बुधवार को भारतीय शेयर बाजार मजबूत बना रहा। Sensex और Nifty 50 ने 2 अप्रैल को अमेरिका के टैरिफ फैसले के बाद हुई गिरावट की भरपाई कर ली है। इस तेजी के पीछे अमेरिका की ओर से टैरिफ लागू करने के फैसले को 90 दिनों के लिए टालना एक बड़ी वजह है। लेकिन सवाल ये है कि क्या बाजार अब पूरी तरह सुरक्षित है? क्या अब इंटरनेशनल बाजारों में निवेश करना समझदारी होगी? अगर हां, तो कौन से देश बेहतर हैं? साथ ही, क्या ये समय “बढ़त पर बेचो” वाला है या फिर “गिरावट में खरीदो”? किन सेक्टरों और स्टॉक्स को रखना चाहिए और किनसे दूरी बनानी चाहिए?
इस पर देश-दुनिया के दिग्गज विश्लेषकों ने क्या कहा, आइए जानते हैं।
Morgan Stanley के इंडिया इक्विटी रिसर्च हेड रिधम देसाई का मानना है कि अब बाजार का रुख आर्थिक नीतियों की बजाय, अच्छे स्टॉक्स की पहचान पर ज्यादा होगा। उन्होंने कहा कि अब वे सिर्फ स्मॉल और मिडकैप पर नहीं, बल्कि सभी कैटेगरी के शेयरों पर ध्यान दे रहे हैं।
उनका फोकस ऐसे सेक्टरों पर है जो घरेलू ग्रोथ से जुड़े हैं – जैसे फाइनेंशियल्स, कंज़्यूमर साइक्लिकल्स और इंडस्ट्रियल्स। वहीं एनर्जी, मटीरियल्स, यूटिलिटीज और हेल्थकेयर से वे फिलहाल दूरी बना रहे हैं।
ब्लैकरॉक की ग्लोबल चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट Wei Li का मानना है कि अमेरिका और जापान के शेयरों में फिर से तेजी आएगी। अमेरिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बेहतर नतीजे और मजबूत अर्थव्यवस्था बाजार को सपोर्ट कर रही है। जापान में कंपनियों का प्रॉफिट बढ़ रहा है और शेयरहोल्डर्स को फायदा देने वाली नीतियां लागू हो रही हैं। यूरोप को उन्होंने ‘न्यूट्रल’ रेटिंग दी है और कहा कि अभी वहां स्ट्रक्चरल सुधारों का इंतजार है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के चीफ़ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजयकुमार का कहना है कि मार्केट का मौजूदा माहौल स्थिरता की ओर इशारा जरूर करता है, लेकिन निवेशकों को यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि बाजार पूरी तरह स्थिर हो गया है और अब लगातार ऊपर ही जाएगा। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर एक बार फिर तेज हो रहा है। खासकर चीन द्वारा रेयर अर्थ मेटल्स और बोइंग के ऑर्डर पर रोक लगाने के फैसले के बाद स्थिति और अस्थिर हो सकती है। आने वाले समय में और फैसले, प्रतिक्रियाएं और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।
इस बीच, HDFC बैंक अपने Q4 रिजल्ट से पहले 3 दिन में 7% चढ़कर रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया है। इसके अलावा बजाज फाइनेंस, भारती एयरटेल, इंडिगो एयरलाइंस और आयशर मोटर्स भी 52 हफ्तों के हाई पर हैं। दूसरी ओर, IT शेयरों में कमजोरी दिख रही है। मार्केट का साफ संकेत है कि मौजूदा ग्लोबल उथल-पुथल के दौर में घरेलू खपत से जुड़े शेयर ज्यादा सुरक्षित विकल्प साबित हो सकते हैं, जबकि इंटरनेशनल डिमांड पर निर्भर कंपनियों में रिस्क बना रहेगा।
Canara Robeco म्यूचुअल फंड के हेड इक्विटीज़ श्रिदत्त भंडवालदार का मानना है कि टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताएं कुछ समय के लिए ग्रोथ पर असर डाल सकती हैं, लेकिन लंबे समय में अमेरिका के बाहर बेहतर रिटर्न की तलाश में ग्लोबल निवेशकों की पूंजी भारत जैसे उभरते बाजारों (Emerging Markets) की ओर आएगी। उन्होंने कहा कि बड़े शेयरों की वैल्यूएशन अभी उनके ऐतिहासिक औसत के आसपास है, जो लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए सही मौका देती है। हालांकि मिड और स्मॉल कैप शेयरों की कीमतें थोड़ी ज्यादा हैं, लेकिन अगर इन कंपनियों की कमाई बढ़ी, तो इनमें और तेजी आ सकती है। अपने पोर्टफोलियो पोजिशन को लेकर उन्होंने बताया कि वे फिलहाल बड़े बैंकों, टेलीकॉम, फार्मा और एविएशन जैसे सेक्टरों में ज़्यादा निवेश बनाए हुए हैं। वहीं, कमोडिटी और एनर्जी जैसे क्षेत्रों में फिलहाल सावधानी बरत रहे हैं।
कोटक सिक्योरिटीज़ के हेड ऑफ इक्विटी रिसर्च श्रीकांत चौहान ने कहा कि मौजूदा बाजार का माहौल तेज़ी वाला है, लेकिन कुछ समय के लिए बाजार ओवरबॉट (बहुत ज़्यादा खरीदा गया) स्थिति में आ चुका है। ऐसे में ऊंचे स्तरों पर मुनाफावसूली देखने को मिल सकती है।
ट्रेडर्स के लिए 23,400 (निफ्टी)/76,900 (सेंसेक्स) और 23,600/77,600 अहम रेजिस्टेंस ज़ोन होंगे, यानी इन स्तरों पर बाजार रुक सकता है या नीचे मुड़ सकता है। वहीं, 23,200-23,100 (निफ्टी) और 76,400-76,100 (सेंसेक्स) ज़रूरी सपोर्ट लेवल होंगे, जहां बाजार को सहारा मिल सकता है।
अगर बाजार 23,200-23,100 या 76,400-76,100 तक गिरता है तो ये खरीदारी का अच्छा मौका हो सकता है। इस स्थिति में मिड-टर्म यानी कुछ महीनों के नजरिए से अच्छे शेयर खरीदने चाहिए। निफ्टी को 23,100-23,200 के बीच खरीदने की सलाह दी गई है, और क्लोजिंग बेसिस पर 23,000 के नीचे का स्टॉप लॉस रखना ज़रूरी है।