इक्विटी योजनाओं से निवेश निकासी लगातार तीसरे महीने जारी रही, जिसकी अगुआई मल्टीकैप फंडों की हुई निकासी ने की, जिसमें श्रेणी की परिभाषा के लिहाज से काफी बदलाव देखने को मिला था।
शुद्ध निकासी करीब 1,000 करोड़ रुपये की रही (क्लोज एंडेड योजना समेत) और यह उस महीने हुआ जब बेंचमार्क सूचकांकों में 1.2 फीसदी का सुधार दर्ज हुआ। यह पिछले दो महीने में हुई 4,029 करोड़ रुपये व 3,845 करोड़ रुपये के मुकाबले हालांकि कम है। निवेश निकासी मल्टीकैप योजनाओा की अगुआई में हुई, जहां से 1,143 करोड़ रुपये निकाले गए और इस श्रेणी से कुल निकासी पिछले चार महीने में 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई। लार्जकैप
फंडों से 576 करोड़ रुपये की निकासी हुई।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के सहायक निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, फोलियो की संख्या और जुटाई गई रकम माह के दौरान हालांकि अगस्त से ज्यादा रही और निवेश निकासी की रकम भी घटी। यह बताता है कि हाल के समय में इक्विटी बाजार के विभिन्न क्षेत्रों में आई उछाल से कुछ निवेशकों ने मुनाफावसूली की, वहींं कुछ निवेशक ऐसे भी थे जिन्होंने बाजार में निवेश करना भी शुरू किया। माह के मध्य में बाजार में गिरावट भई आई, जिसने निवेशकोंं को निवेश का अच्छा मौका मुहैया कराया होगा।
इक्विटी योजनाओं से निवेश निकासी सितंबर में 17,686 करोड़ रुपये रही, जो एक महीने पहले की 18,558 करोड़ रुपये की निकासी से 4.7 फीसदी कम है। एसआईपी से योगदान भी मामूली घटकर 7,788 करोड़ रुपये रहा।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी एन एस वेंकटेश ने कहा, पिछले दो महीने में निवेशक या तो मुनाफावसूली कर रहे थे या नकारात्मक खबरों पर प्रतिक्रिया जता रहे थे। बाजार में स्थिरता और इस वित्त वर्ष में आर्थिक राहत पैकेज की संभावना को देखते हुए निवेशक इक्विटी बाजार लौट रहे हैं।
मोतीलाल ओसवाल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के सहायक निदेशक अखिल चतुर्वेदी ने कहा, मल्टीकैप योजनाओं में नियामक की तरफ से बदलाव के सुझाव ने संभवत: स्मॉल व मल्टीकैप फंडों में खरीद का कुछ मौका दिया। इक्विटी एमएफ की बेहतर बिक्री के आंकड़े भी बाजार के कोविड पूर्व के स्तर पर लौटने का कारण हो सकता है, जो आर्थिक सुधार के शुरुआती संकेत हैं, ऐसे में इक्विटी को लेकर निवेशकों की इच्छा में बढ़ोतरी देखने को मिली।
पिछले महीने नियामक ने म्युचुअल फंडों को मल्टीकैप पोर्टफोलियो पुनर्गठित करने को रहा था ताकि सुनिश्चित हो कि लार्ज, मिड व स्मॉलकैप में 25-25 फीसदी निवेश सुनिश्चित हो।
हाइब्रिड फंडों से लगातार तीसरे महीने निकासी हुई, जिसकी अगुआईबैलेंस्ड/एग्रेसिव हाइब्रिड व आर्बिट्रेज फंडों से हुई क्रमश: 2,004 व 1,732 करोड़ रुपये की निकासी ने की। हाइब्रिड श्रेणी से कुल मिलाकर पिछले तीन महीने में 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निकाले गए हैं। कराधान के लिहाज से हालांकि आर्बिट्रेज फंडोंं को इक्विटी माना जाता है, लेकिन इससे जुलाई से लगातार निकासी हो रही है, जिसकी वजह ढुलमुल रिटर्न है। इसमें से कुछ रकम शायद डेट फंडों में लगाई गई होगी।
लिक्विड फंडों से करीब 66,000 करोड़ रुपये की निकासी हुई क्योंकि कंपनियों ने तिमाही के लिए अग्रिम कर की जरूरतें पूरी करने की खातिर रकम की निकासी की। अल्ट्रा शॉर्ट टर्म व मनी मार्केट फंडों से 4,800-4,800 करोड़ रुपये की निकासी हुई। डेट श्रेणी में बैंंकिंग व पीएसयू फंडों से सबसे ज्यादा 6,415 करोड़ रुपये की निकासी हुई।
उद्योग का फोलियो 0.8 फीसदी बढ़कर 9.33 करोड़ पर पहुंच गया। एमएफ उद्योग का कुल एयूएम सितंबर के आखिर में 26.85 लाख करोड़ रुपये रहा, जो एक महीने पहले के 27.49 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 2.3 फीसदी कम है।