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Zee में गड़बड़ी का मामला गहराया, SEBI ने 2,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी का पता लगाया

Zee share price : Zee का शेयर 164.5 रुपये पर बंद हुआ जिससे उसके MCap को 2,700 करोड़ रुपये की चोट पहुंची। यह शेयर इस साल अब तक 40 प्रतिशत गिर चुका है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- February 21, 2024 | 10:02 PM IST

संस्थापकों सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका द्वारा ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज से रकम के कथित गबन से जुड़ा संकट गहरा गया है। सेबी को जांच में 2,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी का पता चला है, जो शुरू में लगाए गए 200 करोड़ रुपये की गड़बड़ी के आरोप की तुलना में 10 गुना है।

जहां बुधवार को ज़ी के शेयरों में ताजा बिकवाली को बढ़ावा मिला, वहीं मीडिया प्रसारक के बहीखाते में अकाउंटिंग धोखाधड़ी की खबरों की अटकलें भी तेज हो गईं। अक्टूबर 2023 में प्रतिभूति अपील पंचाट (सैट) ने स्पष्ट संकेत दिया था कि सेबी की जांच में गड़बड़ी पाई गई है।

सेबी के वकील के हवाले से कहा गया है, ‘बड़ी संख्या में लेनदेन प्रवर्तकों के स्वामित्व, नियंत्रण वाली कंपनियों से जुड़े हुए हैं।’ ज़ी का शेयर 14 प्रतिशत टूट गया। हालांकि मीडिया प्रसारक ने कंपनी में लेखांकन मुद्दों से संबंधित अफवाहों को गलत, निराधार और झूठी बताया।

ज़ी का शेयर 164.5 रुपये पर बंद हुआ जिससे उसके बाजार पूंजीकरण को 2,700 करोड़ रुपये की चोट पहुंची। यह शेयर इस साल अब तक 40 प्रतिशत गिर चुका है और बाजार पूंजीकरण में 10,580 करोड़ रुपये की गिरावट आई है।

ब्लूमबर्ग और रॉयटर्स ने सूत्रों का हवाला देते हुए खबरों में कहा है कि सेबी को अपनी जांच के दौरान जी में लगभग 2,000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी मिली है। इन खबरों ने उन निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया जिन्होंने ज़ीऔर सोनी के बीच 10 अरब डॉलर के विलय के अंतिम प्रयास की अटकलों के बीच शुरुआती सत्र में ज़ी के शेयर खरीदे थे।

ज़ी ने एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा, ‘इस संबंध में, कंपनी को ऐसे किसी आदेश की जानकारी नहीं है जिसमें सेबी ने कोई खुलासा किया हो और इसलिए इसे गलत तरीके से रिपोर्ट किया गया है।’

सूत्रों ने कहा कि सेबी इस समय ज़ी मामले की जांच कर रहा है और अप्रैल के मध्य तक अंतिम आदेश जारी किए जाने की संभावना है। शुरुआती जांच में सेबी ने करीब 200 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया था। यह मामला चंद्रा, गोयनका के पिता और एस्सेल ग्रुप के पूर्व चेयरमैन द्वारा येस बैंक के साथ 200 करोड़ रुपये की सावधि जमा के लिए लेटर ऑफ कम्फर्ट (एलओसी) से संबंधित था। सूत्रों के अनुसार सेबी ने अब कई अन्य एलओसी की भी जांच की है।

पिछले साल अक्टूबर में, सैट ने ज़ी प्रमुख गोयनका को सेबी के आदेश से राहत दी थी। सेबी के आदेश में उन्हें चार समूह कंपनियों में मुख्य पदों पर बने रहने से रोक दिया गया था। जी ने कहा है, ‘कंपनी सेबी द्वारा मांगी गई सभी जानकारियां या स्पष्टीकरण देने की प्रक्रिया में है और उसने सभी पहलुओं पर पूरा सहयोग दिया है।’कंपनी में जी के प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 4 प्रतिशत से कम है जबकि 96 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक है।

First Published : February 21, 2024 | 10:02 PM IST