नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लाने का प्लान अब भी पक्का नहीं हुआ है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने हाल ही में NSE को एक चिट्ठी भेजी है, जिसमें कई कमियों को बताया गया है। सूत्रों के मुताबिक, सेबी ने कहा है कि इन कमियों को ठीक करने के लिए NSE को 24 महीने तक का वक्त दिया जाएगा। इसके बाद ही IPO के लिए मंजूरी मिल सकती है।
क्या है ताजा अपडेट?
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में NSE के ISIN (एक खास कोड जो शेयरों की ट्रेडिंग और सेटलमेंट के लिए होता है) को एक्टिवेट किया गया था। इसे IPO की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा था। लेकिन सेबी की चिट्ठी से साफ है कि अभी IPO का रास्ता आसान नहीं है। सूत्रों ने बताया कि यह चिट्ठी फरवरी 2025 के आखिर में सेबी के मार्केट इंटरमीडियरीज रेगुलेशन एंड सुपरविजन डिपार्टमेंट (MIRSD) ने भेजी थी।
सेबी चेयरपर्सन का बयान
1 मार्च को सेबी की कमान संभालने वाले नए चेयरपर्सन तुहिन कांता पांडे ने हाल ही में कहा, “हम इस पर विचार करेंगे कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए और क्या दिक्कतें हैं।” उनकी इस टिप्पणी से लगता है कि सेबी इस मामले को गंभीरता से देख रहा है।
NSE की वैल्यू कितनी?
UnlistedZone के डेटा के मुताबिक, अनलिस्टेड मार्केट में NSE के शेयर 1,650 रुपये प्रति शेयर पर ट्रेड कर रहे हैं। इससे NSE की कुल वैल्यू 4.1 लाख करोड़ रुपये आंकी जा रही है। यह IPO पूरी तरह से सेकेंडरी ऑफरिंग होगी, यानी नए शेयर नहीं बिकेंगे, बल्कि मौजूदा शेयरधारक अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे। NSE के पास पहले से ही काफी पूंजी है।
IPO का लंबा इंतजार
NSE ने 2016 में पहली बार IPO के लिए ड्राफ्ट रेड-हैरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया था। कुछ निवेशक बाहर निकलना चाहते थे, जिसके दबाव में यह कदम उठाया गया। लेकिन 2019 में सेबी ने DRHP लौटा दिया और कहा कि कोलोकेशन मामले के सुलझने के बाद नई फाइलिंग करें। जून 2022 में NSE ने फिर से मंजूरी मांगी, लेकिन सेबी ने टेक्नोलॉजी, गवर्नेंस, ट्रेडिंग और निगरानी में खामियां गिनाईं।
कोर्ट में भी मामला
पीपल एक्टिविज्म फोरम ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर IPO को जल्दी लाने की मांग की थी। अगस्त 2024 में NSE ने सेबी से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) के लिए अर्जी दी। 6 मार्च को कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन NSE के वकील की गुजारिश पर इसे 26 मई तक टाल दिया गया।
पुराने मामले सुलझे, कुछ बाकी
कोलोकेशन मामले में सेबी ने सितंबर 2024 में NSE के पूर्व अधिकारियों चित्रा रामकृष्ण, रवि नारायण और आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ आरोप हटा दिए। सेबी ने कहा कि गड़बड़ी हुई थी, लेकिन OPG सिक्योरिटीज के साथ साठगांठ का सबूत नहीं मिला। अक्टूबर 2024 में NSE ने ट्रेडिंग एक्सेस पॉइंट (TAP) के दुरुपयोग के मामले को 643 करोड़ रुपये देकर सुलझा लिया।
हालांकि, डार्क फाइबर मामले में सेबी ने सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। यह मामला अभी पेंडिंग है। इसके अलावा, कोलोकेशन और चीफ स्ट्रैटेजिक एडवाइजर की नियुक्ति से जुड़े कुछ मामले भी बाकी हैं। सेबी ने इस नियुक्ति में गड़बड़ी के लिए 2022 में 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसे NSE ने चुका दिया।