डर की माप करने वाला और बाजार की अस्थिरता के अहम संकेतक के तौर पर मशहूर इंडिया वॉलैटिलिटी इंडेक्स (इंडिया विक्स) 18 सितंबर को 9.89 पर बंद हुआ, जो उतारचढ़ाव की कम संभावना का संकेत दे रहा है। हालांकि शांति का यह संकेतक बाजार के हालिया झंझावात से काफी अलग रहा। लगातार छठे सत्र में गिरकर 24,655 पर पहुंच गया।
ट्रेडरों का कहना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की आक्रामक बिकवाली के बीच विक्स का कम स्तर आत्मसंतुष्टि को दर्शाता है, जिसने कई लोगों को चौंका दिया है। पिछले हफ्ते एफपीआई ने भारतीय शेयरों से लगभग 15,000 करोड़ रुपये निकाले, जिससे निफ्टी 2.6 प्रतिशत नीचे चला गया और यह 28 फ़रवरी के बाद की इसकी सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है। इस जबरदस्त बिकवाली के कारण विक्स कुछ समय के लिए 15 फीसदी बढ़कर 11.35 पर पहुंच गया। तकनीकी विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि निफ्टी में गिरावट का रुख बना हुआ है और इसके मुख्य समर्थन स्तर 24,500 और 24,350 हैं।
अगले हफ्ते सात अहम आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) बंद होने वाले हैं और इस महीने की संख्या जनवरी 1997 के बाद उच्चस्तर पर पहुंचने की ओर अग्रसर है क्योंकि 18 सौदे पहले ही पूरे हो चुके हैं। भारी गतिविधियों के बावजूद ग्रे मार्केट के प्रीमियम आगामी आईपीओ के लिए निवेशकों की निरंतर रुचि का संकेत देते हैं, जो 10 से 20 फीसदी तक है। ट्रूअल्ट बायोएनर्जी और फैबटेक टेक्नॉलजीज पर विशेष रूप से उच्च प्रीमियम मिल रहे हैं, जो मज़बूत मांग का संकेत देते हैं। इस रुझान से 6 अक्टूबर को खुलने वाले टाटा कैपिटल के मेगा आईपीओ और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के आगामी आईपीओ को फायदा हो सकता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा लंबी अवधि के डेरिवेटिव अनुबंधों का रुख करने के घोषित फैसले से जुड़े घटनाक्रम पर ट्रेडर कड़ी नजर रख रहे हैं। इस फैसले का मकसद अत्यधिक सट्टेबाजी और बढ़ते खुदरा घाटे पर लगाम कसना है। प्रमुख ब्रोकरों का कहना है कि साप्ताहिक डेरिवेटिव अनुबंधों को समाप्त करने पर चर्चा अभी शुरू नहीं हुई है, वहीं कुछ ट्रेडरों ने सोशल मीडिया पर विरोध जताया है। पिछले हफ्ते सेव वीकली एक्सपायरीऑनलाइन ट्रेंड कर रहा था।
व्यापारियों ने वित्त मंत्रालय और सेबी से भी संपर्क किया है और साप्ताहिक समाप्ति के लाभों पर प्रकाश डाला है। साथ ही वैश्विक बाजार के चलन का हवाला दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि कड़े प्रतिबंध इन गतिविधियों को अनियमित कर सकते हैं या क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म की ओर धकेल सकते हैं। खुदरा घाटे को कम करने के लिए कुछ ट्रेडर राष्ट्रीय प्रतिभूति बाजार संस्थान के माध्यम से डेरिवेटिव ट्रेडिंग प्रमाणन को अनिवार्य बनाने की वकालत करते हैं, जिससे पेशेवर ज्ञान का एक आधार स्थापित होगा।