बाजार

म्युचुअल फंडों में प्रायोजकों का हिस्सा एक लाख करोड़ रुपये के करीब

Mutual Funds: SEBI ने म्युचुअल फंडों का परिचालन करने वालों से अपने ही फंडों में निवेश को जरूरी बना रखा है ताकि निवेशकों के साथ उनके भी हित जुड़े रहें।

Published by
समरीन वानी   
Last Updated- March 26, 2024 | 10:13 PM IST

अपनी ही योजनाओं में म्युचुअल फंडों का दांव एक लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है। उद्योग निकाय एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों का बिजनेस स्टैंडर्ड ने विश्लेषण किया है। इसके अनुसार योजनाओं की सभी श्रेणियों में प्रायोजक व सहायक निवेश फरवरी में 95,058 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह मार्च 2023 के मुकाबले 28.9 फीसदी की बढ़ोतरी का संकेत देता है। लगातार दो साल तक गिरावट के बाद यह बढ़ोतरी देखने को मिली है।

कुछ बदलाव की वजह बाजार की तेजी भी हो सकती है। एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स मौजूदा वित्त वर्ष में फरवरी तक 22.9 फीसदी चढ़ा। मार्च 2022 में सालाना ​आधार पर यह एक फीसदी से भी कम था।

बाजार नियामक सेबी ने म्युचुअल फंडों का परिचालन करने वालों से अपने ही फंडों में निवेश को जरूरी बना रखा है ताकि निवेशकों के साथ उनके भी हित जुड़े रहें। जुलाई 2021 की सेबी की बोर्ड बैठक के नोट के मुताबिक अल्पावधि में रिटर्न हासिल करने के लिए म्युचुअल फंडों को आक्रामक पोजीशन लेने का प्रोत्साहन मिल सकता है। म्युचुअल फंडों के कई कर्मचारियों को परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी में इक्विटी और बोनस दिया जाता है जिससे कि कर्मचारियों के हित भी शेयरधारकों के साथ जुड़े रहें।

सेबी ने कहा कि अल्पावधि में एएमसी के शेयरधारकों के हितों का जुड़ाव यूनिटधारकों के साथ शायद नहीं हो सकता। ऐसे में एएमसी व उसके कर्मचारियों का हित यूनिटधारकों के साथ जोड़ना महत्वपूर्ण हो जाता है।

ऐसे निवेश की कीमत मार्च 2019 में 83,385 करोड़ रुपये थी। उस समय यह कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों का 3.4 फीसदी था। तब से ऐसी रकम बढ़ती रही है जबकि परिसंपत्तियों की हिस्सेदारी घट रही है। मार्च 2022 में योगदान कुल परिसंपत्तियों का 2.2 फीसदी था और मार्च 2023 व फरवरी 2024 में यह 2 फीसदी से नीचे बना रहा। फरवरी में म्युचुअल फंड कुल 54.5 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रहे थे।

प्रायोजक व सहायक निवेश का बड़ा हिस्सा डेट फंडों में है। यह रकम 76,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इक्विटी फंडों में यह 12,200 करोड़ रुपये से ज्यादा है जो मार्च 2023 के मुकाबले 83.6 फीसदी ज्यादा है। इस अवधि में डेट फंडों की परिसंपत्तियां 21 फीसदी बढ़ीं। पारंपरिक रूप से ऐसे निवेश में डेट का बड़ा हिस्सा रहा है। लेकिन ताजा आंकड़े बताते हैं कि अब इक्विटी की हिस्सेदारी 10 फीसदी से ज्यादा हो गई है।

डेट योजनाओं की हिस्सेदारी मार्च 2019 के 93 फीसदी के मुकाबले मार्च 2023 में घटकर 85 फीसदी रह गई। फरवरी में उनकी हिस्सेदारी 80 फीसदी थी। इसकी तुलना में इक्विटी योजनाओं की हिस्सेदारी मार्च 2019 के 6 फीसदी के मुकाबले फरवरी में 13 फीसदी पर पहुंच गई।

First Published : March 26, 2024 | 10:13 PM IST