फेडरल रिजर्व के मिनट्स जारी होने से पहले घबराहट और सूचकांक के दिग्गजों में गिरावट के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली से भारतीय इक्विटी बेंचमार्क सूचकांकों में बुधवार को फिसलन रही। चीन में कोविड की पाबंदी में ढील के बाद मौत के बढ़ते आंकड़ों ने घबराहट बढ़ा दी।
बीएसई सेंसेक्स 637 अंक टूटकर 60,657 अंक पर बंद हुआ और इस तरह से उसमें 1.04 फीसदी की गिरावट आई। दूसरी ओर निफ्टी 189 अंकों की गिरावट के साथ 18,043 पर टिका। निफ्टी में भी 1.04 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। बाजारों में आई गिरावट से निवेशकों की 2.09 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां बीएसई में स्वाहा हो गई। इस तरह से सूचकांकों ने इस हफ्ते बुधवार की गिरावट के साथ इस हफ्ते की बढ़त पर विराम लगा दिया।
एफपीआई ने बुधवार को 2,621 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और यह जानकारी एक्सचेंजों के अस्थायी आंकड़ों से मिली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की दिसंबर में हुई बैठक के मिनट्स जारी होने से पहले यह देखने को मिला।
फेड के मिनट्स से इस बात का ज्यादा संकेत मिल सकता है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक क्यों सोच रहा है कि इस साल महंगाई टिकी रह सकती है। दिसंबर की बैठक के बाद अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने कहा था कि साल 2023 में महंगाई अनुमान से ज्यादा रह सकती है। इस वजह से भी माना जा रहा है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी 5 फीसदी से ऊपर भी हो सकती है।
अमेरिका में महंगाई साल 2023 के आखिर में 3.1 फीसदी रह सकती है जबकि पहले इसके 2.8 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया था। बाजार के एक वर्ग को उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरें 5.5 फीसदी तक बढ़ा सकता है और उनके अनुमान के मुताबिक महंगाई के नीचे आने तक उस स्तर पर ब्याज दर को बनाए रख सकता है।
फेडरल ओपन मार्केट कमेटी ने दिसंबर में बेंचमार्क दरें 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.25 फीसदी से 4.5 फीसदी कर दी थी। फेड के प्रमुख ने कहा था कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक तब तक दरों में कटौती को लेकर भरोसेमंद नहीं है जब तक कि महंगाई घटकर 2 फीसदी पर नहीं आ जाती। अमेरिकी केंद्रीय बैंक का महंगाई पर नजरिया जो भी है, लेकिन बाजार महंगाई को लेकर ज्यादा आशान्वित हैं क्योंकि कीमतों का दबाव नरम हुआ है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, देसी बाजार पर वैश्विक बाजारों की चिंता से असर पड़ा। फेड के मिनट्स जारी होने से पहले दरों में आक्रामक बढञोतरी को लेकर डर एक बार फिर सामने आ गया। वैश्विक संकेतों के अलावा देसी बाजारों की नजर कंपनियों की आय पर रहेगी। भारत का सेवा पीएमआई दिसंबर में 58.5 पर आ गया, जो नए कारोबार में मजबूत बढ़त के कारण देखने को मिला।
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ब्रेंट क्रूड 3 फीसदी फिसलने के बाद अब 79 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजित मिश्रा ने कहा, इस गिरावट ने पिछले चार कारोबारी सत्र में हुई निफ्टी की बढ़त को पूरी तरह से ढक दिया और बैंकिंग इंडेक्स में बिकवाली के दबाव ने मनोदशा और खराब कर दी। साथ ही हमें लगता है कि निफ्टी में 18,000 के स्तर से नीचे और दबाव बढ़ेगा। इस परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए बुद्धिमानी यह है कि उधारी वाले पोजीशन को सीमित किया जाए और स्पष्टता का इंतजार किया जाए।
बाजारों में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर था और 2,351 शेयर टूटे जबकि 1,136 शेयरों में बढ़ोतरी दर्ज हुई। तीन को छोड़कर सेंसेक्स के बाकी शेयर टूट गए। रिलायंस इंडस्ट्रीज में 1.5 फीसदी की गिरावट आई जबकि उसने इंडेक्स की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान किया। एचडीएफसी बैंक में 1.8 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।