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भेदिया कारोबार पर क्या कहता है कानून

नियामक इस बात की जांच कर रहा है कि जब वरिष्ठ अधिकारियों ने खुले बाजार में कंपनी के शेयर बेचे थे तो क्या उनके पास अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील जानकारी थी।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- March 27, 2025 | 10:56 PM IST

एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया है कि नियामक इस बात की जांच कर रहा है कि जब वरिष्ठ अधिकारियों ने खुले बाजार में कंपनी के शेयर बेचे थे तो क्या उनके पास अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील जानकारी थी। रिपोर्ट के अनुसार बाजार नियामक ने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किए गए सौदे के बारे में जानकारी मांगी है।

स्टॉक एक्सचेंज के खुलासे के अनुसार, मई 2023 से जून 2024 के बीच इंडसइंड के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) सुमंत कठपालिया ने 134 करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 9,50,000 शेयर बेचे, जबकि डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने 82 करोड़ रुपये के 5,50,000 शेयर बेचे। ये शेयर उनकी कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईसॉप) का हिस्सा थे। इन बिक्री की वजह से चिंताएं बढ़ गईं, क्योंकि इंडसइंड का शेयर 30 प्रतिशत से अधिक गिर गया है, क्योंकि ऋणदाता को अपने डेरिवेटिव एक्सपोजर के कारण घाटा हुआ है।

ऐसे में सवाल यह है कि क्या इंडसइंड के अधिकारियों द्वारा शेयर बिक्री उन्हें परेशानी में डाल सकती है? मुंबई स्थित कॉरपोरेट वकील सुप्रीम वास्कर ने कहा, ‘यदि किसी शीर्ष अधिकारी ने यूपीएसआई के कब्जे में रहते हुए शेयरों में कारोबार किया है, तो यह संभावित रूप से सेबी के भेदिया कारोबार मानदंडों का उल्लंघन हो सकता है, अगर लेनदेन मानदंडों द्वारा तय विशिष्ट अपवादों के अंतर्गत न आते हों।’

इसके अलावा, सेबी के नियमों के तहत अगर लेनदेन का मूल्य 10 लाख रुपये से अधिक है तो अंदरूनी लोगों को शेयरधारिता में किसी भी बदलाव का खुलासा करना आवश्यक है। कंपनी की यह भी जिम्मेदारी है कि वह उस अवधि के दौरान ट्रेडिंग विंडो को बंद करना सुनिश्चित करे जब अंदरूनी लोगों के पास यूपीएसआई तक पहुंच होने की उचित उम्मीद हो। इन खुलासों और अनुपालन आवश्यकताओं का पालन न करना भी उल्लंघन माना जा सकता है।

First Published : March 27, 2025 | 10:46 PM IST