इस साल भारत में इक्विटी के जरिए रकम जुटाने की गतिविधियां कम हो गईं जबकि वैश्विक स्तर पर इसमें विस्तार हुआ। इस साल अभी तक इक्विटी कैपिटल मार्केट्स से 7.7 अरब डॉलर जुटाए गए, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 15 फीसदी कम है। इसकी तुलना में वैश्विक स्तर पर इक्विटी कैपिटल मार्केट्स से 234.8 अरब डॉलर जुटाए गए, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 19 फीसदी ज्यादा है। रेफ्निटिव के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
इक्विटी कैपिटल मार्केट्स की गतिविधियों में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO), FPO और ब्लॉक ट्रेड शामिल होते हैं।
इस साल अब तक IPO से 0.9 अरब डॉलर जुटाए गए हैं, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 83 फीसदी कम है। वैश्विक स्तर पर IPO से इस साल 48.2 अरब डॉलर जुटाए गए, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 26 फीसदी कम है।
FPO के जरिये करीब 6.8 अरब डॉलर जुटाए गए, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 74 फीसदी ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर इसके जरिये 145.8 अरब डॉलर जुटाए गए, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 37 फीसदी ज्यादा है।
बैंकरों ने कहा, IPO की गतिविधियों में गिरावट की वजह भारतीय बाजारों की अशांति है। भारतीय बाजार दिसंबर व मार्च के बीच करीब 10 फीसदी टूटे। दरों में बढ़ोतरी का डर, भारत की अग्रणी फर्मों के बारे में शॉर्ट सेलर्स की रिपोर्ट और अमेरिका में बैंकिंग संकट से इक्विटी बाजारों में उतार चढ़ाव बढ़ा और रकम जुटाना मुश्किल हो गया।
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निवेश बैंकरों ने कहा, कीमत को लेकर प्रमोटरों की आकांक्षा और मूल्यांकन पर निवेशकों की इच्छा के बीच अंतर से कुछ कंपनियों की लिस्टिंग की योजना पहली छमाही में टल गई।
उन्होंने कहा कि IPO लाना किसी कंपनी का अहम पड़ाव होता है और वे चाहती हैं कि इस दौरान बाजार की स्थिति ठीक रहे। कई कंपनियां अपनी पेशकश से पहले बाजार के सही हालात का इंतजार करती हैं।
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इन्गा वेंचर्स के संस्थापक जीएस गणेश ने कहा, भारतीय बाजारों में सुस्त गतिविधियों के लिए मैं कीमत को जिम्मेदार ठहराऊंगा। यह बाजार सही कीमत व अच्छी कहानी के लिए है। अच्छी कहानियों के लिवाल होते हैं, चाहे यह थोड़ा महंगा क्यों न हो। अभी भी उन कंपनियों को बाजार से रकम जुटाना मुश्किल होता है जिनकी लाभ की स्पष्ट दिशा नहीं होती।