प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels
बीमा क्षेत्र में एक नई शुरुआत हो चुकी है। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने हाल ही में एक नई सुविधा शुरू की है, जिसका नाम है बीमा-ASBA। यह सुविधा यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से जुड़ी है और इसका मकसद बीमा पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान को आसान, सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है। यह सुविधा 1 मार्च, 2025 से लागू हो चुकी है और इसे लेकर बीमा कंपनियों व ग्राहकों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।
बीमा-ASBA का पूरा नाम है “बीमा-एप्लिकेशंस सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट”। आसान शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा तरीका है, जिसमें बीमा पॉलिसी खरीदते समय आपको प्रीमियम की पूरी रकम पहले नहीं देनी पड़ती। इसके बजाय, यह रकम आपके बैंक खाते में “ब्लॉक” कर दी जाती है। जब तक बीमा कंपनी आपकी पॉलिसी को मंजूरी नहीं दे देती, तब तक यह पैसा आपके खाते में ही रहता है और उस पर ब्याज भी मिलता रहता है। अगर पॉलिसी मंजूर हो जाती है, तो ब्लॉक की गई रकम बीमा कंपनी को चली जाती है। और अगर पॉलिसी खारिज हो जाती है या आप इसे रद्द करते हैं, तो यह पैसा तुरंत आपके खाते में वापस आ जाता है।
यह सुविधा UPI के जरिए काम करती है। इसमें आपको एक वन-टाइम मैंडेट (OTM) देना होता है, यानी एक बार की अनुमति, जिसके बाद आपका बैंक प्रीमियम की रकम को ब्लॉक कर देता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल है और इसे करने के लिए आपको बस अपने UPI ऐप Google Pay, PhonePe या Paytm आदि का इस्तेमाल करना होता है।
IRDAI ने इसे लागू करने का आदेश सभी जीवन और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को दिया है। हालांकि, यह सुविधा अभी वैकल्पिक है, यानी आप चाहें तो इसे इस्तेमाल कर सकते हैं या पुराने तरीके से भी प्रीमियम भर सकते हैं। लेकिन इसमें एक शर्त है- यह सुविधा सिर्फ उन पॉलिसियों के लिए है, जिनका प्रीमियम 2 लाख रुपये तक है। इससे ज्यादा की पॉलिसी के लिए अभी यह लागू नहीं है।
पॉलिसी के लिए आवेदन: जब आप बीमा पॉलिसी के लिए आवेदन करते हैं, तो बीमा-ASBA का विकल्प चुन सकते हैं।
पैसे ब्लॉक करने का विकल्प: बीमा कंपनी आपके बैंक को बताती है कि प्रीमियम की रकम ब्लॉक कर दी जाए। आप UPI के जरिए इसकी मंजूरी देते हैं।
मंजूरी का इंतजार: बीमा कंपनी आपके आवेदन की जांच करती है। इस दौरान पैसा आपके खाते में ब्लॉक रहता है।
पॉलिसी जारी या रद्द: अगर पॉलिसी मंजूर होती है, तो पैसा कट जाता है। अगर नहीं होती, तो पैसा 14 दिनों के अंदर वापस आ जाता है।
बीमा-ASBA को लाने का सबसे बड़ा मकसद ग्राहकों को सहूलियत देना है। पहले जब आप बीमा पॉलिसी लेते थे, तो प्रीमियम की रकम पहले ही देनी पड़ती थी। अगर किसी कारण से पॉलिसी मंजूर नहीं होती थी, तो रिफंड मिलने में कई दिन लग जाते थे। कई बार तो ग्राहकों को इसके लिए बीमा कंपनी के चक्कर काटने पड़ते थे। लेकिन अब यह समस्या खत्म हो गई है। इसके कुछ फायदे निम्न हैं।
पहले पैसे देने की जरूरत नहीं: अब आपको प्रीमियम की रकम पहले देने की जरूरत नहीं है। यह पैसा तब तक आपके खाते में रहता है, जब तक पॉलिसी जारी नहीं हो जाती।
तुरंत रिफंड: अगर पॉलिसी रद्द हो जाती है या खारिज हो जाती है, तो ब्लॉक की गई रकम एक कामकाजी दिन के अंदर आपके खाते में वापस आ जाती है। इसमें कोई देरी नहीं होती।
ब्याज का फायदा: जब तक रकम ब्लॉक रहती है, वह आपके खाते में रहती है और उस पर ब्याज मिलता रहता है। पहले ऐसा नहीं था, क्योंकि पैसा बीमा कंपनी के पास चला जाता था।
सुरक्षा और पारदर्शिता: यह सुविधा UPI से जुड़ी है, जो पूरी तरह सुरक्षित है। साथ ही, आपको हर कदम की जानकारी मिलती रहती है, जैसे कि रकम ब्लॉक हुई या कट गई।
कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं: IRDAI ने साफ कहा है कि इस सुविधा के लिए बीमा कंपनियां कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकतीं। यह ग्राहकों के लिए मुफ्त है।
बीमा-ASBA सिर्फ ग्राहकों के लिए ही नहीं, बल्कि बीमा कंपनियों और पूरे बीमा उद्योग के लिए भी एक बड़ा बदलाव लेकर आया है। हालांकि, इसे लागू करने में कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं। कई बड़ी बीमा कंपनियां, जैसे कि LIC, HDFC लाइफ और ICICI प्रूडेंशियल लाइफ, इसे पूरी तरह लागू करने में देरी कर रही हैं। सिर्फ दो कंपनियों ने ही अभी तक इसे शुरू किया है, जिनमें बजाज आलियांज लाइफ पहली थी।
कम रिफंड की परेशानी: पहले अगर पॉलिसी खारिज होती थी, तो कंपनियों को रिफंड की प्रक्रिया में समय और संसाधन खर्च करने पड़ते थे। अब यह अपने आप हो जाता है।
तेज प्रक्रिया: ब्लॉक की गई रकम से पॉलिसी जारी करना आसान और तेज हो गया है।
ग्राहकों का भरोसा: यह सुविधा ग्राहकों को आकर्षित करती है, जिससे बीमा बिक्री बढ़ सकती है।
तकनीकी बदलाव: कंपनियों को अपने सिस्टम में बदलाव करने पड़ रहे हैं, ताकि UPI और बीमा-ASBA को जोड़ा जा सके। इसमें समय और पैसा लग रहा है।
समय की कमी: IRDAI ने इसे 1 मार्च, 2025 से लागू करने का आदेश दिया था, लेकिन कई कंपनियों ने इसके लिए और समय मांगा है। न्यूज वेबसाइट इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह सुविधा लंबे समय में “बीमा फॉर ऑल बाय 2047” के टारगेट को हासिल करने में मदद करेगी। यह डिजिटल तकनीक को बढ़ावा दे रही है और बीमा को आम लोगों तक पहुंचा रही है।