प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
आईटी सेवाओं का निर्यात करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) लाभांश भुगतान के मामले में भी उद्योग में सबसे उदार है। उद्योग के प्रतिस्पर्धियों के बीच टीसीएस का लाभांश भुगतान अनुपात सबसे अधिक है। पिछले पांच वर्षों के दौरान टीसीएस ने अपने वार्षिक समेकित शुद्ध लाभ का औसतन 99.7 फीसदी हिस्सा लाभांश वितरण और शेयर पुनर्खरीद के जरिये शेयरधारकों को दिया है।
इस मामले में टीसीएस के बाद टेक महिंद्रा का स्थान है। पिछले पांच वर्षों के दौरान टेक महिंद्रा का औसतन लाभांश भुगतान अनुपात 91.2 फीसदी रहा। इन्फोसिस 82.4 फीसदी लाभांश भुगतान अनुपात के साथ तीसरे पायदान पर है। उसके बाद 77 फीसदी के साथ एचसीएल टेक और 62.6 फीसदी के साथ विप्रो का स्थान है।
टीसीएस ने वित्त वर्ष 2021 के बाद अपने शेयरधारकों के बीच करीब 2.06 लाख करोड़ रुपये वितरित किए हैं, जबकि इस दौरान उसका कुल समेकित शुद्ध लाभ करीब 2.07 लाख करोड़ रुपये रहा। इससे पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान कंपनी का भुगतान अनुपात औसतन 99.7 फीसदी रहा जो उद्योग में सबसे अधिक है। इस तरह, टीसीएस अपने अतिरिक्त वार्षिक मुनाफे को भविष्य में निवेश या अधिग्रहण के लिए शायद ही बचाकर रखती है। वह अपनी सारी कमाई शेयरधारकों के बीच बांट देती है। अन्य कंपनियों के मामले में लाभ को बचाकर रखने का रुझान थोड़ा अधिक है।
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देश की पांच सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनियों ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान अपने शेयरधारकों को कुल करीब 4.15 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया, जबकि इस दौरान उनका कुल समेकित शुद्ध लाभ 4.79 लाख करोड़ रुपये रहा। इससे पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 से उद्योग का औसत भुगतान अनुपात 87 फीसदी रहा है। यह पिछले पांच वर्षों के दौरान बीएसई सेंसेक्स में शामिल कंपनियों के औसत लाभांश भुगतान अनुपात 27.4 फीसदी के मुकाबले तिगुना से भी अधिक है। सेंसेक्स कंपनियों के आंकड़ों में शेयर पुनर्खरीद के आंकड़े शामिल नहीं हैं।
यह विश्लेषण पिछले पांच वर्षों के दौरान औसत भुगतान अनुपात पर आधारित है क्योंकि वार्षिक आधार पर कंपनियां के भुगतान अनुपात में काफी बदलाव होता रहता है। पांच साल के भुगतान अनुपात से किसी खास कंपनी के लाभांश भुगतान और मुनाफे को बरकरार रखने संबंधी रणनीति को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। हालांकि, टीसीएस का भुगतान अनुपात वित्त वर्ष 2025 में घटकर 92.5 फीसदी रह गया जो एक साल पहले 103.4 फीसदी रहा था।
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टीसीएस ने वित्त वर्ष 2025 के लिए अपने शेयरधारकों को कुल 44,888 करोड़ रुपये का लाभांश दिया, जो वित्त वर्ष 2024 में 47,467 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड भुगतान से 5.4 फीसदी कम है। इसके मुकाबले वित्त वर्ष 2025 में उसका समेकित शुद्ध लाभ 5.8 फीसदी बढ़कर 48,553 करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2025 में टीसीएस ने कोई शेयर बायबैक नहीं किया और शेयरधारकों को केवल लाभांश भुगतान किया गया।
इन्फोसिस का भुगतान अनुपात वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 76 फीसदी हो गया जो वित्त वर्ष 2024 में महज 59.6 फीसदी था। कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए अपने शेयरधारकों को कुल 20,295 करोड़ रुपये का इक्विटी लाभांश दिया, जो वित्त वर्ष 2024 में शेयर पुनर्खरीद सहित 15,631 करोड़ रुपये के भुगतान के मुकाबले 29.8 फीसदी अधिक है। इस दौरान कंपनी का समेकित शुद्ध लाभ एक साल पहले के मुकाबले 1.8 फीसदी बढ़कर 26,713 करोड़ रुपये हो गया।
विप्रो का भुगतान अनुपात वित्त वर्ष 2025 में महज 47.8 फीसदी रह गया जो कि एक साल पहले 129 फीसदी था। इसी प्रकार शेयरधारकों को कुल भुगतान भी वित्त वर्ष 2025 में 55.9 फीसदी घटकर 6,282 करोड़ रुपये रह गया। कंपनी ने वित वर्ष 2024 में शेयर पुनर्खरीद सहित 14,247 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। कंपनी का समेकित शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2025 में एक साल पहले के मुकाबले 18.9 फीसदी बढ़कर 13,135 करोड़ रुपये हो गया।
एचसीएल का भुगतान अनुपात वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 93.4 फीसदी हो गया, जो एक साल पहले 89.6 फीसदी रहा था। कंपनी द्वारा कुल लाभांश भुगतान वित्त वर्ष 2025 में 15.5 फीसदी बढ़कर 16,250 करोड़ रुपये हो गया, जो एक साल पहले 14,073 करोड़ रुपये था। कंपनी का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2025 में 10.8 फीसदी बढ़कर 17,399 करोड़ रुपये हो गया।
टेक महिंद्रा का भुगतान अनुपात वित्त वर्ष 2025 में घटकर 90.4 फीसदी रह गया, जो एक साल पहले 166.1 फीसदी था। वित्त वर्ष 2025 के लिए कंपनी का कुल लाभांश भुगतान 1.9 फीसदी घटकर 3,841.8 करोड़ रुपये रह गया। इस दौरान कंपनी का समेकित शुद्ध लाभ 80.3 फीसदी बढ़कर 4,251.5 करोड़ रुपये हो गया।