी कि फेड का रुख सख्त होता है य नरम पड़ता है।’

अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में स्थिरता के संकेत से सोने में निवेश के लिए निवेशकों की धारणा मजबूत होगी। धवन समझाते हैं, ‘दूसरी संपत्तियों में अधिक रिटर्न मिलने से सोने में निवेश कम होता है क्योंकि निवेशक अचल संपत्तियों में निवेश से अधिक रिटर्न हासिल कर सकते हैं।’

शेयर बाजार और सोने में छत्तीस का आंकड़ा रहता है। इससे भी सोने के भाव पर असर पड़ेगा। धवन के हिसाब से अगर शेयर बाजार में गिरावट होती है तो सोने में निवेश का प्रवाह बढ़ सकता है।

डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल पर भी नजर रखनी चाहिए। डॉलर में मजबूती का साफ मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट आएगी। अगर डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होता है तो देसी बाजार में प्रभाव कुछ हद तक दूर हो जाएगा।

दशहरा, दीवाली, क्रिसमस और नए साल जैसे त्योहारों पर सोने की मांग बढ़ सकती है। त्यागराजन भी बताते हैं कि इन दिनों सोने की खरीदारी बढ़ जाती है और भू-राजनीतिक उथल-पुथल से भी सोने में निवेश का रुझान बढ़ा है। उन्हें लगता है कि भू-राजनीतिक तनाव (यूक्रेन-रूस व चीन-ताइवान) बढ़ने अथवा केंद्रीय बैंकों द्वारा अधिक खरीदारी किए जाने से भी सोने की कीमतों में तेजी आई है।

कच्चे तेल की कीमतों का असर

कुछ आपूर्तिकर्ताओं द्वारा उत्पादन में कटौती किए जाने के कारण कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भी सोने पर दबाव डाल सकती हैं। त्यागराजन कहते हैं, ‘इससे महंगाई बढ़ने की आशंका भी बढ़ सकती है। ऐसे में फेडरल रिजर्व कठोर रुख अपनाने के लिए प्रेरित हो सकता है। इससे ब्याज दरों में तेजी और डॉलर में मजबूती दिख सकती है। सोने की कीमतों पर इसका असर नकारात्मक दिखेगा।’

धवन के अनुसार अगर वैश्विक मंदी की धार कमजोर पड़ती है तो निवेशक जोखिम वाली परिसंपत्तियों की ओर रुख करेंगे जिससे सोने पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सोने में करें 5 से 15 फीसदी निवेश

निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में 5 से 15 फीसदी निवेश सोने में करना चाहिए। धवन कहते हैं, ‘आक्रामक निवेशकों को कम से कम 5 फीसदी निवेश सोने में करना चाहिए, लेकिन आम निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो में सोने के लिए करीब 15 फीसदी जगह रखनी चाहिए।’

त्यागराजन ने भी कहा कि डॉलर में मजबूती के कारण सोने की कीमतें लुढ़कने की चिंता बनी हुई है। जब भी भाव गिरते हैं, निवेशकों को खरीदारी कर लंबी अवधि के लिए रकम लगा देनी चाहिए। इसके अलावा कम एक्सपेंस रेश्यो वाला ईटीएफ सबसे ज्यादा फायदेमंद रहेगा।

First Published : October 1, 2023 | 10:46 PM IST