डीएसपी म्युचुअल फंड ने हाल ही में निफ्टी टॉप 10 इक्वल-वेट इंडेक्स फंड (ईडब्ल्यूआई) ऐंड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) लॉन्च किया है, जो फ्री फ्लोट बाजार पूंजीकरण के हिसाब से निफ्टी की शीर्ष 10 कंपनियों में बराबर-बराबर निवेश करता है।
सुंदरम, डीएसपी, आदित्य बिड़ला, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और यूटीआई जैसे फंड हाउसों की तरफ से निफ्टी-50 और निफ्टी-100 पर आधारित कई इक्वल वेट इंडेक्स या समान भार सूचकांक फंड और ईटीएफ संचालित हो रहे हैं।
बाजार पूंजीकरण भारित सूचकांक में फ्री फ्लोट मार्केट कैप सूचकांक में किसी शेयर के भार को निर्धारित करता है। उच्च फ्री-फ्लोट मार्केट कैप वाले स्टॉक का भार कहीं अधिक होता है। डीएसपी म्युचुअल फंड के पैसिव इन्वेस्टमेंट ऐंड प्रोडक्ट प्रमुख अनिल घेलानी कहते हैं, ‘एक समान भार वाली रणनीति प्रत्येक शेयर के लिए प्रदर्शन का समान अवसर उपलब्ध कराती है।’ उदाहरण के लिए निफ्टी-50 समान भार सूचकांक में 50 में से प्रत्येक स्टॉक को 2 प्रतिशत भार मिलता है।
समान भार सूचकांक में कोई एक शेयर या कुछ शीर्ष शेयर पूरे सूचकांक के प्रदर्शन को निर्धारित नहीं करते। ये सूचकांक आम तौर पर बाजार के लगातार बढ़त के दौरान अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार, दीपेश राघव कहते हैं, ‘कई बार जब छोटे शेयर अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो समान भार सूचकांक अपने मार्केट कैप-भारित समकक्ष सूचकांकों के मुकाबले कहीं अच्छा प्रदर्शन करता है।’ उनका पोर्टफोलियो भी विभिन्न क्षेत्रों में विविधा से भरा होता है।
उदाहरण के लिए निफ्टी-50 सूचकांक में वित्तीय सेवाओं का भार 32 फीसदी है, जबकि निफ्टी-50 समान भार सूचकांक में यह 21 फीसदी है। यह दूसरे क्षेत्रों को इस बात की गुंजाइश देता है कि वे अधिक भार हासिल करें।
मनीएडुस्कूल के संस्थापक अर्णव पंड्या कहते हैं, ‘समान भार सूचकांक बाजार पूंजी-भारित सूचकांकों के मुकाबले कम जोखिम वाले हो सकते हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि इनका प्रदर्शन कुछ तयशुदा कंपनियों पर निर्भर नहीं होता है।’
पंड्या कहते हैं कि जब बाजार में सीमित तेजी होती है और कुछ बड़े स्टॉक ही अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो समान भार वाले सूचकांक का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहता। इन सूचकांकों में, जो शेयर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें खराब प्रदर्शन करने वाले शेयरों के लिए बेच दिया जाता है।
राघव कहते हैं, ‘ये फंड उन निवेशकों को पसंद नहीं आते जो अपने निवेश की गति बनाए रखना चाहते हैं। ये ऐसे निवेशकों के लिए सही हैं जो मूल्य आधारित रवैया अपनाते हैं।’
राघव कहते हैं, ‘इस सदी के पहले दशक के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने के बाद निफ्टी 50 समान भार सूचकांक ने दूसरे दशक के दौरान निफ्टी 50 सूचकांक के मुकाबले खराब प्रदर्शन किया।’
जो निवेशक अपने पोर्टफोलियो में व्यापक विविधता देखना चाहते हैं, वे समान-भार सूचकांक का चयन करने के बारे में सोच सकते हैं। पांड्या कहते हैं, ‘ये ऐसे निवेशकों के लिए भी ठीक हो सकते हैं, जो भार पर ज्यादा ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहते और कम जोखिम उठाना चाहते हैं।’
ऐसे में निवेशकों को उस स्थिति में इन फंडों को लंबे समय तक रोके रखने के लिए सब्र करना चाहिए, जब वे बाजार पूंजीकरण आधारित समकक्ष सूचकांकों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन नहीं करते। निवेशक को अपने इक्विटी पोर्टफोलियो का 10 फीसदी तक समान भार वाले सूचकांक फंड और ईटीएफ में आवंटित करना चाहिए।
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन कहते हैं, ‘आपको ऐसे फंडों में कम से कम 7-10 साल के नजरिए से निवेश करना चाहिए। चूंकि बाजार सस्ते नहीं हैं, इसलिए व्यवस्थित निवेश योजना यानी एसआईपी या व्यवस्थित हस्तांतरण योजना यानी एसटीपी के माध्यम से इनमें निवेश किया जा सकता है।’
इक्वल वेट इंडेक्स फंड का प्रदर्शन काफी हद तक अंतर्निहित सूचकांक पर भी निर्भर करता है। जैसे कि वह निफ्टी टॉप 10 जैसा केंद्रित सूचकांक है या निफ्टी 50 या निफ्टी टॉप 100 जैसा अधिक विविधता वाला सूचकांक।
घेलानी कहते हैं,’जब बाजार में ध्रुवीकरण की स्थिति हो तो उस दौरान निफ्टी टॉप 10 समान-भार सूचकांक अच्छा प्रदर्शन करेगा।’ लेकिन धवन चेतावनी देते हैं कि निवेशकों को हमेशा सचेत रहना चाहिए, क्योंकि ऐसा सूचकांक बहुत अच्छा प्रदर्शन भी कर सकता है और कई बार प्रदर्शन काफी खराब भी रह सकता है।’
वह कहते हैं, ‘इसके जरिए लार्जकैप वाले ब्ल्यूचिप कंपनियों में निवेश होता है इसलिए, इसलिए उतार-चढ़ाव की संभावना रहती है।’