Creative Commons license
रसायन कंपनियों का दिसंबर तिमाही प्रदर्शन कमजोर रहने का अनुमान है। उनके वित्तीय प्रदर्शन पर पिछले साल कुछ समस्याओं का असर पड़ा है, जिनमें आपूर्ति संबंधित चुनौतियां, कच्चे माल की उपलब्धता से जुड़ी चिंता, बिजली और माल ढुलाई की ऊंची लागत अल्पावधि में भी बरकरार रहने का अनुमान है। ब्रोकरों का मानना है कि रसायन क्षेत्र में डिस्क्रेशनरी सेगमेंटों से जुड़ी कंपनियों पर अन्य के मुकाबले ज्यादा प्रभाव पड़ेगा।
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के रंजीत सिरुमलिया का मानना है कि डाई और पिगमेंट, ऑटोमोटिव, फ्लेवर्स एंड फ्रैगरेंस और पॉलिमर जैसे डिस्क्रेशनरी इस्तेमाल से जुड़ी कंपनियों को अल्पावधि में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। नई क्षमताएं शुरू होने और सुधार में अंतर देखा जा सकता है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि कृषि रसायन और फार्मास्युटिकल आधारित वैल्यू चेन की स्थिति मजबूत बनी रहेगी। रिस्क-रिवार्ड दीपक फर्टिलाइजर्स और केमप्लास्ट सन्मार जैसे शेयरों के अनुकूल बना हुआ है। पूंजीगत खर्च क्रियान्वयन में अंतर और आय से जुड़े जोखिम को देखते हुए आईआईएफएल ने नवीन फ्लूराइन और आरती इंडस्ट्रीज के लिए अपनी रेटिंग घटा दी है।
स्पेशियल्टी केमिकल सेगमेंट की कंपनियों ने कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की है। साथ ही मालभाड़ा दरों में भारी गिरावट, ऊंची ऊर्जा लागत और मांग में नरमी से तीसरी तिमाही में सुस्त प्रदर्शन को बढ़ावा मिल सकता है। फिलिपकैपिटल रिसर्च के सूर्य पात्रा के अनुसार, तीसरी तिमाही में कमजोर प्रदर्शन कई तिमाहियों की लगातार मजबूत वृद्धि के बाद दर्ज किया गया है।
ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि उसके कवरेज वाली कंपनियां तिमाही के दौरान सुस्त राजस्व और मार्जिन दबाव की वजह से कुल आय में 6 प्रतिशत की गिरावट (तिमाही आधार पर सपाट वृद्धि) दर्ज करेंगी। हालांकि उत्पादन लागत में नरमी आई है, लेकिन ऊंची ऊर्जा (कोयला) लागत, ऊंची लागत इन्वेंट्री या कंटेंनर अनुबंधों को देखते हुए इससे राहत नहीं मिल सकती है। पात्रा का कहना है कि इसके अलावा, तीसरी तिमाही में कच्चे तेल की अस्थिर कीमत की वजह से उत्पाद कीमत समायोजन पर जोर नहीं दिया गया जिससे मार्जिन दबाव बढ़ गया।
आईआईएफएल का भी मानना है कि विद्युत एवं मालभाड़ा लागत में नरमी के बावजूद दबाव कम नहीं हुआ है, क्योंकि कंपनियां बढ़ती उत्पादन लागत का पूरा बोझ ग्राहकों पर डालने में सक्षम नहीं रही हैं। आईआईएफएल का मानना है कि मालभाड़ा दरों में नरमी का लाभ निर्यातकों को मिलेगा जिससे उन्हें मुनाफे पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने में सहूलियत होगी। फिलिपकैपिटल रिसर्च का कहना है कि उसके कवरेज वाले शेयरों में, विनाती ऑर्गेनिक्स अपने उत्पादों के लिए ऊंची मांग की वजह से एक साल पहले की अवधि के मुकाबले मार्जिन सुधार के साथ अच्छी आय दर्ज करने की स्थिति में है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का मानना है कि स्पेशियल्टी केमिकल सेगमेंट के लिए तीसरी तिमाही मिश्रित रहेगी, क्योंकि फसल-सुरक्षा खंड में कई कंपनियों की आय कमजोर रहेगी। हालांकि ब्रोकरेज का कहना है कि पीआई इंडस्ट्रीज, क्लीन साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी, विनती ऑर्गेनिक्स और नवीन फ्लोरीन जैसी कंपनियों के लिए वृद्धि के कई कारक हैं। कमजोर वृहद परिदृश्य और उसके सहज स्तर से ऊपर मूल्यांकन के बावजूद ब्रोकरेज ने निवेशकों को इन शेयरों में बेहतर खरीद अवसरों के लिए नजर बनाए रखने का सुझाव दिया है।
यह भी पढ़ें: 2022 में मिड, स्मॉल कैप ने भरी ज्यादा उड़ान, बेंचमार्क प्रतिफल को पीछे छोड़ा
जहां इस क्षेत्र की कंपनियों के लिए कई अल्पावधि समस्याएं हैं, वहीं कुछ ब्रोकर उनकी आगामी संभावनाओं को लेकर आशान्वित बने हुए हैं। एसएमआईएफएस रिसर्च का कहना है कि वैश्विक समस्याओं के बावजूद, भारत रसायन क्षेत्र में मजबूत स्थिति में बना हुआ है और भारत से खरीदारी करने वाली वैश्विक कंपनियों की दिलचस्पी बढ़ रही है जिससे आपूर्ति श्रृंखला के लिए जोखिम कम हो रहे हैं, संपूर्ण उत्पाद मिश्रण में स्पेशियल्टी रसायन की भागीदारी बढ़ रही है और मजबूत पूंजीगत खर्च योजनाओं से रसायन कंपनियों को आगामी विकास की संभावनाएं मजबूत बनाने में मदद मिल रही है।
ब्रोकरेज के विश्लेषकों आदित्य खेतान और अवनीश चंद्र का मानना है कि चूंकि चीन कोविड महामारी से संबंधित सख्ती कम कर रहा है, जिससे मांग मजबूत बनी रहने की संभावना है, लेकिन फिर 2 जनवरी से शुरू होने वालेऔर 5 फरवरी तक चलने वाले चाइनीज नव वर्ष समारोहों की वजह से अल्पावधि मांग प्रभावित हो सकती है। ब्रोकरेज के प्रमुख पसंदीदा शेयरों में नोसिल, बोडाल केमिकल्स, फिलिप्स कार्बन ब्लैक और सुप्रीम पेट्रोकेम शामिल हैं।