बाजार में गिरावट के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक हाल के महीनों में दूरी बनाए हुए हैं। सैमको ग्रुप के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी जिमीत मोदी ने पुनीत वाधवा को ईमेल साक्षात्कार में बताया कि जब तक महंगे भारतीय शेयर उनके लिए आकर्षक नहीं हो जाते, तब तक एफपीआई के भारतीय बाजारों से दूर ही रहने की उम्मीद है। मुख्य अंश:
क्या रिटेल निवेशकों का ‘भारत की इक्विटी स्टोरी’ में भरोसा खत्म हो गया है?
पिछले कुछ महीनों में डीमैट खातों की रफ्तार धीमी हुई है।ज्यादातर डीमैट खाते कोविड महामारी के बाद खुले। कई रिटेल निवेशक मौजूदा उतार-चढ़ाव और गिरावट के लिहाज से नए हैं। अभी तक उन्होंने गिरावट पर खरीदें की रणनीति पर अमल किया है। वे क्योंकि तीन चार साल पहले ही बाजार में आए हैं, उनका किसी बड़ी गिरावट का साबका नहीं पड़ा है। यह कहना सही नहीं होगा कि छोटे निवेशकों ने ‘भारत की इक्विटी स्टोरी’ में भरोसा खो दिया है। हालात बदलने में कुछ समय लग सकता है। मौजूदा बाजार परिदृश्य में खुदरा निवेशकों को अस्थिरता का सामना करने के लिए विशेषज्ञ मार्गदर्शन की आवश्यकता है। कुल बात यह कि जब तक महंगे भारतीय शेयर आकर्षक नहीं हो जाते, तब तक एफपीआई के भारतीय बाजारों से दूर ही रहने की उम्मीद है।
निवेशकों को नुकसान के प्रति क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी मुद्रास्फीति है जिस पर निवेशकों को नजर रखना है। अगर मुद्रास्फीति सीमा से ऊपर जाती है तो यह शेयर बाजारों और वैश्विक रूप से निवेशकों के लिए खराब होगी। अगर मुद्रास्फीति बढ़ती है तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व या तो ब्याज दरों को मौजूदा स्तरों पर बनाए रखेगा या मुद्रास्फीति से मुकाबले के लिए उसे दरों को बढ़ाना होगा। दोनों ही परिदृश्य इक्विटी बाजारों के लिए अच्छे नहीं हैं। इसके अलावा, टैरिफ युद्ध के बढ़ने से दुनिया भर में राजकोषीय नीतियों में टकराव शुरू हो रहा है। ऐसे माहौल में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंकों के पास एकमात्र उपलब्ध हथियार मौद्रिक नीति ही है।
आप अपनी निवेश रणनीति को ट्रंप-प्रूफ कैसे बना रहे हैं और ग्राहकों को क्या सलाह दे रहे हैं?
ट्रंप-प्रूफ पोर्टफोलियो बनाने का एकमात्र तरीका विविधीकरण है जिसमें सोने के साथ-साथ उन संपत्तियों में निवेश शामिल हो जो इक्विटी से नहीं जुड़ी हों। सोने का इक्विटी के साथ सीमित संबंध है और मुद्रास्फीति के खिलाफ शानदार बचाव के रूप में काम करता है। यदि ट्रंप की टैरिफ नीतियों पर अमल (जैसा कि उन्होंने संकेत दिया है) हुआ तो इससे अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी, जो निवेश पोर्टफोलियो के लिए खतरा पैदा करेगी।
आपके हिसाब से कॉरपोरेट जगत की आय में कब तक सुधार की उम्मीद है?
वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही तक आय में नरमी बनी रहने की संभावना है। हालांकि, वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में मॉनसून की शुरुआत और उसमें सुधार के साथ हम आय वृद्धि पर कुछ दबाव कम होता देख सकते हैं। इसके अलावा, अन्य सकारात्मक कारकों में वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन और सरकारी खर्च भी शामिल है। व्यक्तिगत आयकर दर में कटौती का असर पहली तिमाही के अंत तक दिखने लगेगा जो एक और सकारात्मक बदलाव के रूप में काम करेगा।
आप शेयर चुनने और सलाह देने के अपने काम में एआई का कितना इस्तेमाल कर रहे हैं?
हम शेयर का चयन करने और सुझाव देने के लिए एआई इस्तेमाल के शुरुआती चरण में हैं। स्टॉक ट्रेडिंग में एआई की भूमिका पर कुछ नियामकीय स्पष्टता उभर रही है। हालांकि, हमें यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे ग्राहकों के लिए कोई बड़ा जोखिम न हो।
क्या 2025 प्राथमिक बाजारों के लिए भी सुस्त साल होगा?
प्राथमिक बाजार का भाग्य सेकंडरी बाजार से काफी हद तक जुड़ा हुआ है। वर्ष 2025 में शेयर बाजारों में सुस्ती बरकरार रहने की संभावनाओं के साथ निफ्टी के 21,281-26,277 के बीच कारोबार करने की संभावना है। लिहाजा, आईपीओ पेशकशों की कीमतें बेहिसाब तरीके से तय करने की स्वतंत्रता पर काफी हद तक अंकुश लगेगा। सेकंडरी बाजार में अस्थिरता और मौजूदा गिरावट को देखते हुए प्राथमिक बाजार में भी मंदी की संभावना है।