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वित्त वर्ष 2030 तक की महत्त्वाकांक्षी रूपरेखा के कारण मंगलवार को बीएसई पर Ujjivan Small Finance Bank (एसएफबी) का शेयर 8 प्रतिशत तक उछल गया था और आखिर में 7.4 प्रतिशत की बढ़त के साथ 47.45 रुपये पर बंद हुआ। यह बढ़त प्रमुख बाजार से कहीं ज्यादा रही, क्योंकि बीएसई के सेंसेक्स और एनएसई के निफ्टी में सिर्फ 0.39 प्रतिशत की मामूली बढ़त दर्ज की गई।
इस शेयर को लेकर आशावाद उज्जीवन की व्यापक दीर्घावधि रणनीति की वजह से पैदा हुआ है। बैंक के प्रबंधन ने वित्त वर्ष 2030 तक की अवधि को ‘हाई ग्रोथ फेज’ यानी ऊंची वृद्धि वाला दौर करार दिया है, जिसमें सुरक्षित और विविध ऋण पोर्टफोलियो की ओर निर्णायक मोड़ आएगा। मौजूदा समय में, बैंक के कुल बहीखाते में सुरक्षित ऋणों का हिस्सा 46 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन इसे बढ़ाकर 65 से 70 प्रतिशत करने का लक्ष्य है।
किफायती आवास और संपत्ति पर सूक्ष्म ऋण (एलएपी) विकास के दो प्रमुख इंजन होंगे और दोनों के लगभग 30 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने की उम्मीद है। इस गति को आगे बढ़ाते हुए उज्जीवन का लक्ष्य वित्त वर्ष 2030 तक अपनी सकल ऋण बुक को 1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाना है, जो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत में लगभग 33,300 करोड़ रुपये के मुकाबले बड़ी उछाल है।
वृद्धि ऋणों तक ही सीमित नहीं है। उज्जीवन ने अगले पांच वर्षों के दौरान अपने जमा आधार को भी तीन गुना करने की योजना बनाई है। इस संबंध में एक प्रमुख कारक होगा सस्ती चालू खाता बचत खाता (सीएएसए) जमाओं को वित्त वर्ष 2025 के 25.5 फीसदी की भागीदारी से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2030 तक 35 फीसदी पर पहुंचाना। इस विस्तार को ध्यान में रखते हुए बैंक अन्य 400 शाखाएं खोलेगा। इसके साथ उसकी शाखाओं की कुल संख्या बढ़कर 1,150 हो जाएगी।
तेज वृद्धि के साथ साथ उज्जीवन ने मजबूत मुनाफा वृद्धि पर भी ध्यान केंद्रित किया है। वित्त वर्ष 2030 तक ऋणदाता ने परिसंपत्ति पर रिटर्न (आरओए) को सुधारकर 1.8 और 2 फीसदी के बीच पहुंचाने, जबकि पूंजी पर रिटर्न (आरओई) 16 से 18 फीसदी के बीच पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इस सुधार को सुरक्षित ऋण, बेहतर अंडरराइटिंग प्रणालियों और डेटा एनालिटिक्स के अधिक उपयोग की ओर बदलाव से बल मिलेगा। इन उपायों से वित्त वर्ष 2030 तक ऋण लागत में लगभग 100-150 आधार अंक की कमी आने की उम्मीद है।
हालांकि, इस रणनीति में एक संभावित समझौते की गुंजाइश भी है। जैसे-जैसे उज्जीवन सिक्योर्ड लेंडिंग पर जोर देगा, उसके मार्जिन में कमी आने की आशंका है और यह वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के 7.7 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत और 7 प्रतिशत के बीच हो जाएगा, जो वित्त वर्ष 2021-25 के दौरान दर्ज किए गए 9.1 प्रतिशत के औसत मार्जिन से काफी कम है।
ऑर्गेनिक विकास के अलावा, उज्जीवन यूनिवर्सल बैंक में तब्दील होने की राह पर भी नजर बनाए हुए है। बैंक ने फरवरी 2025 में अपना आवेदन जमा करा दिया और दिसंबर तक इस संबंध में स्पष्टता की उम्मीद है। विश्लेषकों का मानना है कि यह एक संभावित गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इस मंजूरी से पूंजी की आवश्यकताएं कम हो जाएंगी, जो 15 प्रतिशत से घटकर 11.5 प्रतिशत हो जाएंगी, साथ ही उन एक्सपोजर कैप को भी हटा दिया जाएगा जो मौजूदा समय में 25 लाख रुपये के आकार के ऋणों को 50 प्रतिशत तक सीमित करते हैं।
ब्रोकर इस संभावना को लेकर आशावादी हैं। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने 55 रुपये के कीमत लक्ष्य साथ इसे ‘खरीदें’ रेटिंग दी है।