निवेश योजनाओं के रुप में बीमा कंपनियों की एकल (सिंगल) प्रीमियम बीमा योजनाएं छाती जा रही हैं।
बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण के अगस्त के जर्नल के आंकड़ों के अनुसार जून 2008 तक निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने व्यक्तिगत एकल प्रीमियम योजनाओं की बदौलत 633.24 करोड़ रुपये और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने 2,733.21 करोड़ रुपये जुटाए।
पिछले वर्ष की इसी अवधि में निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने 413.74 करोड़ रुपये और एलआईसी ने 3,137.35 करोड़ रुपये जुटाए थे। निवेशक भी आयकर में मिलने वाली छूटों के कारण इन योजनाओं की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं।
हालांकि, शेयर बाजार में आई मंदी के कारण निवेशकों का रुझान यूलिप योजनाओं, खास तौर से सिंगल प्रीमियम बीमा योजनाओं की तरफ कम हुआ है। इस वर्ष जून महीने तक निजी बीमा कंपनियों ने 1,52,756 और एलआईसी ने 6,72,593 सिंगल प्रीमियम पॉलिसियां बेचीं जबकि पिछले साल की इसी अवधि में निजी बीमा कंपनियों और एलआईसी ने क्रमश: 90,459 और 8,34,983 पॉलिसियां बेची थीं।
साफ है कि एलआईसी की सिंगल प्रीमियम योजनाओं की बिक्री में कमी आई है। अब बात करते हैं सिंगल प्रीमियम योजनाओं के कर प्रावधानों की। आमतौर पर बीमा एजेंट यही कहते हैं कि जीवन बीमा के प्रीमियम के रुप में दी जाने वाली एक लाख रुपये तक की राशि पर आयकर पर छूट मिलती है और परिपक्वता राशि भी करमुक्त होती है। लेकिन क्या सिंगल प्रीमियम योजनाओं के मामले में भी ऐसा ही होता है?
वित्तीय सलाहकार कंपनी एफएन सुपरमार्केट के प्रमाणित वित्तीय योजनाकार विश्राम मोदक कहते हैं, ‘मान लीजिए कि आपने एक एकल प्रीमियम वाला यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) लिया है जिसके लिए आपने 50,000 रुपये प्रीमियम दिया है।
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (इरडा) के नियमों के मुताबिक एकल प्रीमियम वाले यूलिप में न्यूनतम सम एश्योर्ड दिए गए प्रीमियम का 125 प्रतिशत होना चाहिए। अगर आपने न्यूनतम सम एश्योर्ड वाले विकल्प का चुनाव किया है तो आपका सम एश्योर्ड 62,500 रुपये का बनता है। इस प्रकार 50,000 रुपये का एकल प्रीमियम सम एश्योर्ड का 80 प्रतिशत होता है।
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 सी की उप धारा 3 स्पष्ट कहती है कि ऐसे मामले में अधिकतम उपलब्ध कटौती सम एश्योर्ड के 20 प्रतिशत के बराबर है। इसलिए इस मामले में सम एश्योर्ड का 20 प्रतिशत 12,500 रुपये है। इतनी ही राशि पर आपको आयकर छूट मिलेगी न कि दिए गए 50,000 रुपये के प्रीमियम पर।’
अधिकांश बीमा कंपनियां बीमा पॉलिसी बेचते वक्त इन प्रावधानों का जिक्र नहीं करती हैं। एकल प्रीमियम पॉलिसी की विवरणिका में लिखी इस विशेष लाइन पर कभी आपकी नजर गई है ‘दिया गया प्रीमियम आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर में कटौती के योग्य है।’ तकनीकी तौर पर देखें तो यह सही है, लेकिन यह पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्ति को खुले तौर पर सारी बातें नहीं समझाती है।
दूसरी ओर अधिकांश पॉलिसी की विवरणिका में सुझाव दिया गया होता है कि कर कटौती संबंधी मसलों के लिए कर सलाहकार की मदद ली जानी चाहिए। बीमा एजेंट अपने भावी ग्राहकों को कर संबंधी इन जटिलताओं से अनभिज्ञ रखते हैं ताकि पॉलिसी बेचने के दौरान कोई अड़चन न आए।
हालांकि, कुछ एकल प्रीमियम पॉलिसी इस पर ज्यादा प्रकाश डालती हैं। बिड़ला सन लाइफ के एकल प्रीमियम बॉण्ड पॉलिसी की विवरणिका में यह लिखा होता है कि ‘वर्तमान कर नियमों की जहां तक हमें समझ है, धारा 80 सी के तहत दिए गए प्रीमियम पर संबंधित साल, यानी जिस साल में प्रीमियम दिया गया है, में सम एश्योर्ड के 20 प्रतिशत तक कर में बचत का लाभ प्राप्त हो सकता है।’
एचडीएफसी की एकल प्रीमियम पॉलिसी होल ऑफ लाइफ पॉलिसी भी इसे अपने विवरणिका में स्पष्ट कर देती है। मोदक कहते हैं, ‘जो लोग कर में बचत करने के लिहाज से एकल प्रीमियम जीवन बीमा पॉलिसी लेना चाहते हैं, उन्हें सम एश्योर्ड प्रीमियम राशि का पांच गुना लेना चाहिए। तभी वे संपूर्ण प्रीमियम राशि पर कर में कटौती का लाभ ले सकते हैं, इसकी अधिकतम सीमा एक लाख रुपये है, आयकर अधिनियम की धारा 80सी की सीमा भी यही है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति 50,000 रुपये का एकल प्रीमियम देता है तो उसे 2.5 लाख रुपये के सम एश्योर्ड के विकल्प का चुनाव करना चाहिए।’
बीमा कंपनियां पॉलिसी बेचते समय इस बात का भी जिक्र नहीं करती हैं कि परिपक्वता राशि पूरी तरह कर मुक्त नहीं होती हैं। आयकर अधिनियम की धारा 10 (10डी) के अनुसार परिपक्वता पर मिलने वाली पूरी राशि तभी कर मुक्त हो सकती है जब दिया गया प्रीमियम सम एश्योर्ड के 20 प्रतिशत से अधिक न हो। अगर दिया गया प्रीमियम सम एश्योर्ड के 20 प्रतिशत से अधिक है तो परिपक्वता राशि पॉलिसीधारक की आय में जुड़ जाती है और जिस कर स्लैब में पॉलिसीधारक आता है उसके अनुसार इस पर कर लगाया जाता है।